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Special Flower: इस दुर्लभ फूल को तोड़ने पर लगता है पाप, करोड़ों पेड़ में मिलता है शिव-स्वरुप वृक्ष! - satna majhgawan yellow palash tesu flower

गर्मियों में लोग दूर-दूर से यहां इस पेड़ के फूल को देखने आते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका फूल खजाने में रखने से खजाना कभी खाली नहीं होता है. तंत्र-साधना में भी इस फूल का इस्तेमाल होता है. इसे देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जाता है.(Satna Majhgawan yellow Palash tesu flower)

Satna Majhgawan yellow Palash tesu flower
सतना में पीला पलाश का फूल
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Published : Jun 27, 2022, 5:37 AM IST

सतना : गर्मी के दिनों में पलाश का फूल जंगलों की शोभा बढ़ाता है. पलाश के पेड़ में लगने वाला टेसू का फूल (Tesu flower) शास्त्रों में तीन रंग लाल, सफेद और पीले रंग का बताया गया है. लेकिन सफेद और पीला फूल का खिलना किसी अजूबे (Rare yellow palash flower) से कम नहीं होता है. मध्य प्रदेश के सतना जिले के मझगवां (Satna Majhgawan yellow Palash tesu flower) क्षेत्र में एक पेड़ ऐसा है, जिसमें पीले रंग का फूल खिलता है. लोगों की मान्यता है कि इस पेड़ के फूल तोड़ने वाले को पाप लगता है. इसलिए लोग फूल तोड़ते नहीं है, बल्कि जो फूल अपने आप नीचे गिर जाते हैं उन्हें लोग अपने घर ले जाते हैं और बड़ी ही श्रद्धा के साथ पूजा स्थल पर रखते हैं.

सतना में पीला पलाश का फूल

पलाश का पेड़ भारत में अधिकांश भागों में पाया जाता है. इसके फूलों को टेसू के फूल (Tesu ka fool) के नाम से भी जाना जाता है. लाल पलाश के पुष्प को जहां उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में राजकीय पुष्प का दर्जा देकर सम्मान दिया गया है, तो वहीं दुर्लभ प्रजाति के पीले रंग के फूल वाले पलाश को संरक्षित किया जा रहा है. सतना में खिला पलाश का पीला फूल (Tesu ka phool) लोगों के लिए कौतूहल (Rare tree flower ) का विषय बना हुआा है. गर्मियों में लोग दूर-दूर से यहां इस पेड़ के फूल को देखने आते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका फूल खजाने में रखने से खजाना कभी खाली नहीं होता है. तंत्र-साधना में भी इस फूल का इस्तेमाल होता है. इसे देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जाता है.

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पलाश का फूल तोड़ने से लगता है पाप: स्थानीय लोग इसे शिव पलाश भी कहते हैं. लोगों की मान्यता है कि इसके फूल तोड़ने वाले को पाप लगता है. इसलिए लोग फूल तोड़ते नहीं है, बल्कि जो फूल अपने आप नीचे गिर जाते हैं उन्हें लोग अपने घर ले जाते हैं और पूजा स्थल पर रखते हैं. हिंदू धर्म में पलाश को पवित्र वृक्षों की श्रेणी में रखा जाता है. फूलों को विशेष रूप से भगवान शिव को भी चढ़ाया जाता है. पलाश के पेड़ में लगने वाला टेसू का फूल शास्त्रों में तीन रंग लाल, सफेद और पीले रंग में खिलने का उल्लेख है लेकिन सफेद और पीला फूल (Rare yellow palash flower) का खिलना किसी अजूबे से कम नहीं होता है.

वन विभाग ने पेड़ को संरक्षित किया है: लोगों की मानें तो ये फूल अजूबा है. पीले पलाश के इस पेड़ को वन विभाग ने संरक्षित (Protected by forest department Satna) कर रखा है और बकायदा साइन बोर्ड लगा रखा है. वनस्पति शास्त्र (Botany) के जानकार (Professor guru prasad richaria Botanist) भी इसे अजूबा ही मानते हैं. इसका एक अलग ही महत्व है. ये गंभीर रोगों में इस्तेमाल किया जाता है. (Satna palash yellow flower) इस फूल का उपयोग जड़ी बूटियों और दवा बनाने में किया जाता है. पौधे के विभिन्न भागों जैसे फूल, छाल, पत्ती और बीज का उपयोग औषधी के लिए किया जाता है. लोग इस पेड़ के फूल को चुनकर ले जाते हैं.

