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ऐसी पड़ी कोरोना की मार, चौपट हुआ किराना व्यापार, खाली पड़े बाजार

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Published : Aug 7, 2020, 3:21 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 3:27 PM IST

कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद से अर्थव्यवस्था मंदी की मार झेल रही है. किराना व्यापार भी अब तक रफ्तार नहीं पकड़ पाया . लॉकडाउन के बाद से किराना व्यापारियों को मंदी की मार झेलनी पड़ रही है. जिसके चलते धंधा पूरी तरह से चौपट हो चुका है. किराना व्यापार पर देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

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जबलपुर न्यूज

जबलपुर। एक तरफ कोरोना का कहर थमने का नहीं ले रहा. तो दूसरी तरफ लॉकडाउन के बाद पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था में भी कोई सुधार नहीं हो रहा. ऐसा कोई व्यापार नहीं बचा, जो कोरोना से प्रभावित न हुआ हो. किराने के थोक व्यापार पर भी कोरोना की मार पड़ी है. आलम यह है कि किरानें की दुकानों में रखा सामान अब खराब होने लगा है.

लॉकडाउन के बाद चौपट हुआ किराना व्यापार

आधा रह गया किराना का व्यापार

जबलपुर के मुकादमगंज में किराने का सबसे बड़ा बाजार है. लेकिन इस वक्त यहां केवल खालीपन दिखाई दे रहा है. कभी यहां इतनी भीड़ हुआ करती थी कि पैर रखना भी मुश्किल हो जाता था. इस बाजार में सिर्फ जबलपुर के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी फुटकर किराना व्यापारी थोक में सामान खरीदते थे. आज इस बाजार की दशा पूरी तरह से उलट है. जबलपुर का थोक किराना बाजार महज 50% के व्यापार में ही सिमट कर रह गया.

बाजारों में नहीं दिख रही रोनक
बाजारों में नहीं दिख रही रोनक

थोक किराना व्यापार की बुरे हाल

थोक किराना व्यापारी भीमलाल गुप्ता बताते हैं कि कोरोना वायरस ने थोक किराना व्यापार को पूरी तरह से चौपट कर दिया है. कोरोना वायरस के कारण होटलों, रेस्टोरेंट बंद है. लिहाजा होटल, रेस्टोरेंट संचालक किराना सामान खरीद नहीं रहे. जबकि थोक किराना व्यापार की सबसे बड़ी कमाई का जरिया होटल और रेस्टोरेंट ही होता था. वही आम लोगों के कोरोना का असर पड़ा है. कई लोगों के वेतन कम हो गए. जिसका खामियाजा किराना व्यापार ही उठा रहा है. परिवहन बंद होने से बाहर के लोग भी सामान खरीदने नहीं आ रहे हैं.

50 प्रतिशत बचा किराना व्यापार
50 प्रतिशत बचा किराना व्यापार

साप्ताहिक हाट बाजार बंद होने से भी पड़ा प्रभाव

वही छोटे-छोटे स्थानों पर लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार बंद होने भी किराना व्यापार प्रभावित हुआ है. थोक व्यापारी भीमलाल गुप्ता का कहते है कि हाट बाजार के छोटे व्यापारियों के द्वारा लगाए जाने वाले बाजार में किराना व्यापार का भी एक बड़ा अहम किरदार होता है क्योंकि छोटे हाट व्यापारी थोक बाजार से ही बड़ी मात्रा में सामान खरीदते हैं. लेकिन अब यह भी नहीं हो रहा. इसलिए सरकार को जल्द से जल्द हॉट बाजार खोलने की दिशा में कदम उठाना चाहिए.

