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देश में शुरू होगा ड्रोन ट्रांसपोर्टेशन, जल्द बनेगा डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म - इंदौर

दुनिया भर में डिफेंस के महत्वपूर्ण टूल के रूप में ख्यात हो चुके अत्याधुनिक ड्रोन अब भारत में भी डिफेंस के अलावा एयर टैक्सी और ट्रांसपोर्टेशन का जरिया बनेंगे, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन उड़ाने के लाइसेंस अनुमति की ऑनलाइन प्रक्रिया तय कर दी है, एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म तैयार होते ही भारतीय आसमान में तरह-तरह के ड्रोन उड़ान भरते नजर आएंगे.

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ड्रोन
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Published : Aug 29, 2021, 9:14 AM IST

इंदौर। दुनिया भर में ड्रोन टेक्नोलॉजी का व्यापारिक और युद्ध प्रणाली में उपयोग सार्वजनिक होने के बाद, अब भारत में भी ड्रोन टेक्नोलॉजी को जनउपयोगी बनाने के लिए नई ड्रोन नीति लागू की गई है, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सामंजस्य के साथ ड्रोन उड़ाने को लेकर जो नियम बनाए गए हैं, उनमें ग्रीन, येलो और रेड एरिया निर्धारित रहेगा, इसके अलावा पहले चरण में देश के एयर मैप को पूर्ण करते हुए तीन अलग-अलग जोन बनाए गए हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नागरिक उड्डयन मंत्रालय

इंजन के हिसाब से हो सकेगी ड्रोन की फ्लाइट निर्धारित

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से ड्रोन उड़ाने के लिए ऑनलाइन लाइसेंस और अनुमति की प्रक्रिया निर्धारित कर दी है, लिहाजा किसी को भी ड्रोन उड़ाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की तरह ही सबसे पहले ड्रोन का रजिस्ट्रेशन कराना होगा, और उसी पोर्टल पर फ्लाइट पाथ की अनुमति मिलने के बाद अलग-अलग स्थानों से ड्रोन ट्रांसपोर्टेशन और कमर्शियल फ्लाइंग की जा सकेगी, अब ड्रोन टेक्नोलॉजी को भारत में तीव्र परिवहन के अलावा ड्रोन टैक्सी के रूप में उपयोग किया जा सकेगा.

ट्रैफिक जाम रोकने के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म

भारतीय आसमान में हजारों ड्रोन उड़ने की आशंका के चलते आसमान में भी दुर्घटनाएं और ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति ना हो, इसके लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है, इसमें ग्रीन येलो और रेड जोन तय होंगे, मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल भारत के मैप के अनुसार पाथवे निर्धारित किए जा रहे हैं, जिसमें ड्रोन को अनुमति मिलने के बाद सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ाया जा सकेगा.

भारत सहित 8 देशों के पास ड्रोन टेक्नोलॉजी

दुनिया भर में ड्रोन का महत्व समझ में आने के बाद सभी देशों में अत्याधुनिक और युद्ध लड़ने के हिसाब से ड्रोन बनाए जाने की होड़ लग गई है, फिलहाल इजराइल, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों के पास यह टेक्नोलॉजी है, अमेरिका, चीन और इजरायल ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग में सबसे आगे हैं.

भारतीय सेना के पास पहले से ड्रोन मौजूद

भारत में भी रुस्तम-वन और रुस्तम-टू ड्रोन विकसित किए गए हैं, इसके अलावा थल सेना के पास स्वार्म ड्रोन मौजूद हैं, जल्द ही भारत, अमेरिका से तीनों सेनाओं के लिए 30 उच्च तकनीकी वाले mq-9 बी ड्रोन खरीदने वाला है, यह ड्रोन 48 घंटे उड़ने के साथ ही 1700 किलो तक का वजन साथ में ले जा सकते हैं, इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड भी ड्रोन हेलीकॉप्टर विकसित कर रहा है.

