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गोल्डन बुक के नाम पर 2 हजार करोड़ का घोटाला, फर्जी वेबसाइट के जरिए बांटे गए अवॉर्ड - राकेश सिंह यादव

कांग्रेस नेता राकेश यादव ने गोल्डन बुक के नाम पर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाया है.

गोल्डन बुक में हुआ घोटाला
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Published : Mar 23, 2019, 4:35 PM IST

इंदौर। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में राजनेताओं द्वारा विभिन्न संस्थाओं को बांटे गए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड फर्जी पाए गए हैं. कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने इसे लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं.

कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने इन संस्थाओं की करतूत का खुलासा करते हुए बाबा रामदेव, कैलाश विजयवर्गीय, नितिन गडकरी, नरेंद्र सिंह तोमर समेत अन्य नेताओं पर संस्था के स्वयंभू कर्ताधर्ता मनीष बिश्नोई के साथ मिलीभगत कर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है.

मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के समाजसेवी पवन केसवानी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें भी करीब 3 हजार रुपए में एक प्रमाणपत्र भेजा गया था. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि दिल्ली और नोएडा समेत विदेशों में भी कई संस्थाओं को प्रमाण पत्र बांटने का काम मनीष बिश्नोई कर रहा था. मामले की शिकायत ईडी समेत मध्यप्रदेश पुलिस को की गई है.

वहीं बताया जा रहा है कि अब तक 8 हजार प्रमाण पत्र घोटाले का मास्टरमाइंड मनीष बिश्नोई छत्तीसगढ़ में बैठा है. गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के घोटाले को उजागर करते हुए कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने बताया कि घोटाले का मास्टरमाइंड मनीष विश्नोई है. वह पहले इंदौर में कोचिंग चलाकर गुजारा करता था. वहीं लगभग 8 साल पहले विश्नोई बीजेपा नेताओं के संपर्क में आया. यहां से अन्य बड़े नेताओं के अंतर्गत इसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तर्ज पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तैयार करने की योजना बनाई.

गोल्डन बुक में हुआ घोटाला

राकेश यादव का आरोप है कि इस रिकॉर्ड के नाम पर विभिन्न संस्थाओं को बड़े राजनेताओं के जरिए धोखा देने का धंधा शुरू किया गया. जिसके चलते मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विभिन्न संस्थाओं को बीते 10 सालों में करीब 13 हजार प्रमाण पत्र बांटे गए. यादव ने बताया कि इस संस्था के जरिए करीब 2 हजार करोड़ का हवाला कारोबार किया गया. यही नहीं शासन को करीब 50 करोड़ रुपए के घोटाले से जुड़े हुए प्रमाण पत्र बेचने का भी आरोप सामने आया है. बताया जा रहा है कि घोटाले का मास्टरमाइंड फिलहाल दिल्ली में है.

ऐसे मिलते थे अवॉर्ड
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए अलग-अलग संस्थाओं और राजनेताओं से संपर्क किया जाता था. जिसके बाद एक तय की गई राशि के बदले कार्यक्रम आयोजित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड दिया जाता था. इस करतूत से मास्टरमाइंड मनीष विश्नोई को फर्जी संस्था के जरिए लाखों-करोड़ों रुपए मिल जाते थे. साथ ही संस्थाओं को भी अपना रिकॉर्ड दिखाने के लिए एक माध्यम मिल जाता था.

यह है घोटाले का प्रमाण
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की वेबसाइट पर ना तो फोन नंबर है और ना ही कंपनी का पता है. डायरेक्टरों के नाम के अलावा भारत के बाहर के सभी पते फर्जी गूगल सर्च के आधार पर बनाए गए हैं. गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का कोई ऑफिशियल सोशल अकाउंट भी नहीं है. कांग्रेस नेता राकेश यादव ने आरोप लगाया है कि संस्था के मास्टरमाइंड को बाबा रामदेव का संरक्षण है. इस संस्था के बैंक अकाउंट फर्जी नामों से हैं. गोल्डन बुक की ना तो कोई कंपनी रजिस्ट्रेशन है, ना ही कोई अन्य प्रमाणिक दस्तावेज है.