कम हो गई किराना सामान की डिमांड
कम हो गई किराना सामान की डिमांड

बाजार में फंसा है व्यापारियों का पेसा

छोटे किराना व्यापारी जो कि थोक बाजार से सामान खरीद कर होटल, रेस्टोरेंट,केटर्स को सामान उपलब्ध कराने का काम करते थे. उनका व्यापार भी प्रभावित हुआ है. फुटकर किराना व्यापारी आशीष अग्रवाल बताते हैं कि आज रेस्टोरेंट और होटल में ग्राहकों की आवक पूरी तरह से बंद है. जिसके चलते किराने की सामान की होटलों में खपत ही नहीं हो रही है. लिहाजा इन व्यापारियों से होटल संचालक और रेस्टोरेंट मालिकों ने किराने का सामान खरीदना बंद कर दिया है. इतना ही नहीं व्यापारियों के बड़ी रकम होटल और रेस्टोरेंट मालिकों के पास फंसी हुई है. ऐसे में होटल मालिकों इन व्यापारियों को ये दलील देते है कि जब व्यापार ही नहीं चल रहा है तो उन्हें रुपए कहां से दिए जाएं.

परेशान है किराना व्यापारी
परेशान है किराना व्यापारी

होटल और रेस्टोंरेटों के संचालक भी परेशान

होटल संचालक पिंकी जैन बताते हैं कि कोरोना वायरस के पहले तक होटलों में भारी भीड़ लगती थी. आए दिन पार्टियां होती थी और शादी विवाह के समारोह भी होटल की बुकिंग होती थी. पर जब कोरोना महामारी आई है और उसके बाद लॉकडाउन लगा तो रेस्टोरेंट और होटल का व्यापार भी पूरी तरह से चौपट हो गया. शादी विवाह की पार्टियां पूरी तरह से बंद हो गई है ऐसे में खाने पीने के लिए किराने का जो स्टॉक होटल में दो से तीन माह का होता था आज वह स्टॉक 1 सप्ताह के लिए ही बुलवाया जा रहा है.

यानि किराने के थोक व्यापारी और होटल संचालकों की अपनी-अपनी परेशानियां है. लेकिन इतना साफ है कि थोक किराने का व्यापार इस वक्त संकट के दौर से गुजर रहा है. करीब चार माह के लॉकडाउन के बाद किराना व्यापार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा. जिससे व्यापारियों के हालात बिगड़ने लगे हैं. अगर आगे भी हालात इसी तरह बने रहे तो किराना व्यापार और भी मंदी आने के आसार है.

जबलपुर। एक तरफ कोरोना का कहर थमने का नहीं ले रहा. तो दूसरी तरफ लॉकडाउन के बाद पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था में भी कोई सुधार नहीं हो रहा. ऐसा कोई व्यापार नहीं बचा, जो कोरोना से प्रभावित न हुआ हो. किराने के थोक व्यापार पर भी कोरोना की मार पड़ी है. आलम यह है कि किरानें की दुकानों में रखा सामान अब खराब होने लगा है.

लॉकडाउन के बाद चौपट हुआ किराना व्यापार

आधा रह गया किराना का व्यापार

जबलपुर के मुकादमगंज में किराने का सबसे बड़ा बाजार है. लेकिन इस वक्त यहां केवल खालीपन दिखाई दे रहा है. कभी यहां इतनी भीड़ हुआ करती थी कि पैर रखना भी मुश्किल हो जाता था. इस बाजार में सिर्फ जबलपुर के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी फुटकर किराना व्यापारी थोक में सामान खरीदते थे. आज इस बाजार की दशा पूरी तरह से उलट है. जबलपुर का थोक किराना बाजार महज 50% के व्यापार में ही सिमट कर रह गया.

बाजारों में नहीं दिख रही रोनक
बाजारों में नहीं दिख रही रोनक

थोक किराना व्यापार की बुरे हाल

थोक किराना व्यापारी भीमलाल गुप्ता बताते हैं कि कोरोना वायरस ने थोक किराना व्यापार को पूरी तरह से चौपट कर दिया है. कोरोना वायरस के कारण होटलों, रेस्टोरेंट बंद है. लिहाजा होटल, रेस्टोरेंट संचालक किराना सामान खरीद नहीं रहे. जबकि थोक किराना व्यापार की सबसे बड़ी कमाई का जरिया होटल और रेस्टोरेंट ही होता था. वही आम लोगों के कोरोना का असर पड़ा है. कई लोगों के वेतन कम हो गए. जिसका खामियाजा किराना व्यापार ही उठा रहा है. परिवहन बंद होने से बाहर के लोग भी सामान खरीदने नहीं आ रहे हैं.

