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Shukra Pradosh Vrat : वैभवशाली जीवन, वैवाहिक सुख का आशीर्वाद मिलेगा इस व्रत को करने से, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

भगवान शिव (Lord Shiv ji) सामान्य जलाभिषेक और पूजा-अर्चना से ही खुश हो जाते हैं. प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत (Shukra pradosh vrat may 2022 remedies time puja vidhi importance) किया जाता है. भगवान शिव प्रदोष व्रत करने वाले अपने भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं. 27 मई को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुक्रवार (Friday) को पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra pradosh vrat May) कहते हैं.

shukra pradosh vrat 27 may 2022 monthly pradosh vrat
मासिक प्रदोष व्रत 27 मई 2022 शुक्र प्रदोष व्रत
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Published : May 26, 2022, 5:37 PM IST

Updated : May 27, 2022, 12:39 PM IST

ईटीवी भारत डेस्क : हिंदू धर्म में त्रयोदशी को बेहद शुभ माना जाता है. त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित है और त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) के दिन प्रदोष व्रत (Shukra pradosh vrat May) किया जाता है. त्रयोदशी प्रत्येक महीने दो बार आती है. प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है इसलिए प्रदोष व्रत भी महीने में दो बार किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन विधि पूर्वक भगवान शिव (Lord shiva ji) की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव (Lord Shiv ji) केवल सामान्य जलाभिषेक और पूजा-अर्चना से ही खुश हो जाते हैं. प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ और फलदाई माना जाता है. प्रदोष व्रत करने से संतान और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती, विशेषकर चंद्र ग्रह के दोष दूर होते हैं, भगवान शिव (God shiva ji) की प्रसन्नता लिए प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि (Mashik Pradosh vrat May) करना अति उत्तम होता है.

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मिलता है ये लाभ: पंचाग के अनुसार जिस दिन त्रयोदशी तिथि होती है, उसी दिन के नाम पर प्रदोष व्रत का नाम होता है. जैसे इस बार 27 मई को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत का महात्म्य (Shukra pradosh vrat may 2022 remedies time puja vidhi importance) शुक्र को होने से और अधिक बढ़ जाता है. जिन की कुंडली में शुक्र ग्रह खराब होता है, उन्हें विशेष तौर पर ये व्रत करना चाहिये. शुक्र ग्रह अच्छा होने से जीवन में सुख-वैभव, समृद्धि आती है और वैवाहिक सुख मिलता है, आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

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शुक्र प्रदोष व्रत कथा: स्कंद पुराण के अनुसार, प्राचीन समय में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ प्रतिदिन भिक्षा मांगने के लिए सुबह की निकलती और शाम को वापस लौट कर आती. रोजाना की तरह वह एक दिन जब भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसने नदी के पास एक बहुत ही सुंदर बालक को देखा. उस ब्राह्मणी को यह नहीं पता था कि वह धर्मगुप्त नामक बालक विदर्भ देश का राजकुमार था, जिसके पिता को शत्रुओं ने युद्ध के दौरान मार डाला था. शत्रुओं ने धर्मगुप्त के राज्य को भी हथिया लिया था. धर्मगुप्त की माता भी अपने पति यानी विदर्भ देश के राजा की मृत्यु के दुख में चल बसी थी.

बालक की दशा देखकर विधवा ब्राह्मणी के मन ममता उमड़ आई. वह धर्मगुप्त को अपने घर ले गई और अपने बेटे की तरह ही पालन-पोषण किया. थोड़े दिनों के बाद वह ब्राह्मणी अपने पुत्र और धर्मगुप्त के साथ देव मंदिर गई, जहां वह ऋषि शांडिल्य से मिली. ऋषि शांडिल्य अपने बुद्धि और विवेक के लिए चर्चित थे. ऋषि शांडिल्य ने ही विधवा ब्राह्मणी को धर्मगुप्त के माता-पिता की मृत्यु से जुड़ी कहानी बताई. इसके बाद ऋषि शांडिल्य ने उस ब्राह्मणी और दोनों बच्चों को प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार से समझाया. ऋषि शांडिल्य से संपूर्ण विधि-विधान को सुनने के बाद उस ब्राह्मणी और दोनों बच्चों ने व्रत संपन्न किया लेकिन उन्हें इस व्रत के फल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

