जबलपुर। प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलजों को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच को बताया ग्वालियर हाईकोर्ट में जांच कमेटी द्वारा जिन तीन कॉलेज को क्लीनचिट दी है, उन्होंने एक ही व्यक्ति को उसी समय पर अपना फैक्लटी भी बताया है. बेंच ने सुनवाई के बाद ग्वालियर हाईकोर्ट में पेश की गई जांच कमेटी की रिपोर्ट और संबंधित डिजिटल डाटा 24 घंटे में हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए हैं. याचिका पर बुधवार को सुनवाई निर्धारित की गई है.
जांच में ग्वालियर के तीन कॉलेजों को दी गई थी क्लीनचिट: पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि ग्वालियर खंडपीठ ने अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले नर्सिंग कॉलेज की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने के आदेश दिये थे. इस कमेटी ने सौफिया नर्सिंग कॉलेज तथा पिताम्बरा नर्सिंग कॉलेज को क्लीनचिट दी थी. जिसपर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस दौरान एक कॉलेज के फैक्लटी दूसरे कॉलेज में पढा रहे थे. इसके बावजूद भी नर्सिंग काउसिंल ने उनका एफिलेएशन रिन्यू कर दिया. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान बताया गया कि हलफनाने में जानकारी दी गयी है कि फैक्लटी के संबंध में उन्होंने कॉलेजों को नोटिस जारी कर जानकारी मांगी थी. जिसके जवाब में कॉलेजों ने जो जानकारी दी है उसमें तीन कॉलेजों ने एक ही व्यक्ति को एक समय में अपना फैक्लटी बताया है. इसके अलावा एमएससी नर्सिंग का रेगुलर छात्र फैकल्टी के तौर पर बीएससी नर्सिंग या डिप्लोमा कोर्स करने वाले छात्रों को पढा रहा है.
प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज की हुई है जांच: लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी थी. मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौसिंल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी। वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे है। ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारिण मापदण्ड पूरा करता है। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिये जाने के आरोप में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौसिंल के रजिस्टार को पद से हटा दिया गया था. फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्हें शिकायत की गई थी. जिसपर रजिस्ट्रार ने कोई कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद यह याचिका दायर की गई थी. जिसमें याचिका के साथ ही ऐसे कॉलेजों की सूची तथा फोटो प्रस्तुत किये गये थे. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज के मान्यता संबंधित ओरिजनल दस्तावेज पेश किये गये थे.
न्यूलाइफ हॉस्पिटल अग्निकांड, आरोपियों की जमानत याचिका खारिज: बीते दिनों जबलपुर के न्यू लाईफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल अग्नि हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में 5 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस मामले में विजय नगर पुलिस ने अस्पताल संचालक चार डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था. मामले में फरार चल रहे संचालक दो डॉक्टरों ने अग्रिम जमानत के लिए जिला न्यायालय में आवेदन दिया था. एडीजे आरपीएस चुंडावत ने सुनवाई के बाद आरोपी डॉ. निशिंत गुप्ता व डॉ. सुरेश पटेल के आवेदन को खारिज कर दिया है.
मामले में सामने आई थी संचालकों की लापरवाही: अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय को बताया गया कि विजय नगर थाने के शिवनगर समीप स्थित न्यू लाईफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में विगत 1 अगस्त को आग लगने से हादसा हुआ था. जिसमें आठ लोगों मौत हो गई थी और पांच लोग घायल हुए थे. इस हादसे में संचालकों की लापरवाही सामने आई थी. हॉस्पिटल की फायर एनओसी मार्च माह में समाप्त हो गयी थी. बिना अनुमति के हॉस्पिटल में एक मंजिल का निर्माण किया गया था. अस्पलात में आपातकालीन द्वार सहित सुरक्षा इंतजमातों में कई कमियां पाई गईं थी. अस्पताल संचालन के लिए भी आवश्यक एनओसी भी प्राप्त नहीं की गयी थी. पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, गैर इरादतन हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है. प्रकरण में अस्पताल संचालक दो डॉक्टर सहित चार आरोपियों को गिरफतार कर लिया गया है. पूछताछ के लिए अंतरिम जमानत का आवेदन देने वाले दोनों फरार डॉक्टरो की गिरफ्तारी जरूरी है. अभियोजन के आग्रह पर कोर्ट ने अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया.