इंदौर। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में राजनेताओं द्वारा विभिन्न संस्थाओं को बांटे गए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड फर्जी पाए गए हैं. कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने इसे लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं.
कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने इन संस्थाओं की करतूत का खुलासा करते हुए बाबा रामदेव, कैलाश विजयवर्गीय, नितिन गडकरी, नरेंद्र सिंह तोमर समेत अन्य नेताओं पर संस्था के स्वयंभू कर्ताधर्ता मनीष बिश्नोई के साथ मिलीभगत कर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है.
मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के समाजसेवी पवन केसवानी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें भी करीब 3 हजार रुपए में एक प्रमाणपत्र भेजा गया था. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि दिल्ली और नोएडा समेत विदेशों में भी कई संस्थाओं को प्रमाण पत्र बांटने का काम मनीष बिश्नोई कर रहा था. मामले की शिकायत ईडी समेत मध्यप्रदेश पुलिस को की गई है.
वहीं बताया जा रहा है कि अब तक 8 हजार प्रमाण पत्र घोटाले का मास्टरमाइंड मनीष बिश्नोई छत्तीसगढ़ में बैठा है. गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के घोटाले को उजागर करते हुए कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने बताया कि घोटाले का मास्टरमाइंड मनीष विश्नोई है. वह पहले इंदौर में कोचिंग चलाकर गुजारा करता था. वहीं लगभग 8 साल पहले विश्नोई बीजेपा नेताओं के संपर्क में आया. यहां से अन्य बड़े नेताओं के अंतर्गत इसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तर्ज पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तैयार करने की योजना बनाई.
राकेश यादव का आरोप है कि इस रिकॉर्ड के नाम पर विभिन्न संस्थाओं को बड़े राजनेताओं के जरिए धोखा देने का धंधा शुरू किया गया. जिसके चलते मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विभिन्न संस्थाओं को बीते 10 सालों में करीब 13 हजार प्रमाण पत्र बांटे गए. यादव ने बताया कि इस संस्था के जरिए करीब 2 हजार करोड़ का हवाला कारोबार किया गया. यही नहीं शासन को करीब 50 करोड़ रुपए के घोटाले से जुड़े हुए प्रमाण पत्र बेचने का भी आरोप सामने आया है. बताया जा रहा है कि घोटाले का मास्टरमाइंड फिलहाल दिल्ली में है.
ऐसे मिलते थे अवॉर्ड
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए अलग-अलग संस्थाओं और राजनेताओं से संपर्क किया जाता था. जिसके बाद एक तय की गई राशि के बदले कार्यक्रम आयोजित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड दिया जाता था. इस करतूत से मास्टरमाइंड मनीष विश्नोई को फर्जी संस्था के जरिए लाखों-करोड़ों रुपए मिल जाते थे. साथ ही संस्थाओं को भी अपना रिकॉर्ड दिखाने के लिए एक माध्यम मिल जाता था.
यह है घोटाले का प्रमाण
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की वेबसाइट पर ना तो फोन नंबर है और ना ही कंपनी का पता है. डायरेक्टरों के नाम के अलावा भारत के बाहर के सभी पते फर्जी गूगल सर्च के आधार पर बनाए गए हैं. गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का कोई ऑफिशियल सोशल अकाउंट भी नहीं है. कांग्रेस नेता राकेश यादव ने आरोप लगाया है कि संस्था के मास्टरमाइंड को बाबा रामदेव का संरक्षण है. इस संस्था के बैंक अकाउंट फर्जी नामों से हैं. गोल्डन बुक की ना तो कोई कंपनी रजिस्ट्रेशन है, ना ही कोई अन्य प्रमाणिक दस्तावेज है.