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कुछ दिन बाद जब दोनों बालक वन में घूम रहे थे तब उन्होंने वहां बेहद खूबसूरत गंधर्व कन्याओं को देखा. उन गंधर्व कन्याओं में से एक अंशुमती पर राजकुमार धर्मगुप्त का दिल आ गया. कुछ समय बाद अंशुमती और धर्मगुप्त एक दूसरे के प्यार में पड़ गए.अंशुमती ने शादी की इच्छा के कारण धर्मगुप्त को अपने पिता गंधर्वराज से मिलने के लिए बुलाया. इसके बाद जब अंशुमती के पिता को यह बात पता चली कि धर्मगुप्त विदर्भ देश का राजकुमार है तो उन्होंने भगवान भोलेनाथ की आज्ञा से उन दोनों की शादी करवा दी.

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शादी के बाद धर्मगुप्त ने दोबारा संघर्ष करके अपनी सेना बनाई और राज्य पर अपना आधिपत्य प्राप्त कर लिया. कुछ समय के बाद धर्मगुप्त को ज्ञात हुआ कि उन्हें यह सब प्रदोष व्रत के फलस्वरूप ही मिला है। उनकी सच्ची श्रद्धा और व्रत से खुश होकर भगवान भोलेनाथ में उन्हें ये फल दिया है. तब से यह मान्यता है कि जो कोई भी प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करेगा. साथ ही ये कथा पढ़ेगा या सुनेगा, उसे अगले 100 वर्षों तक सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी.

शुक्र प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण समय (Shukra pradosh shubh muhurat)

व्रत- शुक्र प्रदोष व्रत, 27 मई 2022

सूर्योदय- सुबह 06:39 बजे

सूर्यास्त- शाम 05:39 बजे

शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 6:50 से 8:57 तक

राहुकाल- सुबह 10:32 बजे से 12:17 बजे तक

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ईटीवी भारत डेस्क : हिंदू धर्म में त्रयोदशी को बेहद शुभ माना जाता है. त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित है और त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) के दिन प्रदोष व्रत (Shukra pradosh vrat May) किया जाता है. त्रयोदशी प्रत्येक महीने दो बार आती है. प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है इसलिए प्रदोष व्रत भी महीने में दो बार किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन विधि पूर्वक भगवान शिव (Lord shiva ji) की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव (Lord Shiv ji) केवल सामान्य जलाभिषेक और पूजा-अर्चना से ही खुश हो जाते हैं. प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ और फलदाई माना जाता है. प्रदोष व्रत करने से संतान और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती, विशेषकर चंद्र ग्रह के दोष दूर होते हैं, भगवान शिव (God shiva ji) की प्रसन्नता लिए प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि (Mashik Pradosh vrat May) करना अति उत्तम होता है.

धन समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी को करें खुश, ये उपाय बना सकते हैं मालामाल

मिलता है ये लाभ: पंचाग के अनुसार जिस दिन त्रयोदशी तिथि होती है, उसी दिन के नाम पर प्रदोष व्रत का नाम होता है. जैसे इस बार 27 मई को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत का महात्म्य (Shukra pradosh vrat may 2022 remedies time puja vidhi importance) शुक्र को होने से और अधिक बढ़ जाता है. जिन की कुंडली में शुक्र ग्रह खराब होता है, उन्हें विशेष तौर पर ये व्रत करना चाहिये. शुक्र ग्रह अच्छा होने से जीवन में सुख-वैभव, समृद्धि आती है और वैवाहिक सुख मिलता है, आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

हनुमान जी और शनि देव होंगे प्रसन्न कथा पढ़ने से, दूर होंगे संकट भूलकर भी न करें ये काम

