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स्वच्छता में नंबर 1 बनने के बाद अब इंदौर में नदियों को स्वच्छ करने की चलाई जा रही है मुहिम - Sanitation Campaign

स्वच्छता में नंबर वन शहर इंदौर अब शहर में बहने वाली नदियों को भी स्वच्छता में नंबर वन बनाने की कवायद में जुटा हुआ है. इंदौर शहर के बीच से कान्ह और सरस्वती नाम की दो नदियां बहती है.

इंदौर नदी प्रोजेक्ट
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Published : Feb 23, 2019, 8:31 PM IST

इंदौर। देवी अहिल्या के नगर इंदौर में इन दिनों कान्ह और सरस्वती नदी को अपने पुराने स्वरूप में लाने का काम जोरों पर है. इसके लिए नदियों को संवराने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें एक विशेष प्रोजेक्ट के तहत दोनों नदियों के किनारों को सजाया और संवारने का काम तेजी से चल रहा है.

बता दें कि एक समय कान्ह और सरस्वती नदी इंदौर की जीवनदायनी और प्यास बुझाने वाली नदियां कही जाती है. कालंतर में ये नदियां इतनी विख्यात थी कि इंदौर को भी इन्हीं नदियों से जाना जाता था. कहा तो ये भी जाता है कि सिंहस्थ के दौरान पूर्व में साधू-संत इन नदियों में स्नान करने के बाद उज्जैन जाते थे. लेकिन समय और आधुनिकता ने नदियों को नाले में तब्दील कर दिया.

स्वच्छता में नंबर 1 बनने के बाद अब इंदौर में नदियों को स्वच्छ करने की चलाई जा रही है मुहिम

हालांकि अब दोनों ही नदियों को स्वच्छ करने के लिए प्रशासन विशेष प्रोजेक्ट चला रहा है, ताकि दोनों नदियां फिर से पहले की तरह जीवंत हो जाए. अभियान में नदियों के किनारों को सजाने और संवारने के लिए सीमेंट और कांक्रीट का उपयोग भी ना के बराबर किया जा रहा है. नदी के आसपास की दीवार चुने और पत्थर को जमा करके तैयार की जा रही है.
अधिकारियों के मुताबिक नदी के किनारों पर गार्डन भी तैयार किए जा रहे हैं, जिससे नदी खुबसूरत दिखाई देने लगेगी. फिलहाल प्रोजेक्ट को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा गया है ताकि जल्द काम पूरा हो सके.

इंदौर। देवी अहिल्या के नगर इंदौर में इन दिनों कान्ह और सरस्वती नदी को अपने पुराने स्वरूप में लाने का काम जोरों पर है. इसके लिए नदियों को संवराने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें एक विशेष प्रोजेक्ट के तहत दोनों नदियों के किनारों को सजाया और संवारने का काम तेजी से चल रहा है.

बता दें कि एक समय कान्ह और सरस्वती नदी इंदौर की जीवनदायनी और प्यास बुझाने वाली नदियां कही जाती है. कालंतर में ये नदियां इतनी विख्यात थी कि इंदौर को भी इन्हीं नदियों से जाना जाता था. कहा तो ये भी जाता है कि सिंहस्थ के दौरान पूर्व में साधू-संत इन नदियों में स्नान करने के बाद उज्जैन जाते थे. लेकिन समय और आधुनिकता ने नदियों को नाले में तब्दील कर दिया.

स्वच्छता में नंबर 1 बनने के बाद अब इंदौर में नदियों को स्वच्छ करने की चलाई जा रही है मुहिम

हालांकि अब दोनों ही नदियों को स्वच्छ करने के लिए प्रशासन विशेष प्रोजेक्ट चला रहा है, ताकि दोनों नदियां फिर से पहले की तरह जीवंत हो जाए. अभियान में नदियों के किनारों को सजाने और संवारने के लिए सीमेंट और कांक्रीट का उपयोग भी ना के बराबर किया जा रहा है. नदी के आसपास की दीवार चुने और पत्थर को जमा करके तैयार की जा रही है.
अधिकारियों के मुताबिक नदी के किनारों पर गार्डन भी तैयार किए जा रहे हैं, जिससे नदी खुबसूरत दिखाई देने लगेगी. फिलहाल प्रोजेक्ट को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा गया है ताकि जल्द काम पूरा हो सके.

Intro:इंदौर में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिए किए जा रहे कामों में कान और सरस्वती नदी को उनके पुराने स्वरूप में लौटाया जा रहा है इस पूरे अभियान में नदी के किनारों को सजाने और संवारने का काम भी तेजी से चल रहा है


Body:किसी समय में इंदौर में दो प्रमुख नदियां हुआ करती थी जो कि शहर की प्यास भी बुझाती थी साथ ही शहर की पहचान भी इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदी से ही हुआ करती थी अभी नदियों को पुराने स्वरूप में लौटाया जा रहा है इस पूरे अभियान में नदी के किनारों को सजाने और संवारने का काम भी तेजी से चल रहा है इसकी खास बात यह है कि नदी के आसपास सीमेंट और कंक्रीट का उपयोग भी ना के बराबर करते हुए इस पूरे काम को पुराने स्वरूप में लाने के लिए चुने और पत्थर का इस्तेमाल हो रहा है नदी के आसपास बनाई जा रही रिटेनिंग वॉल को भी पत्थर को जमा कर तैयार किया गया है यह वॉल बारिश में पानी भी सोखने वाली होगी अधिकारियों के मुताबिक नदी के दोनों और रिटेनिंग वॉल के साथ गार्डन तैयार किए जा रहे हैं जिससे कि नदी और भी खूबसूरत दिखाई देने लगेगी फिलहाल इस पूरे काम को कई छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा गया है ताकि जल्द ही काम पूरा हो सके साथ ही इसके लिए अलग-अलग एजेंसियों को भी नियुक्त किया गया है इंदौर में कान्ह और सरस्वती नदी शहर की सबसे पुरानी नदी मानी जाती है जो कि शहर के बीचों-बीच से होकर निकलती है कहा जाता है कि जब उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन किया जाता था तब साधु और संत इंदौर में विश्राम करने के दौरान इन नदियों में स्नान करके उज्जैन की तरफ कुछ करते थे नदी के किनारों पर बनाई जा रही पत्थरों की दिवार को भी इसी तरह से डिजाइन किया गया है

बाईट - राहुल शर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर


Conclusion:
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