जबलपुर। 27 मई को स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध को लेकर विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण प्राधिकरण की सुनवाई जबलपुर के कलचुरी होटल में की गई. इस सुनवाई के दौरान जांच एजेंसियों ने जो तथ्य प्राधिकरण के सामने पेश किए हैं वे चौंकाने वाले हैं. जांच एजेंसियों का कहना है कि अभी भी सिमी से जुड़े कई लोग गुपचुप तरीके से संगठन के कामकाज को अंजाम दे रहे हैं. वहीं जांच एजेंसियों ने इनको स्लीपर सेल की संज्ञा दी है.
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लगभग 30 मामले प्राधिकरण के सामने रखे गए हैं. जबलपुर के सिमी से जुड़े मामलों की पैरवी करने वाले वकील नईम खान ने सिमी पर प्रतिबंध पर एतराज जताया. वहीं जिन मामलों की नईम पैरवी कर रहे हैं उनके आधार पर उनका कहना है कि लोगों को गलत तरीके से सिमी में पकड़ा गया है. प्राधिकरण ने नईम खान के दस्तावेज भी ले लिए हैं और इस मामले में उन्हें आगे भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा.
प्राधिकरण से जुड़े लॉ ऑफिसर्स का कहना है कि सिमी का नेटवर्क अब भी देश के कई राज्यों तेलगांना, हैदराबाद में अपना कामकाज कर रहा है. जांच रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि सिमी के कार्यकर्ता भले ही किसी राज्य में रहते हो लेकिन यह अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को पूरे देश में अंजाम देते रहते हैं. प्राधिकरण की सुनवाई के बाद प्राधिकरण अपनी रिपोर्ट सरकार को पेश करेगा. सभी राज्यों से इस मामले में जुड़े गवाहों और सार्वजनिक गवाहों को कलेक्ट कर इसकी सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में की जाएगी जहां सभी के पक्ष सुनने के बाद सरकार सिमी का भविष्य तय करेगी.