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नवग्रहों के साथ यहां विराजे हैं शनिदेव, भक्तों की पूरी करते हैं मुराद

नवग्रह मंदिर का निर्माण इंदौर-खंडवा रोड पर इंदौर से 30 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा गांव में किया गया था. इस मंदिर का इतिहास तो ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार काफी प्रसिद्ध हैं. इस मंदिर में नवग्रह के सभी देवताओं के साथ दुर्लभ उत्तरमुखी गणेश और दक्षिणमुखी बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है.

शनिमंदिर.
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Published : Feb 24, 2019, 10:35 PM IST

इंदौर। शनि देव के क्रोधी स्वभाव से सभी को डर लगता है. लेकिन, जब वे किसी पर प्रसन्न होते हैं तो उसके जीवन में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने देते. इंदौर से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान शनिदेव की काले पत्थर की प्रतिमा नवग्रहों के साथ स्थापित है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार बहुत प्रसिद्ध हैं.


नवग्रह मंदिर का निर्माण इंदौर-खंडवा रोड पर इंदौर से 30 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा गांव में किया गया था. इस मंदिर का इतिहास तो ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार काफी प्रसिद्ध हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में नवग्रह के सभी देवताओं के साथ दुर्लभ उत्तरमुखी गणेश और दक्षिणमुखी बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है. कोई भी श्रद्धालु लगातार पांच शनिवार शनि मंदिर पहुंचकर शनि देव और अन्य ग्रहों की 11 परिक्रमा करता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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शनिमंदिर.


शनि मंदिर पर देश के कोने-कोने से विशेषकर शनिवार को यहां हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. ओंकारेश्वर जाने वाले श्रद्धालू यहां दर्शन के लिए जरुर रुकते हैं. यहां शनिदेव की प्रतिमा पर तेल और काले तिल अर्पण करना विशेष माना जाता है. मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां भगवान शनि की छोटी प्रतिमा स्वयंभू प्रतिमा है. मंदिर के संस्थापक मधुबाला सुरेंद्र मीणा यहां एक धर्मशाला का निर्माण करना चाहते थे, धर्मशाला निर्माण के समय उन्हें एक सपना आया जिसमें भगवान शनिदेव ने नया मंदिर बनाने के लिए कहा. जब यहां खुदाई की गई तब खुदाई के दौरान शनिदेव की प्राचीन मूर्ति निकली, जिसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया.

इंदौर। शनि देव के क्रोधी स्वभाव से सभी को डर लगता है. लेकिन, जब वे किसी पर प्रसन्न होते हैं तो उसके जीवन में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने देते. इंदौर से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान शनिदेव की काले पत्थर की प्रतिमा नवग्रहों के साथ स्थापित है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार बहुत प्रसिद्ध हैं.


नवग्रह मंदिर का निर्माण इंदौर-खंडवा रोड पर इंदौर से 30 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा गांव में किया गया था. इस मंदिर का इतिहास तो ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार काफी प्रसिद्ध हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में नवग्रह के सभी देवताओं के साथ दुर्लभ उत्तरमुखी गणेश और दक्षिणमुखी बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है. कोई भी श्रद्धालु लगातार पांच शनिवार शनि मंदिर पहुंचकर शनि देव और अन्य ग्रहों की 11 परिक्रमा करता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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शनिमंदिर.


शनि मंदिर पर देश के कोने-कोने से विशेषकर शनिवार को यहां हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. ओंकारेश्वर जाने वाले श्रद्धालू यहां दर्शन के लिए जरुर रुकते हैं. यहां शनिदेव की प्रतिमा पर तेल और काले तिल अर्पण करना विशेष माना जाता है. मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां भगवान शनि की छोटी प्रतिमा स्वयंभू प्रतिमा है. मंदिर के संस्थापक मधुबाला सुरेंद्र मीणा यहां एक धर्मशाला का निर्माण करना चाहते थे, धर्मशाला निर्माण के समय उन्हें एक सपना आया जिसमें भगवान शनिदेव ने नया मंदिर बनाने के लिए कहा. जब यहां खुदाई की गई तब खुदाई के दौरान शनिदेव की प्राचीन मूर्ति निकली, जिसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया.

