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MP High Court: भाजपा विधायक जालम सिंह की बढ़ सकती है मुसीबत, बेटे मोनू सहित एक अन्य के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर

भाजपा नेता और गोटेगांव विधायक जालम सिंह पटेल उनके बेटे मोनू पटेल और गार्ड शरद बरकड़े के खिलाफ हाइकोर्ट (MP High Court) में दायर की गई अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी. पूर्व मंत्री और उनके बेटे के खिलाफ यह याचिका गोटेगांव के गोविंद केटले ने दायर की है.

MP High Court
हाइकोर्ट जबलपुर
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Published : Jul 20, 2022, 8:59 PM IST

जबलपुर। नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव विधानसभा से विधायक जालम सिंह पटेल और उनके पुत्र मोनू पटेल सहित सुरक्षा गॉर्ड शरद बरकड़े को विशेष अदालत ने हत्या के प्रयास में दोषमुक्त कर दिया था. विशेष न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी. (MP High Court) हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस पी.सी गुप्ता की युगलपीठ ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं.

यह था मामला: गोटेगांव निवासी गोविंद केटले ने 18 नवंबर 2014 को गोटेगांव विधायक जालम सिंह उनके गॉर्ड शरद बरकडे और पुत्र मोनू उर्फ मणि नागेंद्र सिंह पटेल पर शासकीय अस्पताल गोटेगांव में लाठी-डंडों से मारपीट किए जाने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई थी. शासन द्वारा प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी की जांच के पश्चात विधायक जालम सिंह पटेल, मोनू पटेल व शरद बरकड़े के विरुद्ध धारा 323, 325, 427, 307, 201, 34 भारतीय दंड विधान के तहत प्रकरण दर्ज किया गया.

विषेश कोर्ट ने की थी सुनवाई: प्रकरण की सुनवाई एमपी-एमएलए विषेश कोर्ट द्वारा की गयी थी. प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन की तरफ से लगभग 30 गवाह न्यायालय के समक्ष पेश किए गए थे. आरोपी गण द्वारा अपने बचाव में न्यायालय के समक्ष 8 गवाह प्रस्तुत किए गए. सुनवाई के बाद न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया गया था. इसके बाद अनावेदक ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.

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अपील सुनवाई के लिए स्वीकार: सुनवाई के दौरान अपील 60 दिनों के निर्धारित समय सीमा में दायर नहीं करने का प्रश्न उठा. आवेदक की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि, पीड़ित व्यक्तियों को अपील दायर करने के लिए 90 दिन का समय प्रदान किया गया है. युगलपीठ के प्रश्न करने पर बताया गया कि, सरकार की तरफ से आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं की गई है. इसके बाद युगलपीठ ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किया. याचिका पर प्रदेश सरकार, विधायक जालिम सिंह, उनके बेटे तथा सुरक्षा गॉर्ड को अनावेदक बनाया गया है. आवेदक की तरफ से अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडे ने पैरवी की.

जबलपुर। नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव विधानसभा से विधायक जालम सिंह पटेल और उनके पुत्र मोनू पटेल सहित सुरक्षा गॉर्ड शरद बरकड़े को विशेष अदालत ने हत्या के प्रयास में दोषमुक्त कर दिया था. विशेष न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी. (MP High Court) हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस पी.सी गुप्ता की युगलपीठ ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं.

यह था मामला: गोटेगांव निवासी गोविंद केटले ने 18 नवंबर 2014 को गोटेगांव विधायक जालम सिंह उनके गॉर्ड शरद बरकडे और पुत्र मोनू उर्फ मणि नागेंद्र सिंह पटेल पर शासकीय अस्पताल गोटेगांव में लाठी-डंडों से मारपीट किए जाने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई थी. शासन द्वारा प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी की जांच के पश्चात विधायक जालम सिंह पटेल, मोनू पटेल व शरद बरकड़े के विरुद्ध धारा 323, 325, 427, 307, 201, 34 भारतीय दंड विधान के तहत प्रकरण दर्ज किया गया.

विषेश कोर्ट ने की थी सुनवाई: प्रकरण की सुनवाई एमपी-एमएलए विषेश कोर्ट द्वारा की गयी थी. प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन की तरफ से लगभग 30 गवाह न्यायालय के समक्ष पेश किए गए थे. आरोपी गण द्वारा अपने बचाव में न्यायालय के समक्ष 8 गवाह प्रस्तुत किए गए. सुनवाई के बाद न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया गया था. इसके बाद अनावेदक ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.

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अपील सुनवाई के लिए स्वीकार: सुनवाई के दौरान अपील 60 दिनों के निर्धारित समय सीमा में दायर नहीं करने का प्रश्न उठा. आवेदक की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि, पीड़ित व्यक्तियों को अपील दायर करने के लिए 90 दिन का समय प्रदान किया गया है. युगलपीठ के प्रश्न करने पर बताया गया कि, सरकार की तरफ से आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं की गई है. इसके बाद युगलपीठ ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किया. याचिका पर प्रदेश सरकार, विधायक जालिम सिंह, उनके बेटे तथा सुरक्षा गॉर्ड को अनावेदक बनाया गया है. आवेदक की तरफ से अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडे ने पैरवी की.

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