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ड्रोन पॉलिसी और भविष्य

नई ड्रोन नीति और भारत का भविष्य

यह है ड्रोन का इतिहास

अत्याधुनिक पंखों से लैस ड्रोन को इजराइल के इंजीनियर अब्राहिम करीम ने बनाया था, जिन्हें ड्रोन का पितामह कहा जाता है, अनमैंड एरियल व्हीकल (यूएवी) को छोटे और धीमी गति से आसमान में बहुत नीचे उड़ने के कारण बाद में इन्हें ड्रोन नाम दिया गया, बताया जाता है कि कम ऊंचाई पर उड़ने के कारण यह राडार की पकड़ में भी नहीं आते, नतीजतन भारत में भी अब एंटी ड्रोन राइफल खरीदे जा रहे है, जिसमें 2000 प्रणाली के कारण ड्रोन के हमले से बचाव करती हैं.

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ड्रोन

ड्रोन क्या होता है ?

ड्रोन क्या होता है?ड्रोन को एक तरह का फ्लाइंग रोबोट कहें तो गलत नहीं होगा. इसे Unmanned aerial vehicle (UAE) यानि मानव रहित विमान भी कहा जाता है. ये एक छोटा मानव रहित एयरक्राफ्ट है जिसे किसी इंसान द्वारा संचालित किया जाता है. ये आकार में छोटे और उड़ने में सक्षम होते हैं. इन्हें स्मार्ट फोन या रिमोट जैसे किसी उपकरण से संचालित किया जाता है. इनका इस्तेमाल ऐसी स्थिति या स्थानों में किया जाता है जहां इंसानी पहुंच ना हो. ड्रोन में कैमरा, जीपीएस, रेडियो रिसीवर जैसे उपकरण लगाकर इसका इस्तेमाल तस्वीरें खींचने व संदेश भेजने जैसे कामों के लिए किया जाता है. आजकल फिल्मों की शूटिंग में भी इनका इस्तेमाल होने लगा है.

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ड्रोन नीति में क्या है ?

ड्रोन नीति में क्या है ?

- ड्रोन उड़ाने की इजाजत के लिए अब 25 की जगह सिर्फ 5 फॉर्म भरने होंगे.

- 72 तरह की फीस को घटाकर अब सिर्फ 4 तरह के शुल्क देने होंगे.

- अनुमतियों के लिए फीस नाममात्र कर दी गई है.

- अधिक भार ले जाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सियों को शामिल करने के लिए वजन क्षमता 300 से बढ़ाकर 500 किलोग्राम किया गया.

- सभी ड्रोन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के जरिये होगा.

- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर रेड, ग्रीन और येलो जोन के साथ इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा.

- ग्रीन ज़ोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं होगी.

- नए नियमों के तहत अधिकतम जुर्माना 1 लाख रुपये कर दिया गया है.

- ड्रोन के रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस की जरूरत नहीं होगी

- ड्रोन के ट्रांसफर और डीरजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आसान कर दी गई है.

- माइक्रो, नैनो और R&D संगठनों के ड्रोन को किसी भी तरह के पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी.

- कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे

- ड्रोन प्रमोशन काउंसिल को लाया जाएगा जो बिजनेस फ्रेंडली नियमों को आगे बढ़ाएगी.

- हर तरह की ड्रोन ट्रेनिंग और टेस्टिंग को अधिकृत ड्रोन स्‍कूल की तरफ से ही पूरा किया जाएगा. DGCA की तरफ से ट्रेनिंग की जरूरतों के बारे में बताया जाएगा. ड्रोन स्‍कूलों की निगरानी और पायलट लाइसेंस ऑनलाइन मुहैया होंगे.

- एयरपोर्ट के दायरे में 8 से 12 किमी के बीच के क्षेत्र में ग्रीन जोन और 200 फीट तक के क्षेत्र में ड्रोन के संचालन के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं है

- ड्रोन का आयात DGFT की तरफ से रेगुलेट किया जाएगा.

