इंदौर। प्रदेश में ऐसे हजारों बच्चे हैं जो अपने माता पिता से अनुवांशिक तौर पर होने वाली घातक थैलेसीमिया बीमारी के संक्रमण के कारण अपनी जान बचाने का संघर्ष कर रहे हैं. लिहाजा ऐसे तमाम मरीजों की जान बचाने के लिए इंदौर जिला प्रशासन की पहल पर अब खजराना गणेश मंदिर और रंजीत हनुमान मंदिर की दान राशि से दवाएं उपलब्ध कराने की मानवीय पहल की गई है. प्रदेश में यह पहला मौका है जब थैलेसीमिया मरीजों के लिए लाखों रुपए की दवाई हर महीने निशुल्क दी जा रही हैं.
कलेक्टर की मानवीय पहल: प्रदेश में थैलेसीमिया मरीजों की संख्या हजारों में है. जिनमें से अधिकांश मरीज इस स्थिति में है कि ना तो वे हर महीने अपने लिए रक्त की पर्याप्त आपूर्ति कर पाते हैं ना ही हजारों की जरूरी दवाई खरीद पाते हैं. लॉकडाउन के दौरान इंदौर में दवाई के लिए तड़पते करीब डेढ़ सौ मरीजों की व्यथा जब इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह के संज्ञान में आई तो जिला प्रशासन ने इस दिशा में पहल करते हुए खजराना गणेश मंदिर और रंजीत हनुमान मंदिर में थैलेसीमिया मरीजों की मदद के लिए अलग से 5-5 दान पेटियां लगवाई थीं. इसके अलावा इन दान पेटी से आने वाली धनराशि के लिए अलग बैंक खाता खोलने के साथ ही गरीब और दवाइयों के लिए भटकने वाले जरूरतमंद मरीजों की मदद के लिए स्थानीय सांसद शंकर लालवानी (Indore MP Shankar Lalwani) की अध्यक्षता में थैलेसीमिया सोसाइटी का गठन किया था.
मंदिर से ही दवाओं का वितरण शुरू: इस मानवीय पहल के शुभारंभ के बाद बीते 10 दिनों में सोसाइटी के माध्यम से जो दवाएं क्रय की गई उनका अब मंदिर से ही वितरण शुरू किया गया है. लिहाजा अब दूरदराज के इलाकों से दवाई के लिए इंदौर पहुंचने वाले जरूरतमंद मरीज खुश हैं. इंदौर में थैलेसीमिया सोसाइटी के अध्यक्ष एवं सांसद शंकर लालवानी के मुताबिक, दोनों मंदिरों से सिर्फ इंदौर के ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी मरीजों के लिए दवाइयों की उपलब्धता हो सके इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था की जा रही है. जिस पर पंजीयन के बाद सभी जगह के मरीज एक यूनिक आईडी के जरिए इंदौर से जरूरत के मुताबिक मासिक रूप से दबाएं निशुल्क प्राप्त कर सकेंगे.
पीड़ित बच्चों को बचाने के लिए मंदिर में लगेंगी दान पेटियां, डॉक्टर भी कराए जाएंगे उपलब्ध
इंजेक्शन भी निशुल्क दिये जा रहे: थैलेसीमिया सोसाइटी के सदस्य एवं मंदिर के मुख्य पुजारी पं अशोक भट्ट के मुताबिक मंदिरों में अलग से रखी गई दान पेटी में जो दान राशि आ रही है उसके जरिए दवाई का खर्च वहन किया जा रहा है. इसके अलावा अतिरिक्त खर्च की पूर्ति मंदिर के अन्य क्षेत्र की राशि से हो सकेगी. फिलहाल जिला प्रशासन की मदद से दोनों मंदिरों में पर्याप्त दवाई की उपलब्धता है इसके अलावा मरीजों को जरूरी इंजेक्शन भी निशुल्क प्रदान किए जाने लगे हैं.
इसलिए घातक है बीमारी: मरीज को यह बीमारी अनुवांशिक रूप से माता-पिता के जरिए आती है. जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. अन्य ब्लड चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है. अनुवांशिक रक्त विकार के कारण शरीर से हिमोग्लोबिन की मात्रा कम करने के लिए जो दवाइयां लगती हैं वह भी प्रति माह 6 से 7000 की पड़ती है. इसके अलावा गंभीर स्थिति होने पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट तक करना पड़ता है. इस बीमारी के मरीज शारीरिक रूप से आयु में छोटे दिखते हैं. समय अनुसार उनके शरीर का विकास नहीं हो पाता. दवाई के अभाव में शारीरिक अंगों के डैमेज होने के कारण मरीज की मौत भी हो जाती है.
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