जबलपुर। सोशल मीडिया में अयोग्य व्यक्ति द्वारा उपचार का दावा किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ताओं ने अभ्यवेदन देने के बाद कार्यवाही के लिए पर्याप्त समय नहीं देते हुए याचिका दायर कर दी. युगलपीठ ने याचिका को अपरिपक्व मानते हुए उसे खारिज कर दिया.
पब्लिसिटी के लिए सोशल मीडिया पर उपचार: मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन तथा आईएमए जबलपुर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि- "सोशल मीडिया में लोगों का उपचार करने का दावा करते हुए पब्लिसिटी की जाती है. उपचार का दावा करने वाले लोगों को पास डिग्री तक नहीं होती है. मोटापा, बाल झड़ना सहित कई गंभीर बीमारियों के ईलाज का दावा उनके द्वारा किया जाता है. पब्लिसिटी के झांसे में आकर लोगों उपचार करवाते हैं, जिससे उन्हें फायदा नहीं बल्कि समय व धन का नुकसान होता है.
मरीजों की जान से खिलवाड़: कई मामलों में ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि मरीजों की जान का खतरा उत्पन्न हो जाता है. गंभीर स्थिति में मरीज उपचार के लिए डॉक्टरों के पास आता है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया कि याचिकाकर्ता ने अप्रैल व मई माह में अभ्यावेदन दिया था. अभ्यावेदन पर कार्यवाही की लिए पर्याप्त समय नहीं देने के कारण याचिका को अपरिपक्व मानने हुए उसे खारिज कर दिया. (Jabalpur HC News)(PIL on treatment in social media)(MP Court News)