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महाबली भीम ने भी किया इस व्रत को ऐसी है महिमा निर्जला एकादशी की, जानिये शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और पारण नियम

भगवान के कहने पर भीम ने इस व्रत (Nirjala ekadashi 11 June 2022) को रखा तभी से इसे भीमसेनी एकादशी (Bhimseni ekadashi 10 june) भी कहते हैं. सनातनी जन्म जन्मांतर तक अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए निर्जला एकादशी का व्रत करने लगे. Nirjala ekadashi 11 June 2022 vrat muhurta and paran timing

nirjala ekadashi 11 june 2022 vrat muhurta and paran timing
निर्जला एकादशी भीमसेनी एकादशी भीम एकादशी
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Published : Jun 7, 2022, 7:10 PM IST

Updated : Jun 7, 2022, 7:17 PM IST

ईटीवी भारत डेस्क : सनातन धर्मावलंबियों की एकादशी व्रत में बहुत ही आस्था है. पुराणों के अनुसार एकादशी का व्रत रहने से जन्म-जन्मांतर तक पुण्य की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत भगवान श्रीविष्णु को अति प्रिय है. पारंपरिक रूप से वर्षभर में चौबीस एकादशी व्रत का विधान है. इसमें सबसे ज्यादा तप वाली एकादशी (Nirjala ekadashi 11 June 2022) ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की है. कारण, यह ऐसी एकादशी होती है, जिसमें अन्न तो दूर जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है. इसी कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन कठोर नियमों का पालन करते हुए भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन और उपवास किया जाता है.

इस व्रत में एकादशी के दिन प्रातः स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु का प्रीत्यर्थ संकल्प आदि करना चाहिए. संकल्प में कहना चाहिए "मैं भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के निमित्त व्रत रहूंगा या रहूंगी, जिससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो. ताकि जीवन के समस्त पापों का नाश हो और अमोघ पुण्य की प्राप्ति हो." ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चन्द्र जोशी के अनुसार जो व्यक्ति साल में एक भी एकादशी व्रत न कर सकें, वो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करके चौबीस एकादशी व्रत का फल प्राप्त कर सकता है.

ये भी पढ़ें: शनि प्रधान है वर्ष 2022 शनि का प्रभाव रहेगा सभी राशि वालों पर है शनि का असर

व्रत कथा, नाम की महिमा : निर्जला एकादशी के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि महाभारत काल में जब युद्ध समाप्त हुआ तो पांडवों के उद्धारणार्थ भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को एकादशी के व्रत की महत्ता बताई. तब भीम ने कहा भगवान मैं 1 दिन भी भूखा नहीं रह सकता. तो किस प्रकार मैं साल के चौबीस एकादशी व्रत कैसे रहूंगा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत करने को कहा. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. मात्र इस दिन जो व्यक्ति व्रत रह ले तो उसे वर्ष की 24 एकादशी का फल प्राप्त हो जाता है. भगवान के कहने पर भीम ने इस व्रत को रखा तभी से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. सनातनी जन्म जन्मांतर तक अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए निर्जला एकादशी का व्रत करने लगे.

यह करें, यह नहीं : एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. निर्जला एकादशी चौबीस एकादशी व्रतों में सबसे उत्तम व्रत होता है. शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा नदीं में स्नान करने का विशेष फल माना जाता है. इसलिए सुबह सूर्योदय से एक घंटे के अंदर तक गंगा स्नान या किसी नदी, कुंड या सरोवर में स्नान करने के बाद दान पुण्य करें. दान में मिट्टी का पात्र, मौसम के अनुसार फल जैसे आम, जामुन इत्यादि किसी ब्राह्मण को दान करना उत्तम माना जाता है. इसके अलावा सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण भी इस दिन करना चाहिये. एकादशी के दिन एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि ऐसे लोग जो व्रत नहीं करते हैं उन्हें चावल या चावल से बनी कोई भी सामग्री नहीं खानी चाहिये.

एकादशी व्रत का पारण : इस वर्ष निर्जला एकादशी 11 जून 2022 को है. एकादशी व्रत का पारायण व्रत के अगले दिन किया जाता है. मान्यता है कि व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिए. व्रत का पारण द्वादशी की तिथि समाप्त होने से पहले करना ही श्रेष्ठ होता है. द्वादशी की तिथि अगर सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए, तो व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिये.

