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अस्पतालों में नहीं हैं आग से सुरक्षा के इंतजाम, अहमदाबाद की घटना से नहीं लिया सबक - इंदौर न्यूज

देश के प्रमुख कोविड-19 हॉटस्पॉट इंदौर में आलम ये है कि, कोविड अस्पतालों में अग्निशमन यंत्र खानापूर्ति के लिए लगाए गए हैं. जहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं, जिसे लेकर पुलिस की अग्निशमन सेवा ने राज्य सरकार और इंदौर जिला प्रशासन को अलर्ट भी किया, बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारी और अस्पताल प्रबंधन अपनी आंखें मूंदे हुए है.

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Published : Aug 25, 2020, 7:25 PM IST

इंदौर। अहमदाबाद में कोविड सेंटर में हुए अग्निकांड से आठ लोगों की मौत के बाद भी मध्य प्रदेश के अस्पतालों ने कोई सबक नहीं लिया है. देश के प्रमुख कोविड-19 हॉटस्पॉट रहे इंदौर में आलम ये है कि, कोविड अस्पतालों में फायर सेफ्टी की मशीनें महज खानापूर्ति के लिए लगाई गई हैं, जबकि कुछ अस्पतालों में तो फायर सेफ्टी के नियमों को भी दरकिनार किया गया है, जिसे लेकर पुलिस की फायर ब्रिगेड सेवा ने राज्य सरकार और इंदौर जिला प्रशासन को अलर्ट किया है.

अस्पतालों में नहीं हैं आग से सुरक्षा के इंतजाम

दरअसल, प्रदेश में आवासीय, व्यावसायिक और संस्था आधारित इमारतों में नेशनल बिल्डिंग अधिनियम 2016 के भाग- 4 के तहत अग्निशमन संसाधनों की व्यवस्थाएं करना जरूरी है. लेकिन इंदौर की अधिकांश इमारतों के निर्माण के दौरान सिर्फ खानापूर्ति की गई है. यही वजह है कि, अग्निकांड के दौरान आग बुझाने के लिए संबंधित संस्थाएं फायर ब्रिगेड और नगर-निगम की फायर फाइटिंग यूनिट के भरोसे रहती हैं. ऐसी स्थिति में स्थानीय संसाधन नहीं होने के कारण चाह कर भी फायर ब्रिगेड के कर्मचारी समय पर आग काबू नहीं कर पाते. जिसके चलते पुलिस की फायर ब्रिगेड शाखा ने राज्य शासन को इस आशय से संबंधित सूचना भेजी है.

अस्पतालों में नहीं फायर सेफ्टी के पर्याप्त साधन

फायर ब्रिगेड की माने तो अस्पतालों के द्वारा अग्निशमन से संबंधित कोई भी मार्गदर्शन अब तक नहीं लिया गया है. जबकि यहां कोई पर्याप्त साधन भी नहीं है. हालांकि अहमदाबाद में हुई घटना के बाद फायर ब्रिगेड ने अपनी तरफ से फायर सेफ्टी की सुरक्षा संबंधी सूचना एडीजी अग्निशमन भोपाल और इंदौर जिला प्रशासन को भेजी है. इस सूचना पर अब इंदौर जिला प्रशासन का कहना है कि, अस्पतालों में फायर फाइटिंग समेत अन्य अनापत्ति ली गई हैं. कहीं कोई खामी है, तो उसकी भी जांच कराई जाएगी.

फायर एनओसी नियम व शर्तों के प्रावधान

अस्पताल अथवा अन्य निजी बहुमंजिला इमारतें बनाने के पहले नगर निगम अथवा नगरीय निकाय विभाग से अनुमति लेना जरुरी होता है. उसमें फायर एनओसी अथवा फायर सेफ्टी अनापत्ति भी जरूरी होती है. जिसमें भवन निर्माण के पहले ही अग्निशमन की तमाम व्यवस्थाएं शासन के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रावधान मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम- 2012 के तहत किया गया है. इसके निरीक्षण के बाद ही नगरी निकाय विभाग द्वारा अग्निशमन की अनापत्ति संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. तब कही जाकर बिल्डिंग बनाई जाती है, लेकिन इंदौर में बहुत सी इमारतों में केवल खानापूर्ति ही की गई है.

अग्निशमन विशेषज्ञों के मुताबिक अस्पतालों में ऊंचाई और एरिया के हिसाब से फायर सेफ्टी की व्यवस्थाएं जुटाई जाती हैं. जिसमें मुख्य तौर पर हाइड्रेंटहोज रील, डिटेक्टर, स्प्रिंकलर जैसे संसाधन लगाए जाते हैं. इसके अलावा अस्पताल की बिल्डिंग के चारों तरफ मार्जिनल ओपन स्पेस छोड़ना जरूरी होता है, ताकि आग बुझाने के लिए मौके पर ही पानी की पर्याप्त व्यवस्था अलग से की जा सके. जबकि फायर सेफ्टी नियमों के तहत बहुमंजिला इमारतें बनाने के पहले प्रशासन जो आदेश जारी करता है, उसमें फायर एनओसी अथवा अग्निशमन अनापत्ति भी जरूरी होती है, लेकिन इंदौर के अस्पतालों में ये एनओसी केवल कागजों तक सीमित हैं. ऐसे में यह लापरवाही किसी बड़े हादसे को जन्म भी दे सकती है. जिसका जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन ही होगा.

