इंदौर। हाल में उजागर हुए 700 करोड़ रुपए के जीएसटी क्रेडिट घोटाले (GST Credit Scam) की पड़ताल में अब चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं. इस मामले में जांच कर रही राज्य की साइबर सेल पुलिस को ऐसी 25 फर्जी कंपनियों का पता चला है जो गुजरात से ऑपरेट होकर इस घोटाले को अंजाम दे रही थीं. आरोपियों के रिमांड के बाद कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं.
लोगों के दस्तावेजों का किया गलत प्रयोग: सेंट्रल जीएसटी ने करोड़ों के घोटाला का पर्दाफाश किया था. इस मामले में राज्य साइबर सेल पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर 5 दिन की रिमांड पर लिया था. यह पहला अवसर है जब जीएसटी में हुए घोटाले में विभाग अंतिम कड़ी पर जुड़ी कंपनियों तक पहुंच सका है. पूछताछ में कुल 25 जीएसटी फर्म, जीएसटी के आनलाईन पोर्टल पर इंदौर शहर के नागरिकों के दस्तावेजों का गलत उपयोग करने की बात सामने आई है. शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों के दस्तावेजों, पहचान पत्रों और उनके एड्रेस का भी गलत प्रयोग किया गया.
ऐसे उजागर हुआ था मामला: साइबर सेल पुलिस को एक आवेदन मिला था, जिसमें कहा गया था कि कुछ गिरोह टैक्स क्रेडिट आईटीसी बनाने के लिए सक्रिय हैं. जो स्क्रैप और अन्य बिजनेस के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट बना रहे हैं. इनके नाम और पते भी फर्जी हैं. इसके बाद पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन करते हुए गुजरात से 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. इस मामले में तब पता चला था कि यह करीब 700 करोड़ रुपए का घोटाला है. दबिश के दौरान पुलिस को सूरत के एक फ्लैट से सील और तरह-तरह के डॉक्यूमेंट मिले थे. जिनके जरिए फर्जी कंपनियां संचालित की जा रही थी और सीजीएसटी के बिल तैयार करके करोड़ों इनकम टैक्स चोरी की जा रही थी.
पूर्व में 6 जीएसटी फर्म का पता चला था. उसमें मुख्य आरोपी आमिर हलानी और उसके एक साथी अरसलान मर्चेट को सीजीएसटी ने गिरफ्तार किया था. पुलिस रिमांड में पूछताछ में ऐसी 25 फर्म का नाम सामने आया है. जिसमें इंदौर के लोगों का नाम का प्रयोग फर्जी जीएसटी फर्म बनाने किया था. उनसे लगातार पूछताछ जारी है. - जितेंद्र सिंह, एसपी इंदौर साइबर सेल
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