5 महीने में ही क्यों बदल दी नीति

भारत सरकार ने मार्च में ड्रोन संबंधी नियम कायदे बनाए थे जिसे मानवरहित विमान प्रणाली नियमावली, 2021 का नाम दिया गया था. लेकिन 5 महीने बाद उसे रद्द करके अब ड्रोन नियमावली, 2021 लागू कर दी गई है. मंत्रालय के मुताबिक पुरानी नियमावली को लेकर कई नकारात्मक फीडबैक मिलने के बाद ऐसा किया गया है. पिछली नीति में शिक्षाविदों से लेकर स्टार्टअप और ड्रोन इस्तेमाल करने वालों तक ने कई खामियां पाई थी, साथ ही उसमें लंबी कागजी कार्यवाई की जरूरत और ड्रोन की हर उड़ान के लिए इजाजत लेने जैसे कई नियम थे. जिन्हें भविष्य को देखते हुए सरल किया गया है.

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ड्रोन पॉलिसी और भविष्य

ड्रोन पॉलिसी और भविष्य

सरकार की नई ड्रोन पॉलिसी को भविष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. भले दुनिया के कई देशों के मुकाबले भारत में ड्रोन का चलन उतना ना हो. लेकिन ड्रोन का इस्तेमाल भारत में भी अलग-अलग क्षेत्रों में बढ़ रहा है. जिसके मद्देनजर भविष्य में ड्रोन के क्षेत्र में आयामों को देखते हुए ये नई नीति बनाई गई है. भविष्य में ड्रोन के व्यापक इस्तेमाल को देखते हुए नीति को सरल और उदार बनाया गया है.

केंद्र सरकार का मानना है कि नई ड्रोन पॉलिसी कई क्षेत्रों में गेमचेंजर साबित हो सकती है. उनमें से एक है एयर टैक्सी. नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि नए ड्रोन नियमों के तहत आने वाले दिनों में एयर टैक्सी संभव होगी. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए आपने भी टैक्सी का सहारा लिया होगा, लेकिन एयर टैक्सी सड़कों की बजाय हवा में चलेगी. फिलहाल सुनने में ये भले अटपटा लग रहा होगा लेकिन दुनियाभर में हवाई टैक्सी के संबंध में शोध और आविष्कार चल रहे हैं और कई स्टार्टअप सामने आ रहे हैं.

एक्सपर्ट क्या कहते हैं ?

विशेषज्ञों की मानें तो ये नई नीति ड्रोन और नए स्टार्टअप के लिए रास्ते खोलेगा. जिससे देश में रोजगार के मौके पैदा होंगे. सरकार नई ड्रोन नीति के तहत देश को ड्रोन हब बनाने का दावा कर रही है. एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे आने वाले समय में देश में ही ड्रोन बनाने को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश ड्रोन के मामले में भी आत्मनिर्भर होगा, जो देश में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के रूप में नजर आ सकता है. इस फैसले से ड्रोन क्षेत्र में अनुसंधान और तकनीक को बढ़ाव मिलने से ड्रोन का इस्तेमाल व्यापक होगा. आज सिर्फ रक्षा के अलावा कृषि, रेलवे आदि में ही कुछ जगह ड्रोन का इस्तेमाल होता है, लेकिन ड्रोन के लिए सबसे ज्यादा मौके सर्विस सेक्टर में हैं.

जानकार मानते हैं कि पहले की ड्रोन नीतियों में विभागों से अनुमति लेने जैसी एक लंबी और पेचीदा प्रक्रिया बाधा बन रही थी. लेकिन अब सिंगल विंडो सिस्टम से लेकर नैनो ड्रोन के गैर-व्यावसायिक इस्तेमाल की इजाजत में ढील जैसे फैसले इस क्षेत्र के लिए बेहतर साबित होंगे. नई नीति की जरूरत इसलिए थी क्योंकि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे - कृषि, खनन, आधारभूत संरचना, निगरानी, आपातकालीन परिस्थितियों, परिवहन, मानचित्रण, रक्षा जैसे क्षेत्रों को ड्रोन से जबरदस्त लाभ मिल रहा है और आने वाले दिनों में इसका इस्तेमाल और बढ़ना है।

कहां-कहां हो रहा है या हो सकता है ड्रोन का इस्तेमाल ?