इंदौर। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में राजनेताओं द्वारा विभिन्न संस्थाओं को बांटे गए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड फर्जी पाए गए हैं. कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने इसे लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं.

कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने इन संस्थाओं की करतूत का खुलासा करते हुए बाबा रामदेव, कैलाश विजयवर्गीय, नितिन गडकरी, नरेंद्र सिंह तोमर समेत अन्य नेताओं पर संस्था के स्वयंभू कर्ताधर्ता मनीष बिश्नोई के साथ मिलीभगत कर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है.

मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के समाजसेवी पवन केसवानी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें भी करीब 3 हजार रुपए में एक प्रमाणपत्र भेजा गया था. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि दिल्ली और नोएडा समेत विदेशों में भी कई संस्थाओं को प्रमाण पत्र बांटने का काम मनीष बिश्नोई कर रहा था. मामले की शिकायत ईडी समेत मध्यप्रदेश पुलिस को की गई है.

वहीं बताया जा रहा है कि अब तक 8 हजार प्रमाण पत्र घोटाले का मास्टरमाइंड मनीष बिश्नोई छत्तीसगढ़ में बैठा है. गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के घोटाले को उजागर करते हुए कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने बताया कि घोटाले का मास्टरमाइंड मनीष विश्नोई है. वह पहले इंदौर में कोचिंग चलाकर गुजारा करता था. वहीं लगभग 8 साल पहले विश्नोई बीजेपा नेताओं के संपर्क में आया. यहां से अन्य बड़े नेताओं के अंतर्गत इसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तर्ज पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तैयार करने की योजना बनाई.

गोल्डन बुक में हुआ घोटाला

राकेश यादव का आरोप है कि इस रिकॉर्ड के नाम पर विभिन्न संस्थाओं को बड़े राजनेताओं के जरिए धोखा देने का धंधा शुरू किया गया. जिसके चलते मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विभिन्न संस्थाओं को बीते 10 सालों में करीब 13 हजार प्रमाण पत्र बांटे गए. यादव ने बताया कि इस संस्था के जरिए करीब 2 हजार करोड़ का हवाला कारोबार किया गया. यही नहीं शासन को करीब 50 करोड़ रुपए के घोटाले से जुड़े हुए प्रमाण पत्र बेचने का भी आरोप सामने आया है. बताया जा रहा है कि घोटाले का मास्टरमाइंड फिलहाल दिल्ली में है.

ऐसे मिलते थे अवॉर्ड
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए अलग-अलग संस्थाओं और राजनेताओं से संपर्क किया जाता था. जिसके बाद एक तय की गई राशि के बदले कार्यक्रम आयोजित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड दिया जाता था. इस करतूत से मास्टरमाइंड मनीष विश्नोई को फर्जी संस्था के जरिए लाखों-करोड़ों रुपए मिल जाते थे. साथ ही संस्थाओं को भी अपना रिकॉर्ड दिखाने के लिए एक माध्यम मिल जाता था.

यह है घोटाले का प्रमाण
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की वेबसाइट पर ना तो फोन नंबर है और ना ही कंपनी का पता है. डायरेक्टरों के नाम के अलावा भारत के बाहर के सभी पते फर्जी गूगल सर्च के आधार पर बनाए गए हैं. गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का कोई ऑफिशियल सोशल अकाउंट भी नहीं है. कांग्रेस नेता राकेश यादव ने आरोप लगाया है कि संस्था के मास्टरमाइंड को बाबा रामदेव का संरक्षण है. इस संस्था के बैंक अकाउंट फर्जी नामों से हैं. गोल्डन बुक की ना तो कोई कंपनी रजिस्ट्रेशन है, ना ही कोई अन्य प्रमाणिक दस्तावेज है.

