जबलपुर। हाईकोर्ट ने प्राकृतिक न्याय के तहत तीन हफ्ते में अभ्यावेदन का निराकरण करने के निर्देश जारी किए थे. एक साल की अवधि गुजर जाने के बावजूद भी अभ्यावेदन का निराकरण नहीं हुआ. जिसके बाद 83 वर्षीय डॉक्टर ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी. अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस व्ही.के शुक्ला की युगलपीठ ने कहा है कि यह हैरान करने वाली बात है कि एक साल में अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया गया. हाई कोर्ट ने चेतवानी दी है कि अगली सुनवाई के पहले अभ्यावेदन का निराकरण किया जाए, ऐसा नहीं होने पर अनावेदक को न्यायालय की अवमानना के संबंध में नोटिस भेजा जाएगा.
दरअसल नेपियर टाउन निवासी डॉ.सतीष चंद्र बटालिया की तरफ से याचिका दायर की गई है. अवमानना याचिका में कहा गया कि स्मार्ट सिटी के नाम पर सड़क चौड़ीकरण के लिए जमीन अधिकरण के लिए नगर निगम ने 16 जुलाई 2020 को धारा-305 के तहत नोटिस जारी किया था. जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोई ने याचिकाकर्ता को नगर निगम के भवन अधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश दिए थे. न्यायालय ने भवन अधिकारी को निर्देशित किया था कि प्राकृतिक न्याय के तहत याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण तीन हफ्ते में हो.
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अवमानना याचिका में कहा गया है कि एक साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद भी भवन अधिकारी ने उनके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया है. इसके विपरित नगर निगम का अमला उनके घर और अस्तपाल की बाउंड्री वॉल तोड़ने के लिए उस समय पहुंच जाता है, जब वह मरीजों का चेकअप कर रहे होते हैं. याचिका में नगर निगम पर प्रताड़ित करने के भी आरोप लगे हैं. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मंगलवार को उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की.