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Fake Remdesivir Case: करोड़पति बनने के लालच में लोगों की जिंदगी से किया खिलवाड़

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कई बड़े खुलासे किए हैं. पूछताछ में पता चला है कि जबलपुर में सरबजीत सिंह मोखा की सहमति के बाद ही नकली इंजेक्शन का ऑर्डर बुक किया गया था.

Fake Remdesivir Case
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन
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Published : Jun 19, 2021, 2:55 AM IST

Updated : Jun 19, 2021, 3:04 AM IST

जबलपुर। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में गुजरात से लाए गए आरोपियों की रिमांड के बाद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. काले कारोबार के चारों गुनाहगारों ने जबलपुर पुलिस के सामने कई अहम सवालों पर अपना कबूलनामा पेश किया है. वहीं सबसे बड़ा खुलासा सिटी हॉस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा से जुड़ा हुआ सामने आया है. जहां यह बात निकल कर आई है कि मोखा की सहमति पर ही इंजेक्शन का ऑर्डर बुक कराया गया था.

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन

गुजरात से जबलपुर लाए गए मामले के आरोपी कौशल बोरा, पुनीत शाह, सुनील मिश्रा और सपन जैन की 4 दिन की पुलिस रिमांड मंजूर हुई है. आरोपियों ने कबूल किया है कि उनके द्वारा 10 हजार 500 शीशियां बनाई गई थी, जिनमें से लगभग 8 हजार शीशियां बाजार में खपाते हुए सिटी अस्पताल जबलपुर में 500 नकली इंजेक्शन दिए, जबकि इंदौर में 700 के अलावा गुजरात और मुम्बई में शेष शीशियों को बेचा था.

15 लाख रुपये में तय हुआ था सौदा

लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले इस काले कारोबार से लगभग 1 करोड़ 80 लाख रुपये कमाने की बात भी आरोपियों ने स्वीकार की है. एसआईटी की पूछताछ में पुनीत शाह ने बताया है कि सुनील मिश्रा ने राकेश शर्मा के माध्यम से भगवती फार्मा के मालिक सपन जैन को नकली इंजेक्शन सप्लाई किये गए थे. यह पूरा सौदा नगद 15 लाख रुपये में तय हुआ था.

Fake Remdesivir Case
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन

करोड़पति बनने की चाहत में किया जुर्म

आरोपियों की पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि तीनों ने आपदा में अवसर खोजा और गोरखधंधे को अंजाम देते हुए लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया. सुनील मिश्रा और पुनीत शाह ने अपना जुर्म कबूलते हुए एसआईटी को बताया कि वह इस काले खेल से दूर ही रहना चाहते थे, लेकिन जल्द से जल्द करोड़पति बनने के लालच में इस दलदल में कूद गए. एसआईटी को सुनील मिश्रा ने यह भी बताया कि वह यूपीएससी में असफल हो गया था. इसकी तैयारी में काफी पैसा खर्च हुआ था, उसकी भरपाई के लिए वह इस धंधे में उतरा आया. इसी तरह पुनीत पर 50 लाख का कर्जा है, उसे चुकाने के लिए वह नकली इंजेक्शन का व्यापार करने लगा.

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इसलिए चुना नकली इंजेक्शन का कारोबार

इसी तरह कौशल बोरा भी अफ्रीका, मॉरीशस सहित सरकारी कार्यालयों में काम कर चुका है, लेकिन वहां के वेतन से नाखुश कौशल बहुत जल्द करोड़पति बनना चाहता था इसलिए उसने नकली इंजेक्शन के कारोबार को चुना।

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गौरतलब है कि गुजरात से एसआईटी ने चारों आरोपी नकली फार्मा के संचालक कौशल वोरा, पुनीत शाह, रीवा निवासी सुनील मिश्रा और जबलपुर अधारताल निवासी भगवती फार्मा के संचालक सपन जैन को प्रोटक्शन वारंट पर लाई है. चारों जबलपुर के ओमती में दर्ज नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में नामजद आरोपी हैं. चारों आरोपियों से एसआईटी लगातर पूछताछ कर रही है.

जबलपुर। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में गुजरात से लाए गए आरोपियों की रिमांड के बाद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. काले कारोबार के चारों गुनाहगारों ने जबलपुर पुलिस के सामने कई अहम सवालों पर अपना कबूलनामा पेश किया है. वहीं सबसे बड़ा खुलासा सिटी हॉस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा से जुड़ा हुआ सामने आया है. जहां यह बात निकल कर आई है कि मोखा की सहमति पर ही इंजेक्शन का ऑर्डर बुक कराया गया था.

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन

गुजरात से जबलपुर लाए गए मामले के आरोपी कौशल बोरा, पुनीत शाह, सुनील मिश्रा और सपन जैन की 4 दिन की पुलिस रिमांड मंजूर हुई है. आरोपियों ने कबूल किया है कि उनके द्वारा 10 हजार 500 शीशियां बनाई गई थी, जिनमें से लगभग 8 हजार शीशियां बाजार में खपाते हुए सिटी अस्पताल जबलपुर में 500 नकली इंजेक्शन दिए, जबकि इंदौर में 700 के अलावा गुजरात और मुम्बई में शेष शीशियों को बेचा था.

15 लाख रुपये में तय हुआ था सौदा

लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले इस काले कारोबार से लगभग 1 करोड़ 80 लाख रुपये कमाने की बात भी आरोपियों ने स्वीकार की है. एसआईटी की पूछताछ में पुनीत शाह ने बताया है कि सुनील मिश्रा ने राकेश शर्मा के माध्यम से भगवती फार्मा के मालिक सपन जैन को नकली इंजेक्शन सप्लाई किये गए थे. यह पूरा सौदा नगद 15 लाख रुपये में तय हुआ था.

Fake Remdesivir Case
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन

करोड़पति बनने की चाहत में किया जुर्म

आरोपियों की पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि तीनों ने आपदा में अवसर खोजा और गोरखधंधे को अंजाम देते हुए लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया. सुनील मिश्रा और पुनीत शाह ने अपना जुर्म कबूलते हुए एसआईटी को बताया कि वह इस काले खेल से दूर ही रहना चाहते थे, लेकिन जल्द से जल्द करोड़पति बनने के लालच में इस दलदल में कूद गए. एसआईटी को सुनील मिश्रा ने यह भी बताया कि वह यूपीएससी में असफल हो गया था. इसकी तैयारी में काफी पैसा खर्च हुआ था, उसकी भरपाई के लिए वह इस धंधे में उतरा आया. इसी तरह पुनीत पर 50 लाख का कर्जा है, उसे चुकाने के लिए वह नकली इंजेक्शन का व्यापार करने लगा.

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इसलिए चुना नकली इंजेक्शन का कारोबार

इसी तरह कौशल बोरा भी अफ्रीका, मॉरीशस सहित सरकारी कार्यालयों में काम कर चुका है, लेकिन वहां के वेतन से नाखुश कौशल बहुत जल्द करोड़पति बनना चाहता था इसलिए उसने नकली इंजेक्शन के कारोबार को चुना।

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गौरतलब है कि गुजरात से एसआईटी ने चारों आरोपी नकली फार्मा के संचालक कौशल वोरा, पुनीत शाह, रीवा निवासी सुनील मिश्रा और जबलपुर अधारताल निवासी भगवती फार्मा के संचालक सपन जैन को प्रोटक्शन वारंट पर लाई है. चारों जबलपुर के ओमती में दर्ज नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में नामजद आरोपी हैं. चारों आरोपियों से एसआईटी लगातर पूछताछ कर रही है.

Last Updated : Jun 19, 2021, 3:04 AM IST
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