केंद्र सरकार के मुताबिक इनोवेशन से लेकर सूचना प्रौद्योगिकी में अपनी परंपरागत मजबूती और व्यापक घरेलू मांग को देखते हुए भारत में साल 2030 तक वैश्विक ड्रोन केंद्र बनने की संभावना है. सरकार का प्लान ड्रोन के क्षेत्र में भारत को एक हब बनाने का है, जिसकी इस क्षेत्र विशेष में अलग पहचान हो. दरअसल भारत में भले अभी ड्रोन का इस्तेमाल सीमित क्षेत्रों में भी बहुत कम होता हो लेकिन भविष्य को देखते हुए भारत में इसका दायरा हर क्षेत्र में बढ़ने की उम्मीद है. मंत्रालय का कहना है कि ड्रोन अपनी पहुंच, सरल उपयोग के कारण, विशेष रूप से भारत के दूर-दराज तथा दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं.

- ड्रोन का सबसे आम इस्तेमाल इन दिनों फिल्मों की शूटिंग और शादी या अन्य समारोह के दौरान फोटोग्राफी या वीडियो ग्राफी के लिए किया जाता है.

- शहरों में सुरक्षा या ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी पुलिस ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल करती है.

- कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के दौरान दुनियाभर के शहरों की तस्वीरें ड्रोन कैमरे के जरिये ही लोगों तक पहुंची. लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भी ड्रोन के जरिये नजर रखी गई.

- इसी तरह हिंसा या अन्य मौकों पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है. कुंभ मेले, कांवड यात्रा, गणतंत्र दिवस परेड, स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम जैसे सार्वजनिक और धार्मिक समारोहों में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से ड्रोन अहम भूमिका निभाते हैं.

- कृषि क्षेत्र में भी ड्रोन का इस्तेमाल फसलों की निगरानी और दवा के छिड़काव के लिए दुनिया के कई देशों में होता है.

- टिड्डियों के कहर को देखते हुए ड्रोन का इस्तेमाल कई किसानों के लिए रामबाण साबित हो सकता है.

- प्राकृतिक आपदा के दौरान ड्रोन का इस्तेमाल करके राहत बचाव कार्याों में काफी मदद मिलती है. केरल बाढ़ या नेपाल में आए भूकंप की भयावह तस्वीरें ड्रोन कैमरे से ही दुनिया तक पहुंची.

- मेडिकल इमरजेंसी होने पर ड्रोन का इस्तेमाल दवा या जरूरी उपकरण पहुंचाने के लिए भी किया जा सकता है.

- दुनिया के कुछ देशों में कई ई-कॉमर्स कंपनियां अपने उत्पादों की होम डिलीवरी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं.

- निर्माण क्षेत्र से जुड़े कार्यों में भी ड्रोन बहुत कारगर साबित हुआ है. भारतीय रेल ने भी इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग और मेंटनेंस की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों के इस्तेमाल का फैसला लिया.

- संपत्तियों की मैपिंग से लेकर निगरानी तक ड्रोन से की जा सकती है.

- दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य से लेकर अन्य जरूरी चीजें पहुंचाने और सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे दुर्गम क्षेत्रों पर नजर रखने में ड्रोन अहम भूमिका निभा सकते हैं.

बीते कल का खिलौना, आज का हथियार

किसी ने नहीं सोचा होगा कि कभी मेलों में उड़ते पंख वाले खिलौने या स्कूल, कॉलेज में छात्रों का मॉडल बनने वाले मानव रहित हेलीकॉप्टर एक दिन दुनिया का सबसे बड़ा और विनाशकारी हथियार बन जाएगा. मौजूदा दौर में ड्रोन का इस्तेमाल व्यापक हो गया है. इसको शुरुआत में भले सिर्फ सैन्य मोर्चों पर अपनाया गया हो लेकिन आज ड्रोन का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जा रहा है.

सैन्य और प्रोफेशनल लोगों के अलावा शौकिया लोग भी इसका जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. खासकर वीडियोग्राफी, रियल एस्टेट, घूमने और मनोरंजन के तौर पर ड्रोन का इस्तेमाल ज्यादा होता है. दुनिया में सबसे ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल मिलिट्री में होता है. सैन्य इस्तेमाल के लिए ड्रोन का कारोबार अरबों डॉलर का है.

