इंदौर। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर अपनी प्रतिभाओं को लेकर जाना जाता है. कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में इंदौर के कई लोगों ने देश में अलग पहचान बनाई है. इंदौर से कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं. लेकिन वर्तमान में इंदौर शहर के खिलाड़ियों को खेल मैदान की कमी से जूझना पड़ रहा है. एक समय था जब शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े-बड़े खेल मैदान थे वहीं अब सीमित संख्या में शहर में खेल मैदान बचे हैं.
मैदान की कमी खिलाड़ियों को नुकशान
खेल मैदानों की कमी का खामियाजा खिलाड़ियों को उठाना पड़ता है. शहर के खिलाड़ियों का कहना है कि यहां खेलों के लिए एवं दर्जे का व्यवहार किया जाता है. शहर में खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को उभारने के लिए कोई विशेष व्यवस्थाएं नहीं है. वहीं खेल के मैदानों की भी बड़ी कमी है शहर में कुछ ही खेल मैदान है जो खेल की गतिविधियों के लिए प्रयोग किए जाते हैं. वहीं कई ऐसे खेल मैदान है जो शहर के बाहरी हिस्सों में है जहां पहुंचना भी कई बार खिलाड़ियों की पहुंच से दूर होता है.
शहर में पहले थे हर क्षेत्र में बड़े खेल मैदान
विभिन्न खेलों से जुड़े खिलाड़ियों का कहना है कि सालों पूर्व शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े-बड़े खेल मैदान मौजूद थे. इन खेल मैदानों पर खिलाड़ियों द्वारा अपने खेल की प्रैक्टिस की जाती थी. परंतु वर्तमान समय में खेल मैदानों की कमी शहर में बहुत है. पहले जहां खेल मैदान हुआ करते थे वहां अब बड़ी-बड़ी इमारतें व शॉपिंग माल बन चुके हैं, जिसके चलते खिलाड़ियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
बड़ा व्यवसायिक मैदानों का चलन
इंदौर व आसपास के क्षेत्रों में खेल मैदानों की कमी के चलते वर्तमान में शहर में व्यापारिक खेल मैदानों का चलन बढ़ा है. खिलाड़ियों का कहना है कि कई लोगों द्वारा खेल मैदानों को लेकर व्यापार किया जा रहा है, जिसके तहत छोटे-छोटे प्लेग्राउंड तैयार कर खिलाड़ियों को 1 से 2 हजार रुपये की फीस चुकानी पड़ती है, जहां ठीक से खेल गतिविधियां पूरी नहीं हो पाती है.
नेहरू स्टेडियम में होती हैं प्रशासनिक गतिविधियां
शहर में पहले ही खेल मैदानों की कमी है. वही खिलाड़ियों के लिए खेल गतिविधियों को पूरा करने के लिए इंदौर का नेहरू स्टेडियम कुछ हद तक मदद करता है. परंतु वर्तमान में प्रशासनिक गतिविधियों और अन्य कामों को लेकर प्रशासन द्वारा इसे कई बार लंबे समय तक बंद कर दिया जाता है, जिसके चलते खिलाड़ियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. निर्वाचन कार्य व अन्य बातों का हवाला देते हुए खिलाड़ियों को यहां खेल गतिविधियां संचालित करने से रोका जाता है.
खिलाड़ी लंबे समय से कर रहे हैं मैदान की मांग
क्रिकेट फुटबॉल व अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी लगातार लंबे समय से प्रशासन से खेल मैदानों की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता. क्रिकेट कोच व क्रिकेट क्लब से जुड़े दिनेश शर्मा का कहना है कि शहर में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन मैदानों की काफी कमी है, जिसका खामियाजा खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है. खिलाड़ियों द्वारा लगातार लंबे समय से खेल मैदान और खेल सुविधाओं के लिए मांग की जा रही है परंतु प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
इमारतों ने खेल मैदानों को किया खत्म
क्रिकेट खिलाड़ी रजत का कहना है कि कुछ सालों में खाली जगह और खेल मैदानों पर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण किया गया है, जिसके चलते खेल मैदान खत्म हो गए हैं. विकास के नाम पर बनाए जा रहे इन बड़े बड़े भवनों का खामियाजा खिलाड़ियों को अपनी खेल प्रतिभा को खोकर चुकाना पड़ रहा है. सरकार और प्रशासन को चाहिए कि विभिन्न खेलों में प्रतिभाओं को निखारने के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान की जाएं, ताकि खेल मैदान व अन्य सुविधाओं के चलते खिलाड़ियों की प्रतिभाएं दम न तोड़ें.