इंदौर। पति ने पत्नी को शिक्षा हासिल करने से रोका तो पत्नी ने तलाक लेने के लिए याचिका लगा दी. इस मामले में इंदौर कुटुंब न्यायालय में सुनवाई को दौरान पीड़ित महिला की तलाक की अर्जी मंजूर करते हुए आदेश जारी कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि यह संभवत: प्रदेश का ऐसा पहला मामला है जिसमें पत्नी को शिक्षा अर्जित करने से रोकने के मामले में पति से तलाक लेने की अर्जी को मंजूर किया गया है.
यह है पूरा मामला
इस मामले में पीडि़त महिला की शादी मात्र 13 साल की उम्र में ही कर दी गई थी. जब पीड़ित महिला वयस्क हुई तो उसने ससुराल वालों से शिक्षा हासिल करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन ससुराल वालों ने पीड़िता को घर के काम करने के लिए दबाव डाला और इसके लिए प्रताड़ित भी किया जाने लगा. शादी के बाद पति भी पीड़िता पर संबंध बनाने के लिए दबाव डालने लगा. इससे परेशान होकर 2018 में पीड़िता ने प्रताड़ना पूर्ण दुर्व्यवहार और शिक्षा के अधिकार से वंचित करने के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की थी. जिस पर इंदौर के कुटुंब न्यायालय ने सुनवाई करते हुए और पीड़ित महिला के तर्कों को सुनते हुए पीड़िता पत्नी को तलाक दिलाया और पति को पीड़ित महिला को 10 हज़ार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता के तौर देने के निर्देश भी दिए हैं ताकि पीड़िता अपनी पढ़ाई पूरी कर सके.
इंदौर में बढ़ रहे हैं महिला प्रताड़ना के मामले
इंदौर में लगातार इस तरह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. महिला प्रताड़ना और दहेज सम्बन्धी काफी मामले इंदौर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में लगातार सामने आ रहे हैं. जिस तरह से इस मामले में कुटुंब न्यायालय ने शिक्षा हासिल करने के महिला के अधिकार को प्रमुखता से लेते उसकी पति से तलाक लेने की अर्जी को मंजूर किया है वह प्रदेश का पहला मामला बताया जा रहा है.
क्या कहता है शिक्षा का अधिकार कानून
शिक्षा के अधिकार कानून अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाती है. किसी भी बच्चे को किसी शुल्क अथवा शिक्षा पर खर्च के आधार पर शिक्षा देने से वंचित नहीं किया जा सकता. सभी को सुलभ तरीके से शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है.