इंदौर। मध्यप्रदेश में बीते एक साल से जारी कोरोना के कहर से औद्योगिक सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है. प्रदेश के औद्योगिक सेक्टर को 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. इंदौर समेत पीतमपुर के औद्योगिक सेक्टर में स्थिति यह है कि लगातार लॉकडाउन और कामकाज बंद रहने से 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं. वही छोटे उद्योग अभी भी आर्थिक नुकसान और कामकाज नहीं होने की स्थिति से जूझते नजर आए रहे हैं.
देशभर में मार्च 2020 के बाद से ही लगातार लॉकडाउन और औद्योगिक गतिविधियां ठप हो जाने के बाद से देश के अलावा प्रदेश का औद्योगिक जगत भी लगातार नुकसान एवं घाटे का सामना कर रहा है. संक्रमण की पहली लहर के बाद प्रधानमंत्री राहत कोष की राशि से दूसरी लहर के पहले उद्योगों की स्थिति थोड़ी संभली थी, लेकिन दूसरी लहर में टोटल लॉकडाउन और लंबे समय तक रहे जनता कर्फ्यू ने प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों में कामकाज ठप कर दिया.
मांग के अनुरूप सामान की बिक्री नहीं
इस स्थिति में इंदौर के प्रमुख औद्योगिक सेक्टर पीतमपुर इंदौर के सांवेर रोड देवास के औद्योगिक क्षेत्र समेत अंचल की तमाम औद्योगिक इकाइयों में कामकाज ही नहीं हो सका. इधर छोटे उद्योगों पर गौर किया जाए तो औद्योगिक गतिविधियां सुचारू रखने के नाम पर जो दुकानें खुली उनमें मांग के अनुरूप सामान बिक्री नहीं हो सकी. वहीं इंडस्ट्रियल मार्केट और बाजारों के बंद रहने से कल-पुर्जे और संसाधनों की उपलब्धता ही नहीं हुई.
मजदूरों के पलायन की वजह से बढ़ी समस्या
यही स्थिति काम करने वाले मजदूरों को लेकर भी रही. कोरोना की दूसरी लहर के पहले ही मजदूरों के अपने गांवों की ओर पलायन करने के बाद जो उद्योग खुले थे, उनमें भी कुशल कारीगर काम नहीं कर पाए. ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र को सेकंड वेब में ही 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है, अब जबकि एक बार फिर लॉकडाउन खुल चुका है तो भी उद्योग पहले से हुए घाटे की भरपाई नहीं होने के कारण काम की गति नहीं पकड़ पा रहे हैं. इसके अलावा आर्थिक मंदी और उपलब्ध माल की तुलना में बाजार में मांग नहीं होने के कारण उद्योगों की स्थिति दयनीय हो चुकी है.
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घाटे से उबर पाने की स्थिति में नहीं है सेक्टर
फिलहाल जो बड़े उद्योग किसी तरह चल सके, वह भी माल महंगे दाम पर बेचकर मुनाफा कमाए, लेकिन छोटे उद्योग क्रय शक्ति नहीं होने के कारण ना तो माल खरीद पाए और ना ही उसे तैयार कर बेचने की स्थिति में रहे. यही वजह है कि अंचल में कर्मचारियों को सर्वाधिक रोजगार मुहैया कराने वाले स्माल इंडस्ट्रीज में ही 20,000 से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं. इंदौर के पीतमपुर उद्योग संगठन के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो बेरोजगारी की यह स्थिति सिर्फ इंदौर पीतमपुर औद्योगिक क्षेत्र की है. कमोबेश यही स्थिति मध्यप्रदेश के मंडीदीप समेत मालनपुर और अन्य सेक्टरों की भी है, जहां उद्योग लॉकडाउन से जूझने के बाद लगातार हो रहे घाटे से उबर पाने की स्थिति में नहीं हैं.
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तीसरे दौर की अभी से चिंता
पहले और दूसरे दौर में जो उद्योग चौपट हो गए उनके बाद अब शेष बचे उद्योग महामारी के तीसरे चरण की आशंका के चलते खुद को बचाए रखने के प्रयासों में जुट गए हैं. बीते 15 महीने की आर्थिक तालाबंदी के कारण उद्योगों की जमा पूंजी खत्म हो चुकी है. केंद्र सरकार ने जो 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज दिया था, उसमें भी 20 फीसदी लोन की वृद्धि की रकम भी खर्च हो चुकी है. अब यदि उद्योग फिर से लोन लेने के लिए आगे बढ़ते हैं तो उन्हें बैंकों का ब्याज चुकाना मुश्किल हो जाएगा. लिहाजा उद्योग भी अब सीमित संसाधनों में ही खुद को तीसरी लहर से बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.
तेल की बढ़ती कीमतों ने बढ़ाई मुसीबत
केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ाए जाने के कारण परिवहन की दरें 20 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं. इसके विपरीत ट्रांसपोर्ट सेक्टर ने परिवहन की दरें 50 से 60 फीसदी कर दी है. इस स्थिति के बावजूद प्रदेश के उद्योगों में तैयार होने वाला माल जो दूसरे राज्यों के माल से प्रतिस्पर्धा करता था, वह परिवहन दरें बढ़ने के कारण अन्य राज्यों में भेजा ही नहीं जा सकेगा. ऐसी स्थिति में स्थानीय उद्योगों को अपने उत्पाद बेचने के लिए नए बाजार खोजना भी एक चुनौती है.