इंदौर। मध्य प्रदेश की राजनीति में 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार को गिराकर बीजेपी में अपनी प्रतिबद्धता और नया मुकाम स्थापित करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अब नए अंदाज में नजर आ रहे हैं. राज्यसभा सांसद बनने के बाद ग्वालियर-चंबल संभाग से पहले मालवाचंल के दौरे पर पहुंचे. जहां सिंधिया ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के भरोसे प्रदेश भाजपा की राजनीति में अपने वर्चस्व के विस्तार का शंखनाद महाकाल का आशीर्वाद लेकर किया है.
पहले उज्जैन का किया दौरा
इंदौर और उज्जैन मालवाचंल के सबसे बड़े सियासी केंद्र माने जाते हैं. इसलिए सिंधिया सबसे पहले उज्जैन पहुंचे और महाकाल की पूजा अर्चना कर सिंधिया पहली बार महाकाल की शाही सवारी में शामिल हुए. इसी बीच में पहली बार वे काल भैरव के दर्शन करने भी पहुंचे. उज्जैन के लोगों के बीच उनके महाराज का यह नया रूप चर्चा का विषय बना रहा. खास बात यह है कि आमतौर पर अपने अधीनस्थ किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधि को चर्चा के लिए अपने पास बुलवाने वाले सिंधिया खुद पहली बार आगे आकर मालवांचल के उन तमाम नेताओं से मिले जिनकी अंचल की सभी विधानसभा सीटों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जमीनी पकड़ है.
सिंधिया उज्जैन और आगर में राजनीतिक पकड़ रखने वाले संघ के करीबी बीजेपी सांसद अनिल फिरोजिया के निवास पर भेंट करने पहुंचे. इसी तरह उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव. पूर्व मंत्री पारस जैन के घर पहुंचकर भी उनसे मुलाकात की. मोहन यादव की उज्जैन और सांवेर से जुड़े इलाकों में खासी पकड़ है वही पूर्व मंत्री पारस जैन उज्जैन के अलावा मंदसौर, आगर और रतलाम क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत रखते हैं.
इंदौर में ताई और भाई के घर पहुंचे सिंधिया
इंदौर पहुंचकर सिंधिया ने अपने अभियान को मूर्त रूप दिया जिसमें वे पहली बार इंदौर के संभागीय बीजेपी कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने पहली बार अपनी दादी विजयाराजे सिंधिया की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर आशीर्वाद लिया. खास बात यह कि इस दौरान इंदौर में बीजेपी के सभी बड़े नेता उनका स्वागत करते नजर आए. सिंधिया पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन के घर भी पहुंचे. तो मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में अपने घोर विरोधी रहे अंचल के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय की घर पर उनकी गैरमौजूदगी के बावजूद सिंधिया उनके घर भोजन करने पहुंचे. यहां भी उन्होंने विजयवर्गीय समर्थकों और परिजनों को यह बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि वह और विजयवर्गीय अब अलग-अलग ध्रुव नहीं है.
अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव में इंदौर और उज्जैन के भाजपा नेताओं समेत अपने सभी खास समर्थकों से घिरे रहे सिंधिया इंदौर से दिल्ली रवाना होने के पहले अपने तय प्लान में बदलाव कर अचानक अंचल की शासिका रही लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की पुण्यतिथि पर आशीर्वाद लेने भी पहुंचे. यानि मालवाचंल के दौरे में सिंधिया ने एक तीर से कई निशाने साधे.
खास बात यह है कि मालवा की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. जिनमें सांवेर, बदनावर, आगर-मालवा, सुवासरा और मांधाता शामिल है. यही वजह है कि सिंधिया ने यहां सियासी बिसात विछानी शुरु कर दी. सिंधिया के मालवा दौरे के मायने जो भी हो लेकिन वे भगवागढ़ मालवाअंचल में बीजेपी नेता और कार्यकर्ताओं को यह संकेत देने में काफी हद तक सफल रहे हैं. कि कांग्रेस छोड़ने के बाद वह बीजेपी की रीति नीति में एकाकार हो चुके हैं.