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सियासी खींचतान में उलझा श्मशान घाट, नगर निगम ने लगाया ताला, ये है पूरा मामला - मंत्री तुलसी सिलावट

क्या आपने किसी श्मशान को दर दर भटकते देखा है, शायद नहीं. यह बात सुनने में ही थोड़ी अजीब लगती है, लेकिन हकीकत है, इंदौर के पिपलिया गांव के मुक्तिधाम की. एक ऐसा मुक्तिधाम जो दशकों से लोगों के अंतिम संस्कार कराते-कराते अब अपना बजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. देखिए यह खास रिपोर्ट.

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इंदौर न्यूज
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Published : Jul 16, 2020, 3:33 PM IST

इंदौर। श्मशान घाट का निर्माण नगर-निगम इंदौर ने गांव के बीचों बीच मुख्य सड़क पर करवा दिया है. वो भी हाईटेंशन लाइन के ठीक नीचे. जबकि श्मशान घाट के ठीक सामने एक स्कूल भी है, जिसमें तीन हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन नगर निगम ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और 35 लाख रुपए खर्च कर इस श्मशान का निर्माण करवा दिया.

सियासी खीचतान में उलझा श्मशान घाट

ग्रामीणों ने नई जगह पर शमशान बनाने की मांग

ग्रामीणों ने नगर-निगम के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि, भला श्मशान घाट भी गांव के बीचों-बीच बनाया जाता है. इसलिए इसे तत्काल यहां से हटाया जाए. स्कूल के सामने होने से बच्चों को भी परेशानी होती है. जबकि छोटे बच्चे डरते भी हैं. इसके अलावा हाईटेंशन लाइन के ठीक ऊपर होने से अंतिम संस्कार के वक्त हादसा भी हो सकता है.

विपक्ष का आरोप, मंत्री के समर्थकों ने बेची जमीन

पिपलिया गांव के श्मशान घाट पर राजनीति भी जमकर हो रही है, कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि, मंत्री तुलसी सिलावट के समर्थकों ने श्मशान घाट के लिए चिन्हिंत की गई जमीन को बेच दिया है, और श्मशान घाट का निर्माण सरकारी जमीन पर करवा दिया. स्थानीय लोगों ने बताया कि, गांव के पीछे स्थित नाले के पास जो शासकीय जमीन थी. पहले श्मशान घाट वहां था, लेकिन इस जमीन से श्मशान की बाउंड्री वाल और शेड तोड़ कर उस पर कब्जा कर लिया गया. कांग्रेस का आरोप है कि, यह कारनामा भी मंत्री तुलसी सिलावट के समर्थकों का है. हालांकि मंत्री के समर्थक इन आरोपों को निराधार बताते हैं.

नगर-निगम ने लगाई अंतिम संस्कार पर रोक

कांग्रेस के आरोपों पर जब श्मशान घाट का मुद्दा गरमाया तो इंदौर नगर-निगम की नींद खुली. नगर निगम ने जब गांव का राजस्व रिकॉर्ड खंगाला, तो पता चला कि, श्मशान घाट के लिए 200 आरे जमीन अलॉट की गई थी. लेकिन यह जमीन कहां है, किसी को नहीं पता. लिहाजा नगर-निगम ने अपनी गलती मानते हुए, गांव के बीचों-बीचे बने श्मशान घाट पर रोक लगा दी.

फिलहाल श्मशान घाट पर ताला लग गया है. उपचुनाव के माहौल में इस पर राजनीति भी जमकर हो रही है. कुछ स्थानीय लोग जहां ये श्मशान घाट बना है, उसे वहीं बने रहने देने की मांग पर अड़े हैं. तो कुछ लोग इसे वहां से हटाना चाहते हैं. ऐसे में लोगों को मुक्ति दिलाने वाले इस श्मशान घाट का भविष्य क्या होगा, किसी को नहीं पता. लेकिन इतना जरुर है कि, राजनीति कारणों और प्रशासन की लापरवाही के चलते यह श्मशान घाट अपना वजूद बचाए रखने की लड़ाई जरुर लड़ रहा है.

इंदौर। श्मशान घाट का निर्माण नगर-निगम इंदौर ने गांव के बीचों बीच मुख्य सड़क पर करवा दिया है. वो भी हाईटेंशन लाइन के ठीक नीचे. जबकि श्मशान घाट के ठीक सामने एक स्कूल भी है, जिसमें तीन हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन नगर निगम ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और 35 लाख रुपए खर्च कर इस श्मशान का निर्माण करवा दिया.

सियासी खीचतान में उलझा श्मशान घाट

ग्रामीणों ने नई जगह पर शमशान बनाने की मांग

ग्रामीणों ने नगर-निगम के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि, भला श्मशान घाट भी गांव के बीचों-बीच बनाया जाता है. इसलिए इसे तत्काल यहां से हटाया जाए. स्कूल के सामने होने से बच्चों को भी परेशानी होती है. जबकि छोटे बच्चे डरते भी हैं. इसके अलावा हाईटेंशन लाइन के ठीक ऊपर होने से अंतिम संस्कार के वक्त हादसा भी हो सकता है.

विपक्ष का आरोप, मंत्री के समर्थकों ने बेची जमीन

पिपलिया गांव के श्मशान घाट पर राजनीति भी जमकर हो रही है, कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि, मंत्री तुलसी सिलावट के समर्थकों ने श्मशान घाट के लिए चिन्हिंत की गई जमीन को बेच दिया है, और श्मशान घाट का निर्माण सरकारी जमीन पर करवा दिया. स्थानीय लोगों ने बताया कि, गांव के पीछे स्थित नाले के पास जो शासकीय जमीन थी. पहले श्मशान घाट वहां था, लेकिन इस जमीन से श्मशान की बाउंड्री वाल और शेड तोड़ कर उस पर कब्जा कर लिया गया. कांग्रेस का आरोप है कि, यह कारनामा भी मंत्री तुलसी सिलावट के समर्थकों का है. हालांकि मंत्री के समर्थक इन आरोपों को निराधार बताते हैं.

नगर-निगम ने लगाई अंतिम संस्कार पर रोक

कांग्रेस के आरोपों पर जब श्मशान घाट का मुद्दा गरमाया तो इंदौर नगर-निगम की नींद खुली. नगर निगम ने जब गांव का राजस्व रिकॉर्ड खंगाला, तो पता चला कि, श्मशान घाट के लिए 200 आरे जमीन अलॉट की गई थी. लेकिन यह जमीन कहां है, किसी को नहीं पता. लिहाजा नगर-निगम ने अपनी गलती मानते हुए, गांव के बीचों-बीचे बने श्मशान घाट पर रोक लगा दी.

फिलहाल श्मशान घाट पर ताला लग गया है. उपचुनाव के माहौल में इस पर राजनीति भी जमकर हो रही है. कुछ स्थानीय लोग जहां ये श्मशान घाट बना है, उसे वहीं बने रहने देने की मांग पर अड़े हैं. तो कुछ लोग इसे वहां से हटाना चाहते हैं. ऐसे में लोगों को मुक्ति दिलाने वाले इस श्मशान घाट का भविष्य क्या होगा, किसी को नहीं पता. लेकिन इतना जरुर है कि, राजनीति कारणों और प्रशासन की लापरवाही के चलते यह श्मशान घाट अपना वजूद बचाए रखने की लड़ाई जरुर लड़ रहा है.

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