Intro:मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विभिन्न राजनेताओं के माध्यम से विभिन्न संस्थाओं को बांटे गए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड फर्जी पाए गए हैं इंदौर में कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने उक्त संस्था के कारनामों का खुलासा करते हुए बाबा रामदेव कैलाश विजयवर्गीय नितिन गडकरी नरेंद्र तोमर समेत अन्य नेताओं पर संस्था के स्वयंभू कर्ता-धर्ता मनीष बिश्नोई के साथ मिलीभगत कर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है


Body:आज इंदौर में एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के घोटाले उजागर करते हुए कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने बताया कि घोटाले का मास्टरमाइंड मनीष बिश्नोई है जो पूर्व में इंदौर में कोचिंग चला चला कर गुजर बसर करता था लगभग 8 साल पहले यह व्यक्ति भाजपा नेताओं के संपर्क में आया और यहां से अन्य बड़े नेताओं के संरक्षण में इसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तर्ज पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तैयार करने की योजना बनाई इस रिकॉर्ड के नाम पर विभिन्न संस्थाओं को बड़े राजनेताओं के जरिए लोगों को धोखा देने का धंधा शुरू किया जिसके चलते मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की विभिन्न संस्थाओं को बीते 10 सालों में करीब 13000 प्रमाण पत्र बांटे गए श्री यादव ने आरोप लगाया कि इस संस्था के जरिए करीब 2000 करोड़ का हवाला कारोबार किया गया यही नहीं मध्य शासन को करीब 50 करोड रुपए के घोटाले से जुड़े हुए प्रमाण पत्र बेचने का भी आरोप सामने आया बताया जा रहा है कि घोटाले का मास्टरमाइंड फिलहाल दिल्ली में है जिसने दिल्ली और नोएडा में करोड़ों रुपए का साम्राज्य स्थापित किया है हाल ही में छत्तीसगढ़ के समाजसेवी पवन केसवानी के साथ भी इसी तरह की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है जिसमें केसवानी ने वीडियो वायरल कर इस पूरे घोटाले की जानकारी सार्वजनिक की थी

ऐसे मिलते थे अवॉर्ड
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड पाने के लिए संस्था के मास्टरमाइंड मनीष बिश्नोई द्वारा अलग अलग संस्थाओं राजनेताओं से संपर्क किया जाता था इसके बाद एक तय की गई राशि के बदले एक कार्यक्रम आयोजित कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रदान कर दिया जाता था इस कारनामे से मास्टरमाइंड मनीष बिश्नोई को जहां फर्जी संस्था और फर्जी वार्ड के जरिए लाखों करोड़ों रुपए मिल जाते थे और संस्थाओं को अपना रिकॉर्ड दर्शाने के लिए एक माध्यम मिल जाता था

यह है घोटाले के प्रमाण
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की वेबसाइट पर ना तो फोन नंबर है ना ही कंपनी का पता और डायरेक्टरों के नाम इसके अलावा भारत के बाहर जितने भी फर्जी पते दर्शाए गए हैं वह गूगल सर्च के आधार पर बनाए गए हैं इसके अलावा विदेशों में इन पत्रों से संबंधित कोई रिकॉर्ड भी नहीं है गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स संस्था का कोई ऑफिशियल सोशल अकाउंट भी नहीं है साथ ही किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का कोई फोन नंबर नहीं है कांग्रेस नेता राकेश यादव ने आरोप लगाया किस संस्था के मास्टरमाइंड को बाबा रामदेव का संरक्षण है इस संस्था के बैंक अकाउंट फर्जी नामों से हैं और गोल्डन बुक की ना तो कोई कंपनी रजिस्ट्रेशन है ना ही कोई अन्य प्रमाणिक दस्तावेज


Conclusion:bite Rakesh Singh yadav
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