इसके बाद उपभोक्ताओं के इस्तेमाल और सिविल-कमर्शियल मामलों का नंबर आता है. सैन्य क्षेत्र के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों की बात करें तो कंस्ट्रक्शन में सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल है. इसके अलावा कृषि, ऑयल गैस रिफाइनरी, पत्रकारिता और रियल एस्टेट भी इसमें शामिल है. कुल मिलाकर बीते कल का खिलौना आज का सबसे बड़ा हथियार बन गया है फिर चाहे सैन्य मोर्चे की बात हो या फिर रोजमर्रा की जरूरत.

जब अमेरिकी ड्रोन ने बरसाए बम

ड्रोन के पहली बार इस्तेमाल की सही जानकारी मिलना तो मुश्किल है क्योंकि इसका शुरुआती इस्तेमाल सैन्य और जासूसी इस्तेमाल के लिए हुआ. माना जाता है कि मानव रहित विमान बनाने की कोशिश पहले विश्व युद्ध के दौरान ही शुरू हो गई थी. जिसके बाद कई देशों ने इस तकनीक पर काम किया लेकिन दुनिया ने सबसे पहले जिन ड्रोन के बारे में सुना या देखा वो अमेरिका के थे, जिन्होंने अफगानिस्तान में ओसामा की तलाश के दौरान तालिबानी आतंकियों के ठिकानों पर कई बम बरसाए.

आसमान से बम बरसाते अमेरिकी ड्रोन ने बताया कि कैसे एक छोटा का मानव रहित विमान युद्ध में सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है. वो भी बिना दुश्मन की नजर में आए. जिसके बाद दुनियाभर के देशों ने ड्रोन की तकनीक पर काम किया और इसकी क्षमता से लेकर रेंज और प्रयोग को व्यापक बना दिया. अमेरिकी ड्रोन उस दौरान तालिबानी ठिकानों को ढूंढकर उनपर बम बरसाते थे.

ड्रोन का सैन्य इस्तेमाल

ड्रोन का शुरुआती इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ सैन्य, देश की सुरक्षा आदि के लिए होता रहा है. ड्रोन का इस्तेमाल टोह लेने या रेकी करने, खुफिया जानकारी जुटाने या जासूसी के लिए किया जाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में दूरस्थ दुर्गम इलाकों, समुद्र या बॉर्डर एरिया में जहां सेना की कोई टुकड़ी या जवान नहीं पहुंच सकते. वहां ड्रोन बहुत ही कारगर साबित होते हैं. ऐसे इलाकों में एक सुरक्षित दूरी से ड्रोन को ऑपरेट करके अपने काम को बखूबी अंजाम देता है. किसी अनहोनी या दुश्मन की नजर में आने पर भी जानकारी कैमरों के जरिये मिल जाती है और जान का भी नुकसान नहीं होता.

ड्रोन दुश्मन के इलाके में टोह लेने से लेकर लक्ष्य को खत्म करने में भी बहुत ही सटीक है. अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों के खात्मे के लिए कई बार ड्रोन का इस्तेमाल किया. इस दौरान ड्रोन से आतंकी ठिकानों पर हमले भी किए गए. जून में जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन से हमला किया गया था, पड़ोसी देशों की नापाक चाल को बेनकाब करने में भी ड्रोन अहम भूमिका अदा करते हैं.

भारत और ड्रोन

भारत में ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिका या कनाडा जैसे विकसित देशों के मुकाबले बहुत सीमित है. खासकर ड्रोन के सैन्य और पुलिस द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल छोड़ दें तो इसका इस्तेमाल ना के बराबर होता है. भारत ने साल 2018 में ही ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर नियम कायदे बनाए गए हैं. ऐसे में भारत में ड्रोन युग की अभी शुरुआत ही है. हालांकि सैन्य मोर्चों पर ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन ड्रोन को लेकर भारत सरकार की नई नीति ने कई राहें खोल दी है. जिससे भविष्य में ड्रोन के व्यापक इस्तेमाल और इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा.

