इंदौर। गणेश उत्सव के समापन पर गणेश प्रतिमाओं के जल स्त्रोत में विसर्जन की परंपरा है, इसके चलते कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने इससे बचने के लिए नगर निगम (Indore Municipal Corporation) ने जनभावनाओं के मद्देजनर पारंपरिक तरीके का सहारा लिया है और प्रतिमा स्थलों पर ही पर्यावरण हितैषी कुंडों की व्यवस्था की है.
मूर्ति संग्रह स्थल पर की गई है पर्यावरण हितेषी कुण्ड की व्यवस्था
गणेशोत्सव (Ganeshotsav) के समापन पर श्रद्धालुओं 'गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ' के उद्घोष के साथ अपने आराध्य को विदाई देते हैं. इस दौरान जलस्त्रोतों पर बड़ी संख्या में लोगों केा जमावड़ा होता है. जलस्त्रोत प्रदूषित ना हों और लोगों को सुविधा हो इसलिए जनभावनाओं के अनुरूप पारंपरिक तरीके से श्री गणेश प्रतिमा के विसर्जन के लिए नगर निगम ने समस्त मूर्ति संग्रह स्थल पर पर्यावरण हितेषी कुण्ड (Eco-friendly pool) की व्यवस्था की है.
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विधि-विधान से पूजन कर किया जाएगा विसर्जन
आयुक्त नगर निगम प्रतिभा पाल ने इसके लिए विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ समस्त जोनल अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये हैं. नगर निगम के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने बताया कि अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturthi) को दोपहर दो बजे से और उसके अगले दिन 20 सितम्बर को प्रात: 10 बजे तक पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए शहर के विभिन्न स्थानों पर बड़े-छोटे अस्थायी पर्यावरण हितैषी कुण्ड में नागरिक अपने हाथों से मिट्टी से निर्मित श्री गणेश प्रतिमाओं का विजर्सन कर सकते हैं.
नगर निगम आयुक्त ने नागरिकों से अपील की है कि निगम द्वारा तालाबों को सुरक्षित रखने तथा पर्यावरण के बचाव के लिए जोनल कार्यालय सहित चिह्नित स्थानों पर अस्थायी पर्यावरण हितैषी कुण्ड रखे जाएंगे, ताकि उनमें मिट्टी से निर्मित श्री गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा सके. नागरिकों को पर्यावरण सुरक्षा एवं जल प्रदूषण को रोकने की दृष्टि से विसर्जन से पहले गणेश प्रतिमा की पूजन सामग्री को अलग बास्केट में रखने की अपील भी की गई है.
इनपुट - आईएएनएस