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भगवान भरोसे DAVV! 50% टीचर्स के सहारे चल रही यूनिवर्सिटी, 10 साल से नहीं हुई नियुक्ति, पढ़ाई का हो रहा नुकसान

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Published : Oct 28, 2021, 5:50 PM IST

Updated : Oct 28, 2021, 7:37 PM IST

इंदौर की देवी अहिल्या विश्वविद्यालय प्रदेश की 'ए-प्लस' ग्रेड की यूनिवर्सिटी है. इसके बाद भी यहां छात्र काफी परेशान हैं. दरअसल शिक्षकों की कमी की वजह से छात्र की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

भगवान भरोसे DAVV!
भगवान भरोसे DAVV!

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाला शहर इंदौर, प्रदेश का एजुकेशन हब भी है. यहां प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से छात्र पढ़ाई करने पहुंचते हैं. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय प्रदेश की 'ए-प्लस' ग्रेड की यूनिवर्सिटी है. विश्वविद्यालय द्वारा तक्षशिला परिसर में विभिन्न विभाग संचालित किए जाते हैं. इन विभागों में अध्यापन कार्य पूरा करने के लिए 400 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में 200 शिक्षक ही यहां नियुक्त हैं. फिलहाल विश्वविद्यालय में अतिथि शिक्षक और सहायक अध्यापकों द्वारा ही अध्यापन कार्य पूरा कराया जा रहा है. 50% शिक्षकों के होने की वजह से अब छात्रों की पढ़ाई पर भी काफी असर पड़ रहा है.

शिक्षकों की कमी से जूझ रही DAVV

विश्वविद्यालय प्रबंधन की मानें तो वर्तमान में बैकलॉग पदों की नियुक्ति की जा रही है. वहीं आने वाले दिनों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए भी प्रयास किए जाएंगे ताकि शिक्षकों की कमी ना रहे. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ अनिल शर्मा के अनुसार, विश्वविद्यालय के साथ-साथ शासकीय महाविद्यालयों में भी शिक्षकों की कमी है. शिक्षकों की कमी का मुख्य कारण नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी है.

रोस्टर प्रक्रिया और कोर्ट केस के कारण नियुक्ति में देरी

वर्तमान में प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय में नियुक्ति को लेकर रोस्टर प्रक्रिया में आपत्ति और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कोर्ट केस होने के कारण कई बार नियुक्ति में देरी हो रही है. वर्तमान में शासकीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय में शिक्षकों की आवश्यकता है परंतु कोर्ट केस और रोस्टर प्रक्रिया का निराकरण नहीं होने तक नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है.

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10 साल से ज्यादा समय से नियुक्ति अटकी

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ अनिल शर्मा के अनुसार, लंबे समय से नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है. करीब 10 साल से अधिक समय हो जाने के बावजूद अब तक नई नियुक्ति प्रक्रिया नहीं हो पाई है. जिसका मुख्य कारण रोस्टर प्रक्रिया को लेकर आपत्तियां और कोर्ट केस मुख्य तौर पर शामिल है. जिसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया में देरी हो रही है. हालांकि विश्वविद्यालय में लंबे समय के बाद बैकलॉग पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है. 47 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया के लिए कार्यवाही जारी है. वहीं जैसे ही रोस्टर प्रक्रिया पर आपत्तियां और कोर्ट केस की स्थितियां सामान्य होती है तो नियुक्ति प्रक्रिया के लिए प्रयास किए जाएंगे.

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाला शहर इंदौर, प्रदेश का एजुकेशन हब भी है. यहां प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से छात्र पढ़ाई करने पहुंचते हैं. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय प्रदेश की 'ए-प्लस' ग्रेड की यूनिवर्सिटी है. विश्वविद्यालय द्वारा तक्षशिला परिसर में विभिन्न विभाग संचालित किए जाते हैं. इन विभागों में अध्यापन कार्य पूरा करने के लिए 400 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में 200 शिक्षक ही यहां नियुक्त हैं. फिलहाल विश्वविद्यालय में अतिथि शिक्षक और सहायक अध्यापकों द्वारा ही अध्यापन कार्य पूरा कराया जा रहा है. 50% शिक्षकों के होने की वजह से अब छात्रों की पढ़ाई पर भी काफी असर पड़ रहा है.

शिक्षकों की कमी से जूझ रही DAVV

विश्वविद्यालय प्रबंधन की मानें तो वर्तमान में बैकलॉग पदों की नियुक्ति की जा रही है. वहीं आने वाले दिनों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए भी प्रयास किए जाएंगे ताकि शिक्षकों की कमी ना रहे. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ अनिल शर्मा के अनुसार, विश्वविद्यालय के साथ-साथ शासकीय महाविद्यालयों में भी शिक्षकों की कमी है. शिक्षकों की कमी का मुख्य कारण नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी है.

रोस्टर प्रक्रिया और कोर्ट केस के कारण नियुक्ति में देरी

वर्तमान में प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय में नियुक्ति को लेकर रोस्टर प्रक्रिया में आपत्ति और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कोर्ट केस होने के कारण कई बार नियुक्ति में देरी हो रही है. वर्तमान में शासकीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय में शिक्षकों की आवश्यकता है परंतु कोर्ट केस और रोस्टर प्रक्रिया का निराकरण नहीं होने तक नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है.

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10 साल से ज्यादा समय से नियुक्ति अटकी

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ अनिल शर्मा के अनुसार, लंबे समय से नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है. करीब 10 साल से अधिक समय हो जाने के बावजूद अब तक नई नियुक्ति प्रक्रिया नहीं हो पाई है. जिसका मुख्य कारण रोस्टर प्रक्रिया को लेकर आपत्तियां और कोर्ट केस मुख्य तौर पर शामिल है. जिसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया में देरी हो रही है. हालांकि विश्वविद्यालय में लंबे समय के बाद बैकलॉग पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है. 47 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया के लिए कार्यवाही जारी है. वहीं जैसे ही रोस्टर प्रक्रिया पर आपत्तियां और कोर्ट केस की स्थितियां सामान्य होती है तो नियुक्ति प्रक्रिया के लिए प्रयास किए जाएंगे.

Last Updated : Oct 28, 2021, 7:37 PM IST
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