जबलपुर। सिविल जज व एडीजे के एग्जाम की कॉपियां सूचना के अधिकार के तहत सार्वजनिक करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू और जस्टिस डीडी बसंल की बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पब्लिक डोमेन में मुफ्त सूचना पहुंचाने का प्रस्ताव आकर्षक है परंतु व्यवहारिक नहीं. इसकी जटिलता व कठिनाईयां कामकाज में बाधा डाल सकती हैं.
पारदर्शिता बनाए रखने की लिए की गई थी मांग: यह मामला एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस एनजीओ की तरफ से दायर याचिका में उठाया गया था. याचिका में मांग की गई थी कि सिविल जज मुख्य परीक्षा की कॉपियां सार्वजनिक किया जाना चाहिए. कहा गया था कि निष्पक्ष व पारदर्शिता बनाने रखने के लिए सूचना के अधिकार के तहत कॉपियां दी जानी चाहिए. इसके साथ ही खास बात यह है कि सिविल जज परीक्षा में आरक्षित श्रेणी के बहुत से पदों पर सिलेक्शन नही किया गया है. जिसके कारण परीक्षा परिणाम के आधार पर चयन प्रक्रिया निष्पक्ष होने पर आशंका जताई गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पारित किए गए फैसलों का भी हवाला भी दिया गया था.
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बेंच ने दिए थे फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश: बेंच ने सुनवाई के बाद 25 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए थे. जिसपर बेंच ने शुक्रवार को पारित अपने फैसले में कहा है कि सूचना के अधिकार के एक्ट में कई जानकारी नहीं प्रदान करने का भी उल्लेख किया गया है. कोर्ट ने कहा है कि सूचना के अधिकार के तहत अनावश्यक जानकारी मांगी जाने लगी है, जिसके कारण जानकारी प्राप्त करने तथा उसे उपलब्ध करवाने में कर्मचारियों का समय बर्वाद होता है. इसे अगर बढावा दिया जाएगा तो कर्मचारियों का 75 प्रतिशत समय इसी कार्य में बर्वाद हो जाएगा. कोर्ट ने अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि किसी उम्मीदवार द्वारा लिखित उत्तर पुस्तिका उसकी गोपनीय व व्यक्तिगत जानकारी है. उम्मीदवार की मर्जी के खिलाफ उसे सार्वजनिक करना या किसी को नहीं दे सकते हैं.