इंदौर। दुनिया भर में ड्रोन टेक्नोलॉजी का व्यापारिक और युद्ध प्रणाली में उपयोग सार्वजनिक होने के बाद, अब भारत में भी ड्रोन टेक्नोलॉजी को जनउपयोगी बनाने के लिए नई ड्रोन नीति लागू की गई है, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सामंजस्य के साथ ड्रोन उड़ाने को लेकर जो नियम बनाए गए हैं, उनमें ग्रीन, येलो और रेड एरिया निर्धारित रहेगा, इसके अलावा पहले चरण में देश के एयर मैप को पूर्ण करते हुए तीन अलग-अलग जोन बनाए गए हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नागरिक उड्डयन मंत्रालय

इंजन के हिसाब से हो सकेगी ड्रोन की फ्लाइट निर्धारित

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से ड्रोन उड़ाने के लिए ऑनलाइन लाइसेंस और अनुमति की प्रक्रिया निर्धारित कर दी है, लिहाजा किसी को भी ड्रोन उड़ाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की तरह ही सबसे पहले ड्रोन का रजिस्ट्रेशन कराना होगा, और उसी पोर्टल पर फ्लाइट पाथ की अनुमति मिलने के बाद अलग-अलग स्थानों से ड्रोन ट्रांसपोर्टेशन और कमर्शियल फ्लाइंग की जा सकेगी, अब ड्रोन टेक्नोलॉजी को भारत में तीव्र परिवहन के अलावा ड्रोन टैक्सी के रूप में उपयोग किया जा सकेगा.

ट्रैफिक जाम रोकने के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म

भारतीय आसमान में हजारों ड्रोन उड़ने की आशंका के चलते आसमान में भी दुर्घटनाएं और ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति ना हो, इसके लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है, इसमें ग्रीन येलो और रेड जोन तय होंगे, मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल भारत के मैप के अनुसार पाथवे निर्धारित किए जा रहे हैं, जिसमें ड्रोन को अनुमति मिलने के बाद सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ाया जा सकेगा.

भारत सहित 8 देशों के पास ड्रोन टेक्नोलॉजी

दुनिया भर में ड्रोन का महत्व समझ में आने के बाद सभी देशों में अत्याधुनिक और युद्ध लड़ने के हिसाब से ड्रोन बनाए जाने की होड़ लग गई है, फिलहाल इजराइल, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों के पास यह टेक्नोलॉजी है, अमेरिका, चीन और इजरायल ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग में सबसे आगे हैं.

भारतीय सेना के पास पहले से ड्रोन मौजूद

भारत में भी रुस्तम-वन और रुस्तम-टू ड्रोन विकसित किए गए हैं, इसके अलावा थल सेना के पास स्वार्म ड्रोन मौजूद हैं, जल्द ही भारत, अमेरिका से तीनों सेनाओं के लिए 30 उच्च तकनीकी वाले mq-9 बी ड्रोन खरीदने वाला है, यह ड्रोन 48 घंटे उड़ने के साथ ही 1700 किलो तक का वजन साथ में ले जा सकते हैं, इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड भी ड्रोन हेलीकॉप्टर विकसित कर रहा है.

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ड्रोन पॉलिसी और भविष्य

नई ड्रोन नीति और भारत का भविष्य

यह है ड्रोन का इतिहास

अत्याधुनिक पंखों से लैस ड्रोन को इजराइल के इंजीनियर अब्राहिम करीम ने बनाया था, जिन्हें ड्रोन का पितामह कहा जाता है, अनमैंड एरियल व्हीकल (यूएवी) को छोटे और धीमी गति से आसमान में बहुत नीचे उड़ने के कारण बाद में इन्हें ड्रोन नाम दिया गया, बताया जाता है कि कम ऊंचाई पर उड़ने के कारण यह राडार की पकड़ में भी नहीं आते, नतीजतन भारत में भी अब एंटी ड्रोन राइफल खरीदे जा रहे है, जिसमें 2000 प्रणाली के कारण ड्रोन के हमले से बचाव करती हैं.

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ड्रोन

ड्रोन क्या होता है ?