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सतना : गर्मी के दिनों में पलाश का फूल जंगलों की शोभा बढ़ाता है. पलाश के पेड़ में लगने वाला टेसू का फूल (Tesu flower) शास्त्रों में तीन रंग लाल, सफेद और पीले रंग का बताया गया है. लेकिन सफेद और पीला फूल का खिलना किसी अजूबे (Rare yellow palash flower) से कम नहीं होता है. मध्य प्रदेश के सतना जिले के मझगवां (Satna Majhgawan yellow Palash tesu flower) क्षेत्र में एक पेड़ ऐसा है, जिसमें पीले रंग का फूल खिलता है. लोगों की मान्यता है कि इस पेड़ के फूल तोड़ने वाले को पाप लगता है. इसलिए लोग फूल तोड़ते नहीं है, बल्कि जो फूल अपने आप नीचे गिर जाते हैं उन्हें लोग अपने घर ले जाते हैं और बड़ी ही श्रद्धा के साथ पूजा स्थल पर रखते हैं.

सतना में पीला पलाश का फूल

पलाश का पेड़ भारत में अधिकांश भागों में पाया जाता है. इसके फूलों को टेसू के फूल (Tesu ka fool) के नाम से भी जाना जाता है. लाल पलाश के पुष्प को जहां उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में राजकीय पुष्प का दर्जा देकर सम्मान दिया गया है, तो वहीं दुर्लभ प्रजाति के पीले रंग के फूल वाले पलाश को संरक्षित किया जा रहा है. सतना में खिला पलाश का पीला फूल (Tesu ka phool) लोगों के लिए कौतूहल (Rare tree flower ) का विषय बना हुआा है. गर्मियों में लोग दूर-दूर से यहां इस पेड़ के फूल को देखने आते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका फूल खजाने में रखने से खजाना कभी खाली नहीं होता है. तंत्र-साधना में भी इस फूल का इस्तेमाल होता है. इसे देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जाता है.

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पलाश का फूल तोड़ने से लगता है पाप: स्थानीय लोग इसे शिव पलाश भी कहते हैं. लोगों की मान्यता है कि इसके फूल तोड़ने वाले को पाप लगता है. इसलिए लोग फूल तोड़ते नहीं है, बल्कि जो फूल अपने आप नीचे गिर जाते हैं उन्हें लोग अपने घर ले जाते हैं और पूजा स्थल पर रखते हैं. हिंदू धर्म में पलाश को पवित्र वृक्षों की श्रेणी में रखा जाता है. फूलों को विशेष रूप से भगवान शिव को भी चढ़ाया जाता है. पलाश के पेड़ में लगने वाला टेसू का फूल शास्त्रों में तीन रंग लाल, सफेद और पीले रंग में खिलने का उल्लेख है लेकिन सफेद और पीला फूल (Rare yellow palash flower) का खिलना किसी अजूबे से कम नहीं होता है.

वन विभाग ने पेड़ को संरक्षित किया है: लोगों की मानें तो ये फूल अजूबा है. पीले पलाश के इस पेड़ को वन विभाग ने संरक्षित (Protected by forest department Satna) कर रखा है और बकायदा साइन बोर्ड लगा रखा है. वनस्पति शास्त्र (Botany) के जानकार (Professor guru prasad richaria Botanist) भी इसे अजूबा ही मानते हैं. इसका एक अलग ही महत्व है. ये गंभीर रोगों में इस्तेमाल किया जाता है. (Satna palash yellow flower) इस फूल का उपयोग जड़ी बूटियों और दवा बनाने में किया जाता है. पौधे के विभिन्न भागों जैसे फूल, छाल, पत्ती और बीज का उपयोग औषधी के लिए किया जाता है. लोग इस पेड़ के फूल को चुनकर ले जाते हैं.

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