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कोरोना काल में दुनिया भर के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन देकर विश्वभर में फेमस हुआ इंदौर का फार्मा हब

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Published : Dec 1, 2020, 4:26 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 8:22 PM IST

कोरोना के शुरुआती दौर से अब तक पूरी दुनिया को इंदौर ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवा उपलब्ध कराई है. इतना ही नहीं फिलहाल जिन देशों में वैक्सीन विकसित किए जाने का दावा किया जा रहा है. वहां भी कोरोना से बचाव के लिए पहली दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का निर्यात भी इंदौर से किया गया.

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इंदौर का फार्मा हब

इंदौर:कोरोना महामारी के भीषण दौर में अब जहां वैक्सीन का इंतजार किया जा रहा है. वहीं इस दौर में इंदौर एकमात्र ऐसा शहर है, जिसने कोरोना के शुरुआती दौर से अब तक पूरी दुनिया को संजीवनी रूपी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा उपलब्ध कराई है. इतना ही नहीं फिलहाल जिन देशों में वैक्सीन विकसित किए जाने का दावा किया जा रहा है. वहां भी कोरोना से बचाव के लिए पहली दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का निर्यात भी इंदौर से किया गया. लिहाजा, इंदौर का फार्मा हब पूरी दुनिया के लिए कोरोना के खिलाफ जंग में संजीवनी बनकर उभरा है.

विश्वभर में फेमस बना इंदौर का फार्मा हब

इंदौर में छोटी बड़ी 300 से ज्यादा फार्मा यूनिट
दरअसल, इंदौर में छोटी बड़ी 300 से ज्यादा फार्मा यूनिट हैं, इसके अलावा करीब दो दर्जन से ज्यादा ऐसी वैश्विक स्तर की कंपनियां हैं, जो जीवन रक्षक दवाएं बनाती हैं, इनमें इप्का लैब, सन फार्मा, लुपिन जैसी कंपनियां शीर्ष पर हैं. मार्च माह में जब कोरोना संक्रमण तेजी से फैला तो इप्का लैब द्वारा बनाई जाने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine ) दवा संक्रमण पर प्रभावी रोक की दृष्टि से प्रथम दृष्टया कारगर साबित हुई, इसके बाद मध्य प्रदेश के तमाम मेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों के अलावा मरीजों को भी यही दवा सुझाए जाने लगी. देखते ही देखते भारत के विभिन्न राज्यों से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine ) की मांग तेजी से बढ़ी उस दौर में देशभर में कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण जब सभी कंपनियां लॉकडाउन में बंद हो गई तो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine ) की सप्लाई के लिए पूरे स्टाफ को इंदौर जिला प्रशासन ने अतिरिक्त परिसर देकर लगातार दवाई बनाने की सुविधा और संसाधन मुहैया कराए. इस दौरान इप्का लैब के सैकड़ों कर्मचारियों के लिए घर से कंपनी तक आने-जाने के लिए बस पास भी दिए गए, जिससे कि उत्पादन सुचारू रूप से चलता रहे. दरअसल, इप्का लैब की इंदौर और रतलाम यूनिट में दवाई का फार्मूला और एपीआई आदि की व्यवस्था ,है जो बड़े पैमाने पर इस दवाई का उत्पादन करती है.

मेडिकल हब बनकर उभरा दवा बाजार

ऐसी ही स्थिति इंदौर के दवा बाजार की रही, जिसने मालवा निमाड़ के अलावा पूरे मध्य प्रदेश समेत देशभर में संबंधित दवाई के अलावा पीपीई किट का निर्माण कर तेजी से देशभर में सप्लाई की व्यवस्था की उस दौरान इंदौर का दवा बाजार एकमात्र ऐसा मेडिकल हब बनकर उभरा जिसने दिन रात उत्पादन निर्माण कर पूरी दुनिया के लिए चिकित्सकीय संसाधन मुहैया कराए इसके बाद बारी आई इंसान साधनों को दुनिया भर में भेजने की लिहाजा, इंदौर एयरपोर्ट से पहली बार लॉकडाउन के दौरान ही दक्षिण अफ्रीका, सेंट पिट्सबर्ग और दुबई आदि के लिए कार्गो विमानों ने उड़ान भरी, उस दौरान इंदौर एकमात्र एयरपोर्ट था, जिसने पूरी दुनिया को इंदौर से सप्लाई से संबंधित परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उस दौरान बड़ी संख्या में एयर एंबुलेंस और एयर कार्गो से एक्सपोर्ट के लिए पूरे समय एयरपोर्ट चालू रखा गया. फल स्वरूप कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अमेरिका समेत अन्य तमाम देश जिस दवा की मांग बड़े पैमाने पर कर रहे थे, वह आवश्यकता के अनुसार निर्यात की जा सकी.

