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हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दी बड़ी राहत, बीपीएल के सर्वे का काम करने पर लगाई रोक - जबलपुर हाईकोर्ट

जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश की आंगनबाड़ी सहायिकाओं से बीपीएल सर्वे कराने के काम पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की प्रांत अध्यक्ष मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Dec 5, 2019, 3:48 AM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश के जरिए आंगनबाड़ी सहायिकाओं से बीपीएल सर्वे कराने के काम पर रोक लगा दी है. इसी के साथ राज्य शासन सचिव महिला बाल विकास, आयुक्त महिला बाल विकास व कलेक्टर जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब भी किया है.

हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बीपीएल सर्वे का काम कराने पर लगाई रोक

याचिकाकर्ता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष विद्या खंगार की ओर से अधिवक्ता राजेश चांद ने हाईकोर्ट के सामने पक्ष रखा. अधिवक्ता राजेश चांद ने दलील दी कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को अपने विभागीय काम से पहले से ही अत्यंत परिश्रम करना पड़ रहा है. बावजूद इसके उन पर बीपीएल सर्वे का अतिरिक्त बोझ डालना सही नहीं है. क्योकि इससे उनका मूल कार्य भी प्रभावित होगा. लिहाजा राज्य शासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए.

हाईकोर्ट आने से पूर्व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से आईसीडीएस संबंधित कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य न कराए जाने के संबंध में संचानलय एकीकृत बाल विकास विभाग को पत्र भेजा गया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दंपति सर्वे, अंतोदय सर्वे, स्वच्छता दूत, शौचालयों की गिनती, आयोडीन नमक की जांच, गांव में कुओं की गिनती, दवा छिड़काव, जनगणना कार्य चुनाव ड्यूटी, चुनाव नामावली का कार्य और पशु सर्वे के अलावा अब बीपीएल सर्वे जैसे अतिरिक्त कार्य का बोझ डालकर परेशान करना सही नहीं था. यही वजह है कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए इन तमाम मामलों में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं. बहरहाल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बीपीएल सर्वे से अभी हाई कोर्ट ने राहत दी है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश के जरिए आंगनबाड़ी सहायिकाओं से बीपीएल सर्वे कराने के काम पर रोक लगा दी है. इसी के साथ राज्य शासन सचिव महिला बाल विकास, आयुक्त महिला बाल विकास व कलेक्टर जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब भी किया है.

हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बीपीएल सर्वे का काम कराने पर लगाई रोक

याचिकाकर्ता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष विद्या खंगार की ओर से अधिवक्ता राजेश चांद ने हाईकोर्ट के सामने पक्ष रखा. अधिवक्ता राजेश चांद ने दलील दी कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को अपने विभागीय काम से पहले से ही अत्यंत परिश्रम करना पड़ रहा है. बावजूद इसके उन पर बीपीएल सर्वे का अतिरिक्त बोझ डालना सही नहीं है. क्योकि इससे उनका मूल कार्य भी प्रभावित होगा. लिहाजा राज्य शासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए.

हाईकोर्ट आने से पूर्व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से आईसीडीएस संबंधित कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य न कराए जाने के संबंध में संचानलय एकीकृत बाल विकास विभाग को पत्र भेजा गया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दंपति सर्वे, अंतोदय सर्वे, स्वच्छता दूत, शौचालयों की गिनती, आयोडीन नमक की जांच, गांव में कुओं की गिनती, दवा छिड़काव, जनगणना कार्य चुनाव ड्यूटी, चुनाव नामावली का कार्य और पशु सर्वे के अलावा अब बीपीएल सर्वे जैसे अतिरिक्त कार्य का बोझ डालकर परेशान करना सही नहीं था. यही वजह है कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए इन तमाम मामलों में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं. बहरहाल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बीपीएल सर्वे से अभी हाई कोर्ट ने राहत दी है.

Intro:जबलपुर
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर कि एकलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश के जरिए आंगनबाड़ी सहायिकाओं से बीपीएल सर्वे कराने पर रोक लगा दी है।इसी के साथ राज्य शासन सचिव महिला बाल विकास, आयुक्त महिला बाल विकास व कलेक्टर जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब भी किया है।


Body:याचिकाकर्ता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष विद्या खंगार की ओर से अधिवक्ता राजेश चांद ने हाईकोर्ट के सामने पक्ष रखा। अधिवक्ता राजेश चांद ने दलील दी कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को अपने विभागीय काम से पहले से ही अत्यंत परिश्रम करना पड़ रहा है।इसके बावजूद उन पर बीपीएल सर्वे का अतिरिक्त बोझ डालना सही नहीं है क्योकि इससे उनका मूल कार्य भी प्रभावित होगा। लिहाजा राज्य शासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।हाईकोर्ट आने से पूर्व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से आईसीडीएस संबंधित कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य न कराए जाने के संबंध में संचानलय एकीकृत बाल विकास विभाग को पत्र भेजा गया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।


Conclusion:आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दंपति सर्वे,अंतोदय सर्वे,स्वच्छता दूत,शौचालयों की गिनती, आयोडीन नमक की जांच,गांव में कुओं की गिनती, दवा छिड़काव ल,जनगणना कार्य चुनाव ड्यूटी, चुनाव नामावली का कार्य और पशु सर्वे के अलावा अब बीपीएल सर्वे जैसे अतिरिक्त कार्य का बोझ डालकर परेशान करना सही नहीं था।यही वजह है कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए इन तमाम मामलों में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।बहरहाल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बीपीएल सर्वे से अभी हाई कोर्ट ने राहत दी है।
बाईट.1-विद्या खंगार....... प्रांतीय अध्यक्ष ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका
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