ड्रोन क्या होता है?ड्रोन को एक तरह का फ्लाइंग रोबोट कहें तो गलत नहीं होगा. इसे Unmanned aerial vehicle (UAE) यानि मानव रहित विमान भी कहा जाता है. ये एक छोटा मानव रहित एयरक्राफ्ट है जिसे किसी इंसान द्वारा संचालित किया जाता है. ये आकार में छोटे और उड़ने में सक्षम होते हैं. इन्हें स्मार्ट फोन या रिमोट जैसे किसी उपकरण से संचालित किया जाता है. इनका इस्तेमाल ऐसी स्थिति या स्थानों में किया जाता है जहां इंसानी पहुंच ना हो. ड्रोन में कैमरा, जीपीएस, रेडियो रिसीवर जैसे उपकरण लगाकर इसका इस्तेमाल तस्वीरें खींचने व संदेश भेजने जैसे कामों के लिए किया जाता है. आजकल फिल्मों की शूटिंग में भी इनका इस्तेमाल होने लगा है.

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ड्रोन नीति में क्या है ?

ड्रोन नीति में क्या है ?

- ड्रोन उड़ाने की इजाजत के लिए अब 25 की जगह सिर्फ 5 फॉर्म भरने होंगे.

- 72 तरह की फीस को घटाकर अब सिर्फ 4 तरह के शुल्क देने होंगे.

- अनुमतियों के लिए फीस नाममात्र कर दी गई है.

- अधिक भार ले जाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सियों को शामिल करने के लिए वजन क्षमता 300 से बढ़ाकर 500 किलोग्राम किया गया.

- सभी ड्रोन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के जरिये होगा.

- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर रेड, ग्रीन और येलो जोन के साथ इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा.

- ग्रीन ज़ोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं होगी.

- नए नियमों के तहत अधिकतम जुर्माना 1 लाख रुपये कर दिया गया है.

- ड्रोन के रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस की जरूरत नहीं होगी

- ड्रोन के ट्रांसफर और डीरजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आसान कर दी गई है.

- माइक्रो, नैनो और R&D संगठनों के ड्रोन को किसी भी तरह के पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी.

- कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे

- ड्रोन प्रमोशन काउंसिल को लाया जाएगा जो बिजनेस फ्रेंडली नियमों को आगे बढ़ाएगी.

- हर तरह की ड्रोन ट्रेनिंग और टेस्टिंग को अधिकृत ड्रोन स्‍कूल की तरफ से ही पूरा किया जाएगा. DGCA की तरफ से ट्रेनिंग की जरूरतों के बारे में बताया जाएगा. ड्रोन स्‍कूलों की निगरानी और पायलट लाइसेंस ऑनलाइन मुहैया होंगे.

- एयरपोर्ट के दायरे में 8 से 12 किमी के बीच के क्षेत्र में ग्रीन जोन और 200 फीट तक के क्षेत्र में ड्रोन के संचालन के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं है

- ड्रोन का आयात DGFT की तरफ से रेगुलेट किया जाएगा.

5 महीने में ही क्यों बदल दी नीति

भारत सरकार ने मार्च में ड्रोन संबंधी नियम कायदे बनाए थे जिसे मानवरहित विमान प्रणाली नियमावली, 2021 का नाम दिया गया था. लेकिन 5 महीने बाद उसे रद्द करके अब ड्रोन नियमावली, 2021 लागू कर दी गई है. मंत्रालय के मुताबिक पुरानी नियमावली को लेकर कई नकारात्मक फीडबैक मिलने के बाद ऐसा किया गया है. पिछली नीति में शिक्षाविदों से लेकर स्टार्टअप और ड्रोन इस्तेमाल करने वालों तक ने कई खामियां पाई थी, साथ ही उसमें लंबी कागजी कार्यवाई की जरूरत और ड्रोन की हर उड़ान के लिए इजाजत लेने जैसे कई नियम थे. जिन्हें भविष्य को देखते हुए सरल किया गया है.

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ड्रोन पॉलिसी और भविष्य

ड्रोन पॉलिसी और भविष्य

सरकार की नई ड्रोन पॉलिसी को भविष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. भले दुनिया के कई देशों के मुकाबले भारत में ड्रोन का चलन उतना ना हो. लेकिन ड्रोन का इस्तेमाल भारत में भी अलग-अलग क्षेत्रों में बढ़ रहा है. जिसके मद्देनजर भविष्य में ड्रोन के क्षेत्र में आयामों को देखते हुए ये नई नीति बनाई गई है. भविष्य में ड्रोन के व्यापक इस्तेमाल को देखते हुए नीति को सरल और उदार बनाया गया है.