इंदौर:कोरोना महामारी के भीषण दौर में अब जहां वैक्सीन का इंतजार किया जा रहा है. वहीं इस दौर में इंदौर एकमात्र ऐसा शहर है, जिसने कोरोना के शुरुआती दौर से अब तक पूरी दुनिया को संजीवनी रूपी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा उपलब्ध कराई है. इतना ही नहीं फिलहाल जिन देशों में वैक्सीन विकसित किए जाने का दावा किया जा रहा है. वहां भी कोरोना से बचाव के लिए पहली दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का निर्यात भी इंदौर से किया गया. लिहाजा, इंदौर का फार्मा हब पूरी दुनिया के लिए कोरोना के खिलाफ जंग में संजीवनी बनकर उभरा है.

विश्वभर में फेमस बना इंदौर का फार्मा हब

इंदौर में छोटी बड़ी 300 से ज्यादा फार्मा यूनिट
दरअसल, इंदौर में छोटी बड़ी 300 से ज्यादा फार्मा यूनिट हैं, इसके अलावा करीब दो दर्जन से ज्यादा ऐसी वैश्विक स्तर की कंपनियां हैं, जो जीवन रक्षक दवाएं बनाती हैं, इनमें इप्का लैब, सन फार्मा, लुपिन जैसी कंपनियां शीर्ष पर हैं. मार्च माह में जब कोरोना संक्रमण तेजी से फैला तो इप्का लैब द्वारा बनाई जाने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine ) दवा संक्रमण पर प्रभावी रोक की दृष्टि से प्रथम दृष्टया कारगर साबित हुई, इसके बाद मध्य प्रदेश के तमाम मेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों के अलावा मरीजों को भी यही दवा सुझाए जाने लगी. देखते ही देखते भारत के विभिन्न राज्यों से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine ) की मांग तेजी से बढ़ी उस दौर में देशभर में कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण जब सभी कंपनियां लॉकडाउन में बंद हो गई तो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine ) की सप्लाई के लिए पूरे स्टाफ को इंदौर जिला प्रशासन ने अतिरिक्त परिसर देकर लगातार दवाई बनाने की सुविधा और संसाधन मुहैया कराए. इस दौरान इप्का लैब के सैकड़ों कर्मचारियों के लिए घर से कंपनी तक आने-जाने के लिए बस पास भी दिए गए, जिससे कि उत्पादन सुचारू रूप से चलता रहे. दरअसल, इप्का लैब की इंदौर और रतलाम यूनिट में दवाई का फार्मूला और एपीआई आदि की व्यवस्था ,है जो बड़े पैमाने पर इस दवाई का उत्पादन करती है.

मेडिकल हब बनकर उभरा दवा बाजार

ऐसी ही स्थिति इंदौर के दवा बाजार की रही, जिसने मालवा निमाड़ के अलावा पूरे मध्य प्रदेश समेत देशभर में संबंधित दवाई के अलावा पीपीई किट का निर्माण कर तेजी से देशभर में सप्लाई की व्यवस्था की उस दौरान इंदौर का दवा बाजार एकमात्र ऐसा मेडिकल हब बनकर उभरा जिसने दिन रात उत्पादन निर्माण कर पूरी दुनिया के लिए चिकित्सकीय संसाधन मुहैया कराए इसके बाद बारी आई इंसान साधनों को दुनिया भर में भेजने की लिहाजा, इंदौर एयरपोर्ट से पहली बार लॉकडाउन के दौरान ही दक्षिण अफ्रीका, सेंट पिट्सबर्ग और दुबई आदि के लिए कार्गो विमानों ने उड़ान भरी, उस दौरान इंदौर एकमात्र एयरपोर्ट था, जिसने पूरी दुनिया को इंदौर से सप्लाई से संबंधित परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उस दौरान बड़ी संख्या में एयर एंबुलेंस और एयर कार्गो से एक्सपोर्ट के लिए पूरे समय एयरपोर्ट चालू रखा गया. फल स्वरूप कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अमेरिका समेत अन्य तमाम देश जिस दवा की मांग बड़े पैमाने पर कर रहे थे, वह आवश्यकता के अनुसार निर्यात की जा सकी.

Last Updated : Dec 1, 2020, 8:22 PM IST
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