50 प्रतिशत बचा किराना व्यापार
50 प्रतिशत बचा किराना व्यापार

साप्ताहिक हाट बाजार बंद होने से भी पड़ा प्रभाव

वही छोटे-छोटे स्थानों पर लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार बंद होने भी किराना व्यापार प्रभावित हुआ है. थोक व्यापारी भीमलाल गुप्ता का कहते है कि हाट बाजार के छोटे व्यापारियों के द्वारा लगाए जाने वाले बाजार में किराना व्यापार का भी एक बड़ा अहम किरदार होता है क्योंकि छोटे हाट व्यापारी थोक बाजार से ही बड़ी मात्रा में सामान खरीदते हैं. लेकिन अब यह भी नहीं हो रहा. इसलिए सरकार को जल्द से जल्द हॉट बाजार खोलने की दिशा में कदम उठाना चाहिए.

कम हो गई किराना सामान की डिमांड
कम हो गई किराना सामान की डिमांड

बाजार में फंसा है व्यापारियों का पेसा

छोटे किराना व्यापारी जो कि थोक बाजार से सामान खरीद कर होटल, रेस्टोरेंट,केटर्स को सामान उपलब्ध कराने का काम करते थे. उनका व्यापार भी प्रभावित हुआ है. फुटकर किराना व्यापारी आशीष अग्रवाल बताते हैं कि आज रेस्टोरेंट और होटल में ग्राहकों की आवक पूरी तरह से बंद है. जिसके चलते किराने की सामान की होटलों में खपत ही नहीं हो रही है. लिहाजा इन व्यापारियों से होटल संचालक और रेस्टोरेंट मालिकों ने किराने का सामान खरीदना बंद कर दिया है. इतना ही नहीं व्यापारियों के बड़ी रकम होटल और रेस्टोरेंट मालिकों के पास फंसी हुई है. ऐसे में होटल मालिकों इन व्यापारियों को ये दलील देते है कि जब व्यापार ही नहीं चल रहा है तो उन्हें रुपए कहां से दिए जाएं.

परेशान है किराना व्यापारी
परेशान है किराना व्यापारी

होटल और रेस्टोंरेटों के संचालक भी परेशान

होटल संचालक पिंकी जैन बताते हैं कि कोरोना वायरस के पहले तक होटलों में भारी भीड़ लगती थी. आए दिन पार्टियां होती थी और शादी विवाह के समारोह भी होटल की बुकिंग होती थी. पर जब कोरोना महामारी आई है और उसके बाद लॉकडाउन लगा तो रेस्टोरेंट और होटल का व्यापार भी पूरी तरह से चौपट हो गया. शादी विवाह की पार्टियां पूरी तरह से बंद हो गई है ऐसे में खाने पीने के लिए किराने का जो स्टॉक होटल में दो से तीन माह का होता था आज वह स्टॉक 1 सप्ताह के लिए ही बुलवाया जा रहा है.

यानि किराने के थोक व्यापारी और होटल संचालकों की अपनी-अपनी परेशानियां है. लेकिन इतना साफ है कि थोक किराने का व्यापार इस वक्त संकट के दौर से गुजर रहा है. करीब चार माह के लॉकडाउन के बाद किराना व्यापार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा. जिससे व्यापारियों के हालात बिगड़ने लगे हैं. अगर आगे भी हालात इसी तरह बने रहे तो किराना व्यापार और भी मंदी आने के आसार है.

Last Updated : Aug 7, 2020, 3:27 PM IST
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