इंदौर। देशभर में रक्षाबंधन के बाद जन्माष्टमी पर खासा हर्षोल्लास है. ऐसे में निराश्रित बच्चे और बुजुर्ग जो वृद्धा आश्रम में उदासी भरी जिंदगी काटते हैं, उनके बीच इंदौर में हर साल रक्षाबंधन और जन्माष्टमी का पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस खास कार्यक्रम में यहां के दिव्यांगों, छात्राओं और कैलाश विजयवर्गीय के बीच अंताक्षरी की महफिल सजती है. इस प्रतियोगिता में बीते 24 सालों से कैलाश विजयवर्गीय अंताक्षरी में हार रहे हैं. उनकी इस हार की वजह भी बेहद खास है. (Kailash Vijayvargiya Antakshari) (Indore Pardesipura Old Age Home Antakshari).
हार के बाद उपहार: यहां दृष्टिहीन और दिव्यांग बालिकाओं से राखी बंधवाने के बाद अंताक्षरी शुरू होती है. इसमें एक तरफ कैलाश विजयवर्गीय की टीम दूसरी तरफ दिव्यांग बालिकाओं की टीम के बीच अंताक्षरी होती है. कई घंटों तक दोनों टीमों के बीच हो रही अंताक्षरी में गानों का दौर चलता रहता है, लेकिन एक जमाने के ख्यात भजन गायक रहे कैलाश विजयवर्गीय को इस अंताक्षरी में छात्राओं के गाने के सामने हार माननी पड़ती है और उन्हें उपहार देने के बाद भोजन कराना पड़ता है. यह पहली ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें कैलाश विजयवर्गीय बच्चों और बुजुर्गों की आत्मीयता में अंताक्षरी में हार जाते हैं. इसके बाद उन्हें हार के बदले में बच्चों को एवं बुजुर्गों को उपहार और पार्टी देनी होती है. इस दौरान सभी को नए कपड़े और गिफ्ट भी दिए जाते हैं. सूने पड़े वृद्ध आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों और बच्चों के बीच त्योहार की खुशियां दिखने लगती हैं.
महापौर पुष्यमित्र ने गाया गाना: इंदौर के नवनियुक्त महापौर भी दिव्यांग छात्राओं के रक्षाबंधन समारोह एवं जन्माष्टमी आयोजन में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने अंताक्षरी में टीम कैलाश विजवर्गीय का साथ देते हुए शुरुआती दौर में दिव्यांग छात्राओं से उन्हें हारने से बचाया, लेकिन बाद में वह भी दिव्यांग छात्राओं के गानों के सामने टिक नहीं पाए. आखिर मे दिव्यांग और वृद्धों की टीम इस बार भी अंताक्षरी जीत गई.