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10 किलोमीटर दूर से ही ध्वस्त किए जा सकेंगे दुश्मन देशों के टैंकर, नई तकनीक की गई विकसित

लेजर तकनीक का इस्तेमाल अब कई क्षेत्रों में होने लगा है. इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र में लेजर तकनीक से दुश्मन देशों के टैंकरों को ध्वस्त करने की टेक्नोलॉजी विकसित की गई है.

लेजर तकनीक
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Published : Feb 26, 2019, 2:50 PM IST

इंदौर। लेजर तकनीक का इस्तेमाल अब कई क्षेत्रों में होने लगा है. इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र में लेजर तकनीक से दुश्मन देशों के टैंकरों को ध्वस्त करने की टेक्नोलॉजी विकसित की गई है. इसकी मदद से सीमा पर 10 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के टैंकरों को निशाना लगाकर ध्वस्त किया जा सकेगा.

लेजर तकनीक


इंदौर के आरआर कैंट में जारी वैज्ञानिक शोधों के मद्देनजर अब लेजर कटिंग सहित लेजर किरणों को मोड़ने की फाइबर आधारित तकनीक का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा है. यहां 700 वाट की जो लेजर कटिंग तकनीक विकसित की गई है, वह अत्यधिक क्षमता वाली लेजर किरणों को काटने के साथ उनकी दिशा मोड़ने में सक्षम है. अब यहां पर 5 से 10 किलोवाट की लेजर बीम प्रणाली विकसित की जा रही है. इसके जरिए 10 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के टैंकरों पर निशाना लगाया जा सकेगा.


खासतौर पर देश की युद्ध प्रणाली विकसित करने के लिए जल्दी ही यह प्रयोग यहां अमल में लाया जा सकता है. गौरतलब है कि अभी अधिकतर लेजर तकनीक का प्रयोग धातुओं की कटिंग के अलावा चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में किया जाता है. इसके अलावा लंबी दूरी तक लक्ष्य के चयन में भी लेजर प्रणाली का उपयोग किया जाता है.

इंदौर। लेजर तकनीक का इस्तेमाल अब कई क्षेत्रों में होने लगा है. इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र में लेजर तकनीक से दुश्मन देशों के टैंकरों को ध्वस्त करने की टेक्नोलॉजी विकसित की गई है. इसकी मदद से सीमा पर 10 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के टैंकरों को निशाना लगाकर ध्वस्त किया जा सकेगा.

लेजर तकनीक


इंदौर के आरआर कैंट में जारी वैज्ञानिक शोधों के मद्देनजर अब लेजर कटिंग सहित लेजर किरणों को मोड़ने की फाइबर आधारित तकनीक का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा है. यहां 700 वाट की जो लेजर कटिंग तकनीक विकसित की गई है, वह अत्यधिक क्षमता वाली लेजर किरणों को काटने के साथ उनकी दिशा मोड़ने में सक्षम है. अब यहां पर 5 से 10 किलोवाट की लेजर बीम प्रणाली विकसित की जा रही है. इसके जरिए 10 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के टैंकरों पर निशाना लगाया जा सकेगा.


खासतौर पर देश की युद्ध प्रणाली विकसित करने के लिए जल्दी ही यह प्रयोग यहां अमल में लाया जा सकता है. गौरतलब है कि अभी अधिकतर लेजर तकनीक का प्रयोग धातुओं की कटिंग के अलावा चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में किया जाता है. इसके अलावा लंबी दूरी तक लक्ष्य के चयन में भी लेजर प्रणाली का उपयोग किया जाता है.

Intro:लेसर आधारित तकनीक का चिकित्सा विज्ञान मैं प्रयोग के अलावा अब इसके उपयोग क्षेत्र का भी विस्तार किया जा रहा है इंदौर के राधा रमन ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र में लेजर तकनीक से युद्ध के दौरान दुश्मन देशों के टैंकरों को ध्वस्त करने की तकनीक विकसित कर ली गई है इस तकनीक की मदद से सीमा पर 10 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के टैंकरों को निशाना लगा कर ध्वस्त किया जा सकेगा


Body:इंदौर के आर आरआर कैट में जारी वैज्ञानिक शोधों के मद्देनजर अब लेजर कटिंग सहित लेजर किरणों को मोड़ने की फाइबर आधारित तकनीकी का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा है यहां 700 वाट की जो लेजर कटिंग तकनीक विकसित की गई है मैं अत्यधिक क्षमता वाली लेजर किरणों को काटने के साथ उनकी दिशा मोड़ने में सक्षम है अब यहां पर 5 से 10 किलो वाट की लेजर बीम प्रणाली विकसित की जा रही है जो कितनी क्षमता की होगी कि उसके जरिए 10 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के टैंकरों पर निशाना लगाया जा सकेगा खासतौर पर देश की युद्ध प्रणाली विकसित करने के लिए जल्दी ही यह प्रयोग यहां अमल में लाया जा सकता है गौरतलब है अभी लेजर तकनीकी का प्रयोग धातुओं की कटिंग के अलावा चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में किया जाता है इसके अलावा लंबी दूरी तक लक्ष्य के चयन मैं भी लेजर प्रणाली का उपयोग किया जाता है पूर्व में इसकी दिशा बदलने की प्रणाली नहीं थी जैसे फाइबर लेजर तकनीकी के जरिए यहां विकसित किया गया है


Conclusion:बाइट बीएम उपाध्याय वैज्ञानिक आरआर कैट इंदौर
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