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सब्जी बेचने वाले की बेटी बनी सिविल जज, हासिल किया पांचवां स्थान, माता-पिता बोले- बेटी ने मुश्किलों में भी नहीं हारी हिम्मत - इंदौर की बेटी बनी जज

कहते हैं कि शिद्दत से मेहनत की जाए तो सफलता जरूर आपके कदम चूमती है. परेशानियां कोई रुकावट नहीं बन सकतीं, बस जरूरत होती है लक्ष्य को पाने के लिए एकाग्रता और जज्बे की. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है इंदौर शहर में सब्जी बेचने वाले माता-पिता की एक बेटी ने जिसका चयन सिविल जज के लिए हुआ है. (Vegetable seller daughter becomes judge)

civil judge selection
सब्जी बेचने वाली बेटी बनी सिविल जज
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Published : May 5, 2022, 5:57 PM IST

Updated : May 5, 2022, 8:08 PM IST

इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में सब्जी बेचकर जीवन-यापन करने वाले एक परिवार की बेटी सिविल जज पद के लिए चयनित हुई है. संघर्ष की आंच में तपी इस बेटी का कहना है कि न्यायाधीश भर्ती परीक्षा में तीन बार नाकाम होने के बाद भी उसकी निगाहें लक्ष्य पर टिकी रहीं. वह विचलित नहीं हुई और आखिर में अंकिता नागर ने वह मुकाम हासिल किया जिसकी वो हकदार थी. मुसाखेड़ी इलाके में रहने वाली अंकिता के पिता अशोक नागर सब्जी का ठेला लगाकर अपना परिवार पालते हैं. उनकी बेटी अंकिता को सिविल जज चयन परीक्षा में एससी कोटे में पांचवा स्थान मिला है. (civil judge selection)

सब्जी बेचने वाले की बेटी का सिविल जज में चयन

सब्जी बेचने के साथ करती थी पढ़ाई: अंकिता नागर का कहना है कि, उसे कड़ी मेहनत के बाद यह सबकुछ हासिल हुआ है. अंकिता अपने माता-पिता के साथ सब्जी की दुकान पर काम करने के साथ ही पढ़ाई भी करती थी. पढ़ाई के लिए रोजाना 8 से 10 घंटे का समय देती थी. कड़ी मेहनत के बाद तीसरे प्रयास में उसे यह सफलता हासिल हुई .इससे पहले दो बार असफलता हाथ लगी, लेकिन अंकिता ने संघर्ष जारी रखा और अब सफलता हासिल की.

civil judge selection
सब्जी बेचने वाली बेटी बनी सिविल जज

बेटियां किसी से कम नहीं: 24 साल की उम्र में ग्वालियर निवासी समीक्षा बनी जज, पिता का सपना किया पूरा

- एलएलएम (LLM) की शिक्षा हासिल करने वाली नागर ने बताया कि वह बचपन से कानून की पढ़ाई (study law) करना चाहती थीं. उन्होंने एलएलबी (LLB) के अध्ययन के दौरान तय कर लिया था कि, उन्हें न्यायाधीश (judge) बनना है.

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माता पिता और भाई ने बढ़ाया हौसला: अंकिता ने बताया कि इस सफलता के लिए आर्थिक परेशानियों के साथ कई अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता था. इस दौरान माता-पिता और भाई लगातार हौसला देते रहे, जिसके बाद यह सफलता मिली है. अंकिता का कहना है कि परिवार में सभी लोग काम करते हैं, तब जाकर गुजारा होता है. पढ़ाई के लिए परिवार के सभी सदस्यों ने मदद की. इसलिए उनकी यह सफलता केवल अकेले की नहीं बल्कि, पूरे परिवार के सामूहिक प्रयासों का का फल है.