इंदौर। अहमदाबाद में कोविड सेंटर में हुए अग्निकांड से आठ लोगों की मौत के बाद भी मध्य प्रदेश के अस्पतालों ने कोई सबक नहीं लिया है. देश के प्रमुख कोविड-19 हॉटस्पॉट रहे इंदौर में आलम ये है कि, कोविड अस्पतालों में फायर सेफ्टी की मशीनें महज खानापूर्ति के लिए लगाई गई हैं, जबकि कुछ अस्पतालों में तो फायर सेफ्टी के नियमों को भी दरकिनार किया गया है, जिसे लेकर पुलिस की फायर ब्रिगेड सेवा ने राज्य सरकार और इंदौर जिला प्रशासन को अलर्ट किया है.

अस्पतालों में नहीं हैं आग से सुरक्षा के इंतजाम

दरअसल, प्रदेश में आवासीय, व्यावसायिक और संस्था आधारित इमारतों में नेशनल बिल्डिंग अधिनियम 2016 के भाग- 4 के तहत अग्निशमन संसाधनों की व्यवस्थाएं करना जरूरी है. लेकिन इंदौर की अधिकांश इमारतों के निर्माण के दौरान सिर्फ खानापूर्ति की गई है. यही वजह है कि, अग्निकांड के दौरान आग बुझाने के लिए संबंधित संस्थाएं फायर ब्रिगेड और नगर-निगम की फायर फाइटिंग यूनिट के भरोसे रहती हैं. ऐसी स्थिति में स्थानीय संसाधन नहीं होने के कारण चाह कर भी फायर ब्रिगेड के कर्मचारी समय पर आग काबू नहीं कर पाते. जिसके चलते पुलिस की फायर ब्रिगेड शाखा ने राज्य शासन को इस आशय से संबंधित सूचना भेजी है.

अस्पतालों में नहीं फायर सेफ्टी के पर्याप्त साधन

फायर ब्रिगेड की माने तो अस्पतालों के द्वारा अग्निशमन से संबंधित कोई भी मार्गदर्शन अब तक नहीं लिया गया है. जबकि यहां कोई पर्याप्त साधन भी नहीं है. हालांकि अहमदाबाद में हुई घटना के बाद फायर ब्रिगेड ने अपनी तरफ से फायर सेफ्टी की सुरक्षा संबंधी सूचना एडीजी अग्निशमन भोपाल और इंदौर जिला प्रशासन को भेजी है. इस सूचना पर अब इंदौर जिला प्रशासन का कहना है कि, अस्पतालों में फायर फाइटिंग समेत अन्य अनापत्ति ली गई हैं. कहीं कोई खामी है, तो उसकी भी जांच कराई जाएगी.

फायर एनओसी नियम व शर्तों के प्रावधान

अस्पताल अथवा अन्य निजी बहुमंजिला इमारतें बनाने के पहले नगर निगम अथवा नगरीय निकाय विभाग से अनुमति लेना जरुरी होता है. उसमें फायर एनओसी अथवा फायर सेफ्टी अनापत्ति भी जरूरी होती है. जिसमें भवन निर्माण के पहले ही अग्निशमन की तमाम व्यवस्थाएं शासन के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रावधान मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम- 2012 के तहत किया गया है. इसके निरीक्षण के बाद ही नगरी निकाय विभाग द्वारा अग्निशमन की अनापत्ति संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. तब कही जाकर बिल्डिंग बनाई जाती है, लेकिन इंदौर में बहुत सी इमारतों में केवल खानापूर्ति ही की गई है.

अग्निशमन विशेषज्ञों के मुताबिक अस्पतालों में ऊंचाई और एरिया के हिसाब से फायर सेफ्टी की व्यवस्थाएं जुटाई जाती हैं. जिसमें मुख्य तौर पर हाइड्रेंटहोज रील, डिटेक्टर, स्प्रिंकलर जैसे संसाधन लगाए जाते हैं. इसके अलावा अस्पताल की बिल्डिंग के चारों तरफ मार्जिनल ओपन स्पेस छोड़ना जरूरी होता है, ताकि आग बुझाने के लिए मौके पर ही पानी की पर्याप्त व्यवस्था अलग से की जा सके. जबकि फायर सेफ्टी नियमों के तहत बहुमंजिला इमारतें बनाने के पहले प्रशासन जो आदेश जारी करता है, उसमें फायर एनओसी अथवा अग्निशमन अनापत्ति भी जरूरी होती है, लेकिन इंदौर के अस्पतालों में ये एनओसी केवल कागजों तक सीमित हैं. ऐसे में यह लापरवाही किसी बड़े हादसे को जन्म भी दे सकती है. जिसका जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन ही होगा.

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