शुक्र प्रदोष व्रत कथा: स्कंद पुराण के अनुसार, प्राचीन समय में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ प्रतिदिन भिक्षा मांगने के लिए सुबह की निकलती और शाम को वापस लौट कर आती. रोजाना की तरह वह एक दिन जब भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसने नदी के पास एक बहुत ही सुंदर बालक को देखा. उस ब्राह्मणी को यह नहीं पता था कि वह धर्मगुप्त नामक बालक विदर्भ देश का राजकुमार था, जिसके पिता को शत्रुओं ने युद्ध के दौरान मार डाला था. शत्रुओं ने धर्मगुप्त के राज्य को भी हथिया लिया था. धर्मगुप्त की माता भी अपने पति यानी विदर्भ देश के राजा की मृत्यु के दुख में चल बसी थी.

बालक की दशा देखकर विधवा ब्राह्मणी के मन ममता उमड़ आई. वह धर्मगुप्त को अपने घर ले गई और अपने बेटे की तरह ही पालन-पोषण किया. थोड़े दिनों के बाद वह ब्राह्मणी अपने पुत्र और धर्मगुप्त के साथ देव मंदिर गई, जहां वह ऋषि शांडिल्य से मिली. ऋषि शांडिल्य अपने बुद्धि और विवेक के लिए चर्चित थे. ऋषि शांडिल्य ने ही विधवा ब्राह्मणी को धर्मगुप्त के माता-पिता की मृत्यु से जुड़ी कहानी बताई. इसके बाद ऋषि शांडिल्य ने उस ब्राह्मणी और दोनों बच्चों को प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार से समझाया. ऋषि शांडिल्य से संपूर्ण विधि-विधान को सुनने के बाद उस ब्राह्मणी और दोनों बच्चों ने व्रत संपन्न किया लेकिन उन्हें इस व्रत के फल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

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कुछ दिन बाद जब दोनों बालक वन में घूम रहे थे तब उन्होंने वहां बेहद खूबसूरत गंधर्व कन्याओं को देखा. उन गंधर्व कन्याओं में से एक अंशुमती पर राजकुमार धर्मगुप्त का दिल आ गया. कुछ समय बाद अंशुमती और धर्मगुप्त एक दूसरे के प्यार में पड़ गए.अंशुमती ने शादी की इच्छा के कारण धर्मगुप्त को अपने पिता गंधर्वराज से मिलने के लिए बुलाया. इसके बाद जब अंशुमती के पिता को यह बात पता चली कि धर्मगुप्त विदर्भ देश का राजकुमार है तो उन्होंने भगवान भोलेनाथ की आज्ञा से उन दोनों की शादी करवा दी.

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शादी के बाद धर्मगुप्त ने दोबारा संघर्ष करके अपनी सेना बनाई और राज्य पर अपना आधिपत्य प्राप्त कर लिया. कुछ समय के बाद धर्मगुप्त को ज्ञात हुआ कि उन्हें यह सब प्रदोष व्रत के फलस्वरूप ही मिला है। उनकी सच्ची श्रद्धा और व्रत से खुश होकर भगवान भोलेनाथ में उन्हें ये फल दिया है. तब से यह मान्यता है कि जो कोई भी प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करेगा. साथ ही ये कथा पढ़ेगा या सुनेगा, उसे अगले 100 वर्षों तक सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी.

शुक्र प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण समय (Shukra pradosh shubh muhurat)

व्रत- शुक्र प्रदोष व्रत, 27 मई 2022

सूर्योदय- सुबह 06:39 बजे

सूर्यास्त- शाम 05:39 बजे

शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 6:50 से 8:57 तक

राहुकाल- सुबह 10:32 बजे से 12:17 बजे तक

शनिवार को करें शिव पूजा तो मिलेगी शनि-राहु दोष से राहत, दिनभर रहेंगे कई शुभ योग

Last Updated : May 27, 2022, 12:39 PM IST
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