indore Ankita nagar with her mother
मां के साथ खुशियां मनाती अंकिता नागर

पिता बोले- बेटी एक मिसाल : न्यायाधीश भर्ती परीक्षा (judge recruitment exam) में बेटी की सफलता से गदगद पिता अशोक नागर ने कहा कि, उनकी बेटी ने समाज, परिवार और रिश्तेदारों के साथ ही असफल होने पर लक्ष्य से भटकने जाने वाले छात्रों के लिए एक मिसाल कायम की है. क्योंकि उसने जीवन में कड़े संघर्ष के बावजूद कभी हिम्मत नहीं हारी, और परिवार के सपने को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करती रही. इसी मेहनत का फल है कि बेटी ने जो सोचा था वह कर दिखाया. (Father dream fulfilled)

इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में सब्जी बेचकर जीवन-यापन करने वाले एक परिवार की बेटी सिविल जज पद के लिए चयनित हुई है. संघर्ष की आंच में तपी इस बेटी का कहना है कि न्यायाधीश भर्ती परीक्षा में तीन बार नाकाम होने के बाद भी उसकी निगाहें लक्ष्य पर टिकी रहीं. वह विचलित नहीं हुई और आखिर में अंकिता नागर ने वह मुकाम हासिल किया जिसकी वो हकदार थी. मुसाखेड़ी इलाके में रहने वाली अंकिता के पिता अशोक नागर सब्जी का ठेला लगाकर अपना परिवार पालते हैं. उनकी बेटी अंकिता को सिविल जज चयन परीक्षा में एससी कोटे में पांचवा स्थान मिला है. (civil judge selection)

सब्जी बेचने वाले की बेटी का सिविल जज में चयन

सब्जी बेचने के साथ करती थी पढ़ाई: अंकिता नागर का कहना है कि, उसे कड़ी मेहनत के बाद यह सबकुछ हासिल हुआ है. अंकिता अपने माता-पिता के साथ सब्जी की दुकान पर काम करने के साथ ही पढ़ाई भी करती थी. पढ़ाई के लिए रोजाना 8 से 10 घंटे का समय देती थी. कड़ी मेहनत के बाद तीसरे प्रयास में उसे यह सफलता हासिल हुई .इससे पहले दो बार असफलता हाथ लगी, लेकिन अंकिता ने संघर्ष जारी रखा और अब सफलता हासिल की.

civil judge selection
सब्जी बेचने वाली बेटी बनी सिविल जज

बेटियां किसी से कम नहीं: 24 साल की उम्र में ग्वालियर निवासी समीक्षा बनी जज, पिता का सपना किया पूरा

- एलएलएम (LLM) की शिक्षा हासिल करने वाली नागर ने बताया कि वह बचपन से कानून की पढ़ाई (study law) करना चाहती थीं. उन्होंने एलएलबी (LLB) के अध्ययन के दौरान तय कर लिया था कि, उन्हें न्यायाधीश (judge) बनना है.

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माता पिता और भाई ने बढ़ाया हौसला: अंकिता ने बताया कि इस सफलता के लिए आर्थिक परेशानियों के साथ कई अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता था. इस दौरान माता-पिता और भाई लगातार हौसला देते रहे, जिसके बाद यह सफलता मिली है. अंकिता का कहना है कि परिवार में सभी लोग काम करते हैं, तब जाकर गुजारा होता है. पढ़ाई के लिए परिवार के सभी सदस्यों ने मदद की. इसलिए उनकी यह सफलता केवल अकेले की नहीं बल्कि, पूरे परिवार के सामूहिक प्रयासों का का फल है.

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मां के साथ खुशियां मनाती अंकिता नागर

पिता बोले- बेटी एक मिसाल : न्यायाधीश भर्ती परीक्षा (judge recruitment exam) में बेटी की सफलता से गदगद पिता अशोक नागर ने कहा कि, उनकी बेटी ने समाज, परिवार और रिश्तेदारों के साथ ही असफल होने पर लक्ष्य से भटकने जाने वाले छात्रों के लिए एक मिसाल कायम की है. क्योंकि उसने जीवन में कड़े संघर्ष के बावजूद कभी हिम्मत नहीं हारी, और परिवार के सपने को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करती रही. इसी मेहनत का फल है कि बेटी ने जो सोचा था वह कर दिखाया. (Father dream fulfilled)

Last Updated : May 5, 2022, 8:08 PM IST
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