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सावधानी और सुरक्षा से कैंट बोर्ड ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर लगाई लगाम

जबलपुर में भी कोरोना का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है. जिसके लिए काफी हद शहरों की अव्यवस्था भी जिम्मेदार है. शहर के छावनी परिषद यानि कैंटोनमेंट बोर्ड में सभी व्यवस्थाओं के ठीक होने से यहां कोरोना का प्रकोप शहर की तुलना में कम है. कैंट बोर्ड पूरी सावधानी से यहां व्यवस्थाएं बनाए हुए है.

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छावनी परिषद जबलपुर
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Published : Jul 25, 2020, 12:31 PM IST

जबलपुर। पूरे देश में कोरोना कहर बरपा रहा है. लेकिन कुछ जगह ऐसी भी हैं, जहां साफ-सफाई और सावधानी बरतने से कोरोना का खतरा कम है. जबलपुर का कैंटोनमेंट बोर्ड साफ सफाई खूबसूरत चौराहों और व्यवस्थित बाजार की वजह से पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. साफ सफाई की वजह से इस इलाके में बीमारी का प्रकोप कम है.

कैंट बोर्ड में रहती है साफ-सफाई
कैंट बोर्ड में रहती है साफ-सफाई

जबलपुर का लगभग 33% भूभाग कैंट बोर्ड के पास है. हालांकि कैंट बोर्ड की आबादी बहुत कम है. यहां मात्र 70 हजार लोग ही रहते हैं. इस क्षेत्र की वसाहट अंग्रेजों के समय की है. यहां गंदगी कम नजर आती है. कम लोगों को सुविधा देने के हिसाब से कैंट बोर्ड के पास पर्याप्त संसाधन हैं, इसलिए बोर्ड लोगों को बहुत शानदार सुविधाएं देता है.

गंदगी न होने से नहीं रहता बीमारियों का खतरा
गंदगी न होने से नहीं रहता बीमारियों का खतरा

नहीं होती इलाके में गंदगी

कैंट बोर्ड में आपको कहीं भी गंदगी नजर नहीं आएगी. बारिश के दौरान जबलपुर का ये एक मात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां पानी का जमाव नहीं होता. यहां पूरा स्ट्रक्चर अंग्रेजों के समय बनाया गया था. कैंट बोर्ड में भी कचरा निस्तारण के लिए हर घर से कचरा कलेक्ट करता है. यही वजह है कि यहां गंदगी नहीं होती.

सावधानी और सुरक्षा से कैंट बोर्ड ने कोरोना पर लगाई लगाम,

रक्षा मंत्रालय के तहत आता है कैंटोनमेंट बोर्ड

कैंट बोर्ड रक्षा मंत्रालय के तहत आता है. हालांकि जबलपुर नगर निगम का इलाका भी कैंट बोर्ड से ही सटा हुआ है, लेकिन दोनों क्षेत्रों में जमीन आसमान का फर्क नजर आता है. जबलपुर शहर में हर साल कोई ना कोई महामारी पैर पसारती है, लेकिन कैंट बोर्ड अपनी व्यवस्थाओं के चलते इलाके में कम ही बीमारियों का प्रकोप होता है. कैंट बोर्ड को देखकर ऐसा लगता है कि, जबलपुर दो अलग-अलग शहरों में बंटा हुआ है, एक कैंट बोर्ड का सुंदर शहर है और दूसरा जबलपुर नगर निगम का अव्यवस्थित शहर.

हालांकि कंटोनमेंट बोर्ड के पास हर छोटी और बड़ी चीज के लिए पर्याप्त बजट होता है. रक्षा मंत्रालय कैंटोनमेंट बोर्ड को पर्याप्त जरुरत के सभी फंड देती है. जबकि दूसरे विभागों के पास पर्याप्त पैसा नहीं होता, इसलिए कैंट बोर्ड की सुविधाएं आम शहरों से बेहतर होती हैं.

जबलपुर। पूरे देश में कोरोना कहर बरपा रहा है. लेकिन कुछ जगह ऐसी भी हैं, जहां साफ-सफाई और सावधानी बरतने से कोरोना का खतरा कम है. जबलपुर का कैंटोनमेंट बोर्ड साफ सफाई खूबसूरत चौराहों और व्यवस्थित बाजार की वजह से पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. साफ सफाई की वजह से इस इलाके में बीमारी का प्रकोप कम है.

कैंट बोर्ड में रहती है साफ-सफाई
कैंट बोर्ड में रहती है साफ-सफाई

जबलपुर का लगभग 33% भूभाग कैंट बोर्ड के पास है. हालांकि कैंट बोर्ड की आबादी बहुत कम है. यहां मात्र 70 हजार लोग ही रहते हैं. इस क्षेत्र की वसाहट अंग्रेजों के समय की है. यहां गंदगी कम नजर आती है. कम लोगों को सुविधा देने के हिसाब से कैंट बोर्ड के पास पर्याप्त संसाधन हैं, इसलिए बोर्ड लोगों को बहुत शानदार सुविधाएं देता है.

गंदगी न होने से नहीं रहता बीमारियों का खतरा
गंदगी न होने से नहीं रहता बीमारियों का खतरा

नहीं होती इलाके में गंदगी

कैंट बोर्ड में आपको कहीं भी गंदगी नजर नहीं आएगी. बारिश के दौरान जबलपुर का ये एक मात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां पानी का जमाव नहीं होता. यहां पूरा स्ट्रक्चर अंग्रेजों के समय बनाया गया था. कैंट बोर्ड में भी कचरा निस्तारण के लिए हर घर से कचरा कलेक्ट करता है. यही वजह है कि यहां गंदगी नहीं होती.

सावधानी और सुरक्षा से कैंट बोर्ड ने कोरोना पर लगाई लगाम,

रक्षा मंत्रालय के तहत आता है कैंटोनमेंट बोर्ड

कैंट बोर्ड रक्षा मंत्रालय के तहत आता है. हालांकि जबलपुर नगर निगम का इलाका भी कैंट बोर्ड से ही सटा हुआ है, लेकिन दोनों क्षेत्रों में जमीन आसमान का फर्क नजर आता है. जबलपुर शहर में हर साल कोई ना कोई महामारी पैर पसारती है, लेकिन कैंट बोर्ड अपनी व्यवस्थाओं के चलते इलाके में कम ही बीमारियों का प्रकोप होता है. कैंट बोर्ड को देखकर ऐसा लगता है कि, जबलपुर दो अलग-अलग शहरों में बंटा हुआ है, एक कैंट बोर्ड का सुंदर शहर है और दूसरा जबलपुर नगर निगम का अव्यवस्थित शहर.

हालांकि कंटोनमेंट बोर्ड के पास हर छोटी और बड़ी चीज के लिए पर्याप्त बजट होता है. रक्षा मंत्रालय कैंटोनमेंट बोर्ड को पर्याप्त जरुरत के सभी फंड देती है. जबकि दूसरे विभागों के पास पर्याप्त पैसा नहीं होता, इसलिए कैंट बोर्ड की सुविधाएं आम शहरों से बेहतर होती हैं.

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