Intro:एंकर देवी-देवताओं प्रत्यक्ष देवों के रूप में माने जाने वाले भगवान सूर्य के पुत्र शनि देव का देवताओं में एक विशिष्ट स्थान है भगवान शनि को क्रोध का देवता भी माना जाता है पर यह जब किसी पर प्रसन्न हो जाते हैं तो जीवन में उसे किसी भी तरह की बाधा आने नहीं देते हैं भगवान शनि को प्रसन्न करना आसान नहीं है भारत में महाराष्ट्र के शनी शिंगनापुर में भगवान शनि का सबसे प्रसिद्ध देवी स्थान माना जाता है परंतु इंदौर से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिर है जहां इतिहास तो ज्यादा पुराना नहीं है परंतु मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार काफी प्रसिद्ध है इंदौर खंडवा रोड पर इंदौर से 30 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा ग्राम में भगवान शनि का नवग्रह मंदिर वर्ष 2002 में निर्मित किया गया था यह मंदिर विश्व का सबसे बड़ा शनि मंदिर माना जाता है और इसके चमत्कार काफी प्रसिद्ध है मंदिर में भगवान शनि की साढ़ेसाती काले पत्थर की प्रतिमा स्थापित है


Body:भगवान शनि की प्रतिमा के साथ साथ यहां नवग्रह के सभी देवता ओके की काले पत्थर की प्रतिमा और दुर्लभ उत्तर मुखी गणेश और दक्षिण मुखी बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है यह मंदिर इसलिए भी खास है कि मंदिर में स्थापित मूर्तियां काले पत्थर की बनी है साथ साथ पूरा मंदिर भी पूर्ण रूप से काले पत्थरों से निर्मित किया गया है जिसके कारण भगवान शनिदेव और सभी देवता जल्द ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति लगातार पांच शनिवार शनि मंदिर पहुंचकर भगवान शनि देव और नवग्रह देवताओं की 11 परिक्रमा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है


Conclusion:शनि मंदिर पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं विशेषकर शनिवार को यहां हजारों श्रद्धालु भगवान शनिदेव की पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं ओमकारेश्वर जाने के रास्ते में बना मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन का केंद्र है वहीं ओंकारेश्वर जाने वाला व्यक्ति यहां दर्शन के लिए आवश्यकता है मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां भगवान शनि की छोटी प्रतिमा स्वयंभू प्रतिमा है मंदिर के संस्थापक मधुबाला सुरेंद्र मीणा यहां एक धर्मशाला का निर्माण करना चाहते थे धर्मशाला निर्माण के समय उन्हें एक सपना आया जिसमें भगवान शनिदेव नया मंदिर बनाने के लिए कहा जब यहां खुदाई कहीं की गई तब खुदाई के दौरान भगवान शनिदेव की प्राचीन मूर्ति निकली जिसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया शनि मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालु यहां भक्ति भाव से भगवान शनि की पूजा अर्चना करते हैं भक्तों का कहना है कि यहां पहुंचकर दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है यहां भगवान शनिदेव की प्रतिमा पर तेल और काले तिल अर्पण करना विशेष माना जाता है यहां आने वाले श्रद्धालुओं की भक्ति इतनी जुड़ी है कि कहा जाता है कि जो यहां आता है वह खाली हाथ नहीं जाता उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है

विज्वल - विश्व का सबसे बड़ा मन्दिर , नवग्रह , शनि प्रतिमा , पूजा अर्चना करते लोग

बाइट - सोनू शर्मा पुजारी मन्दिर
बाइट- सुनील राठी दिल्ली से आये श्रद्धालु
बाइट- गोलू मीणा श्रद्धालु
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