इंदौर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कनाड़िया क्षेत्र में लाइट हाउस प्रोजेक्ट का काम चल रहा है. यहां पर काम की चाल कोरोना की वजह से धीमी धीमी पड़ गई थी. एक बार फिर से प्रोजेक्ट ने रफ्तार पकड़ ली है.लगभग 30% से ज्यादा काम हो चुका है. (Light House Project Indore) 1 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने इंदौर सहित देश के 5 शहरों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी.
क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट ?
लाइट हाउस प्रोजेक्ट दुबई, चीन, जापान की तर्ज पर भारत में ईडब्ल्यूएस वर्ग के (Light House Project Indore) लिए बनाया जा रहा है. 1 BHK फ्लैट की कीमत लगभग ₹600000 के आसपास की रखी गई है. प्रीफैबरिकटेड सैंडविच सिस्टम पैनल की तकनीकी से लाइट हाउस प्रोजेक्ट के फ्लैट बनाए जा रहे हैं . गर्मी में टेंपरेचर फ्लैट के अंदर का नार्मल रहेगा, तो सर्दियों में भी अंदर का टेंपरेचर बाहर टेंपरेचर से ज्यादा रहेगा. ग्रीन हाउस की तरह 1BHK फ्लैट बनाए जा रहे हैं. अभी तक इस प्रकार के फ्लाइट जापान, चीन और दुबई में बनाए जाते थे. (Light House Project Indore) अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भारत में भी बनने शुरू हो चुके हैं. कनाड़िया में लाइट हाउस प्रोजेक्ट पर निगम काम कर रहा है, जिसके तहत इनोवेटिव तरीके से 1024 फ्लैट बनाए जा रहे हैं.
कब पूरा होगा प्रोजेक्ट ?
पिछले दिनों अधिकारिंयों की टीम ने औचक निरीक्षण किया था. लाइट हाउस प्रोजेक्ट की धीमी चाल पर उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजर को फटकार लगाई थी. कनाड़िया में लाइट हाउस प्रोजेक्ट की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister Narendra Modi ) भी तारीफ कर चुके हैं. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए निगम ने 31 दिसंबर-2021 तक का समय रखा था, लेकिन कोरोना की वजह से काम लेट हो गया और अब इसकी मियाद बढ़ाकर मार्च-2022 कर दिया गया है.
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प्री फैबरीकेटेड सेंडविच पैनल सिस्टम से बनाई जाएगी इमारत
इंदौर में इस प्रोजेक्ट में 1024 यूनिट फ्लैट बनाए जाएंगे. पूरे देश में 6 स्थानों पर बनाए जा रहे इस मॉडल की विशेषता यह है कि हर जगह अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इंदौर में (Light House Project Indore) प्री फैबरीकेटेड सेंडविच पैनल सिस्टम से आवासीय इमारतों का निर्माण होगा. देश में पहली बार इस सिस्टम से आवासीय इमारतें बनाई जा रही हैं. इस तकनीक की खास बात यह है की बीम कॉलम और पैनल फिट करने के बाद उस पर पानी से तराई नहीं करना पड़ती है. जिसके कारण समय और पानी दोनों की बचत होती है. साथ ही भूकंप रोधी होने के कारण इस तकनीक में हुए निर्माण कार्यों को ज्यादा सुरक्षित माना गया है.