जबलपुर। हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने सरकार को निर्देश दिया है कि वो निजी कोचिंग संस्थानों (Private Coaching Centres) के नियंत्रण और जांच के लिये नियम बनाए. प्रदेश में नियमों को ताक पर रखकर कोचिंग संस्थान चलाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. युगलपीठ ने अभ्यावेदन का निराकरण छह महीने में करने के निर्देश दिए हैं.
'निजी कोचिंग संस्थानों के लिए बनाओ नियम'
नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच की तरफ से साल 2013 में दायर की गयी याचिका में कहा गया था, कि पूरे प्रदेश में निजी कोचिंग संस्थानों की (Private Coaching Centres) बाढ़ सी आई हुई है. नियमों को ताक पर रखकर गली चौराहों में कोचिंग संस्थान खुल गए हैं. वहां छात्रों से मनमानी फीस वसूली जा रही है. आवेदक का कहना है कि महाराष्ट्र, केरल, हिमाचल और अन्य प्रदेशों में कोचिंग संस्थानों की गाइड लाइन निर्धारित है, लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं है.
'अवैध कोचिंग संस्थानों पर लो एक्शन'
याचिका में कहा गया था कि कोचिंग संस्थानों के पास ना तो पर्याप्त पार्किंग स्पेस है और न ही फीस में कोई नियंत्रण है. याचिका में राहत चाही गई थी कि प्रदेश भर में अवैध रूप से संचालित कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई की जाए. साथ ही उसकी जांच और नियंत्रण के लिये नियम बनाए जाएं. सुनवाई दौरान न्यायालय ने पाया कि मामले में अब तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है. इस पर अदालत (Jabalpur High Court) ने सरकार को निर्देश दिया है कि वो निजी कोचिंग संस्थानों के नियंत्रण और जांच के लिये नियम बनाए.
कोरोना में जान गंवाने वाले पुलिकर्मियों के परिवारों को नहीं मिले 50 लाख
कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश में जान गंवाने वाले डेढ़ सौ पुलिस कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख की सहायता राशि नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. आज हुई सुनवाई में सरकार ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा. हाईकोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है. याचिकाकर्ता की ओर से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश में 152 पुलिस कर्मियों की मौत हुई. सरकार द्वारा Front Line Workers की मृत्यु पर उनके आश्रितों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने की घोषण की थी, लेकिन उसका पालन नही किया गया.