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इंदौर लाइट हाउस प्रोजेक्ट: 1 लाख में मिलेगा अपना मकान, नवंबर तक पूरा होगा प्रोजेक्ट

इंदौर की बहुप्रतीक्षित लाइट हाउस प्रोजेक्ट को लेकर निगम आयुक्त ने अफसरों की बैठक ली. आयुक्त ने बताया कि नवंबर तक प्रोजेक्ट के तहत मकान बनकर तैयार हो जाएंगा. ये मकान प्रधानमंत्री आवास योजना में बन रहे हैं. इनकी कीमत एक लाख रुपए से भी कम होगी.

light house project
1 लाख में मिलेगा अपना मकान
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Published : Jul 5, 2021, 10:04 AM IST

इंदौर। इंदौर सहित देश के 6 शहरों में लाइट हाऊस प्रोजेक्ट योजना की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत की थी. नवंबर तक इंदौर में ये प्रोजेक्ट पूरा हाने की संभावना है. इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते मकान बनाकर गरीब लोगों को दिए जाने हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की लाइट हाउस प्रोजेक्ट की समीक्षा

इंदौर में लाइट हाउस प्रोजेक्ट चर्चा में है. निगमायुक्त प्रतिभा पाल का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे लाइट हाउस प्रोजेक्ट के नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है. प्लांट के पैनल इंदौर में दो जगह बन रहे हैं. हैदराबाद की फैक्ट्री में भी पैनल बनाए जा रहे हैं. अभी तक 54 लोग इन मकानों की बुकिंग करवा चुके हैं. एक लाख रुपए से भी कम कीमत में ये मकान आवंटित किए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट में सेंडविच पैनल का उपयोग किया जा रहा है. आईआईटी के स्टूडेंट भी इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.

क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट ?

शहरी विकास मंत्रालय की ओरे से लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत इंदौर में प्री फैब्रिकेटेड सैंडविच पेनल सिस्टम से आवासीय इमारतें बनाई जाएंगी. इस तकनीक से फैक्ट्री से बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर मौके पर लाए जाते हैं. इससे मकान तैयार होने में कम समय लगता है. इससे प्रोजेक्ट की लागत भी नहीं बढ़ती. इंदौर में प्री फैब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम के तहत 1024 फ्लैट बनाए जाएंगे.ये मकान भूकंपरोधी होंगे.

क्या है इन मकानों की खासियत ?

नई तकनीक से जो इमारत बनेंगी, वे जी प्लस आठ आकार की होंगी. उनके लिए तकनीकी सहायता जापानी कंपनी दे रही है. 128 करोड़ रुपये की लागत से ये फ्लैट 18 महीने में तैयार करने का लक्ष्य है. इसमें 16 टावर बनाए जाएंगे. इसके लिए नौ हेक्टेयर जमीन दी गई है.

आरक्षण की नई शर्तः अगर आपके नाम है 1200 स्क्वायर फीट का मकान, तो हकदार नहीं

  • PM आवास योजना के मकानों से कम कीमत में होंगे तैयार
  • बीम, कॉलम, पैनल फिट करने के बाद उनकी तराई करने की जरूरत नहीं पड़ती
  • इससे पानी और समय की बचत होती है
  • ये तकनीक पर्यावरण अनुकूल भी है
  • वजन में हलके होने के कारण इमारत पर ज्यादा भार नहीं पड़ता
  • भूकंपरोधी होने के कारण इस तकनीक से हुए निर्माण ज्यादा सुरक्षित होते हैं

इंदौर। इंदौर सहित देश के 6 शहरों में लाइट हाऊस प्रोजेक्ट योजना की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत की थी. नवंबर तक इंदौर में ये प्रोजेक्ट पूरा हाने की संभावना है. इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते मकान बनाकर गरीब लोगों को दिए जाने हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की लाइट हाउस प्रोजेक्ट की समीक्षा

इंदौर में लाइट हाउस प्रोजेक्ट चर्चा में है. निगमायुक्त प्रतिभा पाल का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे लाइट हाउस प्रोजेक्ट के नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है. प्लांट के पैनल इंदौर में दो जगह बन रहे हैं. हैदराबाद की फैक्ट्री में भी पैनल बनाए जा रहे हैं. अभी तक 54 लोग इन मकानों की बुकिंग करवा चुके हैं. एक लाख रुपए से भी कम कीमत में ये मकान आवंटित किए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट में सेंडविच पैनल का उपयोग किया जा रहा है. आईआईटी के स्टूडेंट भी इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.

क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट ?

शहरी विकास मंत्रालय की ओरे से लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत इंदौर में प्री फैब्रिकेटेड सैंडविच पेनल सिस्टम से आवासीय इमारतें बनाई जाएंगी. इस तकनीक से फैक्ट्री से बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर मौके पर लाए जाते हैं. इससे मकान तैयार होने में कम समय लगता है. इससे प्रोजेक्ट की लागत भी नहीं बढ़ती. इंदौर में प्री फैब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम के तहत 1024 फ्लैट बनाए जाएंगे.ये मकान भूकंपरोधी होंगे.

क्या है इन मकानों की खासियत ?

नई तकनीक से जो इमारत बनेंगी, वे जी प्लस आठ आकार की होंगी. उनके लिए तकनीकी सहायता जापानी कंपनी दे रही है. 128 करोड़ रुपये की लागत से ये फ्लैट 18 महीने में तैयार करने का लक्ष्य है. इसमें 16 टावर बनाए जाएंगे. इसके लिए नौ हेक्टेयर जमीन दी गई है.

आरक्षण की नई शर्तः अगर आपके नाम है 1200 स्क्वायर फीट का मकान, तो हकदार नहीं

  • PM आवास योजना के मकानों से कम कीमत में होंगे तैयार
  • बीम, कॉलम, पैनल फिट करने के बाद उनकी तराई करने की जरूरत नहीं पड़ती
  • इससे पानी और समय की बचत होती है
  • ये तकनीक पर्यावरण अनुकूल भी है
  • वजन में हलके होने के कारण इमारत पर ज्यादा भार नहीं पड़ता
  • भूकंपरोधी होने के कारण इस तकनीक से हुए निर्माण ज्यादा सुरक्षित होते हैं
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