इंदौर। दुनिया भर में कोरोना अपने पैर पसारता जा रहा है. इंदौर में भी कोरोना ने कोहराम मचाया हुआ है. जिससे निपटने के लिए सभी अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. आईआईटी इंदौर अमेरिका, स्वीडन, नार्वे, फ्रांस और डेनमार्क रिसर्च ग्रुप के साथ मिलकर इसके संक्रमण सोर्स को पता करने का काम कर रहा है. जबकि कोरोना पर आईआईटी इंदौर में अध्यन भी चल रहा है.
6 देशों की रिसर्च टीम कोरोना वायरस के अलग-अलग भाग पर रिसर्च करने में जुटी है. जिनमें इंदौर आईआईटी भी शामिल है. इंदौर आईआईटी के बायोसाइंस और बायोमेडिकल के प्रोफेसर इसका अध्ययन कर रहे हैं, जिसके तहत सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम वायरस के सोर्स पर अध्ययन किया जा रहा है. भारत में कोरोना के जिस भाग पर अध्ययन किया जा रहा है उसमें आईआईटी के प्रोफेसरों द्वारा सार्स कोव 2 वायरस के 16 तरह के प्रोटींस पर अध्ययन किया जा रहा है, ताकि कोरोना वायरस की स्थितियों का पता लगाया जा सके.
आईआईटी इंदौर द्वारा इस वायरस से फैलने वाले संक्रमण को रोकने के लिए कई अन्य तरह के प्रयोग भी किए जा रहे हैं. जिसके तहत एक ओर प्रयोग भी किया जा रहा है जिसमें विशेष ईटो और युवी लाइट के माध्यम से संक्रमण को हटाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है. इंदौर आईआईटी पीआरओ सुनील कुमार के अनुसार विभिन्न देशों के साथ मिलकर कोरोना वायरस संबंधित अध्ययन किया जा रहा है यह अध्ययन अलग-अलग भागों में किया जा रहा है.