जबलपुर। गणेश चतुर्थी के मौके पर सभी गणेश मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है. जबलपुर के ग्वारीघाट में एक ऐसा अनोखा गणेश मंदिर है, जहां सरकारी दफ्तरों की तरह ही अर्जी लगाई जाती है. सरकारी दफ्तरों में लगी अर्जी पूरी हो या ना हो, लेकिन जबलपुर के सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में लगी अर्जी जरूर पूरी होती है. हर साल गणेश उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु आते हैं, और गजानन के सामने अपनी अर्जी लगाते हैं. ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट में भगवान गणेश के इस प्राचीन मंदिर के बारे में जानें...
ऐसे लगाई जाती है गजानन के सामने अर्जी
श्रद्धालु मंदिर में बैठे पुजारियों के रजिस्टर में अपनी मनोकामना लिखवाते हैं. श्रद्धालुओं की मनोकामना जिस नंबर से लिखी जाती है, उस नंबर की एक पर्ची एक नारियल से बांधकर भगवान के चरणों में समर्पित कर दी जाती है. लोगों का ऐसा मानना है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं भगवान सुन लेते हैं और उन्हें पूरा कर देते हैं. मनोकामनाएं से जुड़े हुए ऐसे ही हजारों नारियल यहां रखे हुए हैं. 30-40 सालों से जबलपुर के सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में इसी तरीके से लोग अर्जी लगाते रहे हैं. जब भी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह दोबारा मंदिर जाते हैं, और पूजा-अर्चना कर उन्हें धन्यवाद देते हैं.
गणेश मंदिर में हर अर्जी होती है पूरी
जबलपुर के सिद्धि विनायक मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं. जबलपुर के आदर्श नगर में रहने वाली किटी नारंग नाम की एक महिला ने बताया कि जब उनके बच्चे पढ़ रहे थे, तब उन्होंने इस गणेश मंदिर में अर्जी लगाई थी. उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी नौकरी मिल जाने की अर्जी लगाई थी. किटी नारंग बताती हैं कि उनकी अर्जी पूरी हुई है. उनके बच्चे आज सुख और समृद्धि से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. किटी नारंग का मानना है कि यह सब भगवान गणेश की कृपा है, जिसकी वजह से उन्हें यह सुख और समृद्धि मिली.
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- सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश उत्सव के दिनों में खासी भीड़ होती है. आसपास के इलाकों के साथ ही बाहर से भी लोग इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन और पूजा-पाठ के लिए आते हैं. यह मंदिर जबलपुर के ग्वारीघाट के पास स्थित है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर की खुदाई के दौरान एक पुरानी मूर्ति भी यहां मिली थी.