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त (Nirjala ekadashi 11 June 2022 vrat muhurta and paran timing)

निर्जला एकादशी व्रत : 11 जून 2022, स्थानीय सूर्योदय के अनुसार (पश्चिम भारत 10 जून)

एकादशी तिथि समाप्त : 11 जून 2022 को प्रात: 5 बजकर 39 मिनट.

व्रत का पारण मुहूर्त : 12 जून 2022 को सूर्योदय से प्रात: 08 बजकर 13 मिनट.

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ईटीवी भारत डेस्क : सनातन धर्मावलंबियों की एकादशी व्रत में बहुत ही आस्था है. पुराणों के अनुसार एकादशी का व्रत रहने से जन्म-जन्मांतर तक पुण्य की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत भगवान श्रीविष्णु को अति प्रिय है. पारंपरिक रूप से वर्षभर में चौबीस एकादशी व्रत का विधान है. इसमें सबसे ज्यादा तप वाली एकादशी (Nirjala ekadashi 11 June 2022) ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की है. कारण, यह ऐसी एकादशी होती है, जिसमें अन्न तो दूर जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है. इसी कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन कठोर नियमों का पालन करते हुए भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन और उपवास किया जाता है.

इस व्रत में एकादशी के दिन प्रातः स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु का प्रीत्यर्थ संकल्प आदि करना चाहिए. संकल्प में कहना चाहिए "मैं भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के निमित्त व्रत रहूंगा या रहूंगी, जिससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो. ताकि जीवन के समस्त पापों का नाश हो और अमोघ पुण्य की प्राप्ति हो." ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चन्द्र जोशी के अनुसार जो व्यक्ति साल में एक भी एकादशी व्रत न कर सकें, वो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करके चौबीस एकादशी व्रत का फल प्राप्त कर सकता है.

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व्रत कथा, नाम की महिमा : निर्जला एकादशी के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि महाभारत काल में जब युद्ध समाप्त हुआ तो पांडवों के उद्धारणार्थ भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को एकादशी के व्रत की महत्ता बताई. तब भीम ने कहा भगवान मैं 1 दिन भी भूखा नहीं रह सकता. तो किस प्रकार मैं साल के चौबीस एकादशी व्रत कैसे रहूंगा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत करने को कहा. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. मात्र इस दिन जो व्यक्ति व्रत रह ले तो उसे वर्ष की 24 एकादशी का फल प्राप्त हो जाता है. भगवान के कहने पर भीम ने इस व्रत को रखा तभी से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. सनातनी जन्म जन्मांतर तक अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए निर्जला एकादशी का व्रत करने लगे.

यह करें, यह नहीं : एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. निर्जला एकादशी चौबीस एकादशी व्रतों में सबसे उत्तम व्रत होता है. शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा नदीं में स्नान करने का विशेष फल माना जाता है. इसलिए सुबह सूर्योदय से एक घंटे के अंदर तक गंगा स्नान या किसी नदी, कुंड या सरोवर में स्नान करने के बाद दान पुण्य करें. दान में मिट्टी का पात्र, मौसम के अनुसार फल जैसे आम, जामुन इत्यादि किसी ब्राह्मण को दान करना उत्तम माना जाता है. इसके अलावा सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण भी इस दिन करना चाहिये. एकादशी के दिन एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि ऐसे लोग जो व्रत नहीं करते हैं उन्हें चावल या चावल से बनी कोई भी सामग्री नहीं खानी चाहिये.

एकादशी व्रत का पारण : इस वर्ष निर्जला एकादशी 11 जून 2022 को है. एकादशी व्रत का पारायण व्रत के अगले दिन किया जाता है. मान्यता है कि व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिए. व्रत का पारण द्वादशी की तिथि समाप्त होने से पहले करना ही श्रेष्ठ होता है. द्वादशी की तिथि अगर सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए, तो व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिये.

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त (Nirjala ekadashi 11 June 2022 vrat muhurta and paran timing)

निर्जला एकादशी व्रत : 11 जून 2022, स्थानीय सूर्योदय के अनुसार (पश्चिम भारत 10 जून)

एकादशी तिथि समाप्त : 11 जून 2022 को प्रात: 5 बजकर 39 मिनट.

व्रत का पारण मुहूर्त : 12 जून 2022 को सूर्योदय से प्रात: 08 बजकर 13 मिनट.

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Last Updated : Jun 7, 2022, 7:17 PM IST
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