जबलपुर। सड़क किनारे और फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने को मजबूर बेबस परिवारों को आश्रय देने के काम में तेजी आ गई है. पिछले दिनों ही एक बेबस रिक्शा चालक की खबर प्रमुखता से प्रसारित की गई थी, जिसमें एक लाचार पिता एक हाथ से अपने मासूम बेटे को संभाले हुए था और दूसरे हाथ से रिक्शा का हैंडल थामे हुए था. जिंदगी की जद्दोजहद करते इस लाचार पिता की कहानी ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाई थी. इसके बाद परिवार और बच्चों के साथ सड़क किनारे जीवन गुजारने वाले निराश्रित और निर्धन परिवारों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम तेजी से किया जा रहा है. (Jabalpur Rain Basera)
रैन बसेरा में निराश्रित परिवारों को मिल रही जगह: कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी के निर्देशों के बाद नगर निगम प्रशासन भी इस काम में मुस्तैदी से लगा हुआ है. स्वयंसेवी संस्थाओं और अतिक्रमण विभाग के दस्ते के सहयोग से सड़कों के किनारे जिंदगी गुजार रहे लोगों की पहचान की जा रही है. ऐसे लोगों की वजह से न केवल सड़क हादसों का अंदेशा बना रहता है, बल्कि शहर की तस्वीर भी बदरंग नजर आती है. लिहाजा नगर निगम की कई टीमों ने सरकारी प्रावधानों के तहत ऐसे परिवारों के बीच पहुंचकर उन्हें रैन बसेरा और अन्य आश्रय स्थलों में रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. (Jabalpur Municipal Corporation Help Poor People)
निर्धन परिवारों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम: नगर निगम की सहायक आयुक्त और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन यानी एनयूएलएम की प्रभारी अंकिता जैन के मुताबिक रोजाना बड़ी तादाद में निराश्रित और निर्धन परिवारों को रैन बसेरों में भेजने की कार्रवाई की जा रही है. कलेक्ट्रेट, हाई कोर्ट, मुख्य रेलवे स्टेशन के अलावा अन्य सार्वजनिक स्थलों और बाजार इलाकों में भी अभियान चलाकर ऐसे परिवारों को रैन बसेरों में आश्रय दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कलेक्टर ने हाल ही में ऐसे परिवारों को सरकार की अन्य योजनाओं का फायदा दिलाने के भी निर्देश दिए हैं. लिहाजा इस दिशा में भी तेजी से काम किया जा रहा है. (Jabalpur Footpath Families Shifted to Shelter)