केंद्र सरकार का मानना है कि नई ड्रोन पॉलिसी कई क्षेत्रों में गेमचेंजर साबित हो सकती है. उनमें से एक है एयर टैक्सी. नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि नए ड्रोन नियमों के तहत आने वाले दिनों में एयर टैक्सी संभव होगी. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए आपने भी टैक्सी का सहारा लिया होगा, लेकिन एयर टैक्सी सड़कों की बजाय हवा में चलेगी. फिलहाल सुनने में ये भले अटपटा लग रहा होगा लेकिन दुनियाभर में हवाई टैक्सी के संबंध में शोध और आविष्कार चल रहे हैं और कई स्टार्टअप सामने आ रहे हैं.

एक्सपर्ट क्या कहते हैं ?

विशेषज्ञों की मानें तो ये नई नीति ड्रोन और नए स्टार्टअप के लिए रास्ते खोलेगा. जिससे देश में रोजगार के मौके पैदा होंगे. सरकार नई ड्रोन नीति के तहत देश को ड्रोन हब बनाने का दावा कर रही है. एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे आने वाले समय में देश में ही ड्रोन बनाने को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश ड्रोन के मामले में भी आत्मनिर्भर होगा, जो देश में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के रूप में नजर आ सकता है. इस फैसले से ड्रोन क्षेत्र में अनुसंधान और तकनीक को बढ़ाव मिलने से ड्रोन का इस्तेमाल व्यापक होगा. आज सिर्फ रक्षा के अलावा कृषि, रेलवे आदि में ही कुछ जगह ड्रोन का इस्तेमाल होता है, लेकिन ड्रोन के लिए सबसे ज्यादा मौके सर्विस सेक्टर में हैं.

जानकार मानते हैं कि पहले की ड्रोन नीतियों में विभागों से अनुमति लेने जैसी एक लंबी और पेचीदा प्रक्रिया बाधा बन रही थी. लेकिन अब सिंगल विंडो सिस्टम से लेकर नैनो ड्रोन के गैर-व्यावसायिक इस्तेमाल की इजाजत में ढील जैसे फैसले इस क्षेत्र के लिए बेहतर साबित होंगे. नई नीति की जरूरत इसलिए थी क्योंकि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे - कृषि, खनन, आधारभूत संरचना, निगरानी, आपातकालीन परिस्थितियों, परिवहन, मानचित्रण, रक्षा जैसे क्षेत्रों को ड्रोन से जबरदस्त लाभ मिल रहा है और आने वाले दिनों में इसका इस्तेमाल और बढ़ना है।

कहां-कहां हो रहा है या हो सकता है ड्रोन का इस्तेमाल ?

केंद्र सरकार के मुताबिक इनोवेशन से लेकर सूचना प्रौद्योगिकी में अपनी परंपरागत मजबूती और व्यापक घरेलू मांग को देखते हुए भारत में साल 2030 तक वैश्विक ड्रोन केंद्र बनने की संभावना है. सरकार का प्लान ड्रोन के क्षेत्र में भारत को एक हब बनाने का है, जिसकी इस क्षेत्र विशेष में अलग पहचान हो. दरअसल भारत में भले अभी ड्रोन का इस्तेमाल सीमित क्षेत्रों में भी बहुत कम होता हो लेकिन भविष्य को देखते हुए भारत में इसका दायरा हर क्षेत्र में बढ़ने की उम्मीद है. मंत्रालय का कहना है कि ड्रोन अपनी पहुंच, सरल उपयोग के कारण, विशेष रूप से भारत के दूर-दराज तथा दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं.

- ड्रोन का सबसे आम इस्तेमाल इन दिनों फिल्मों की शूटिंग और शादी या अन्य समारोह के दौरान फोटोग्राफी या वीडियो ग्राफी के लिए किया जाता है.

- शहरों में सुरक्षा या ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी पुलिस ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल करती है.

- कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के दौरान दुनियाभर के शहरों की तस्वीरें ड्रोन कैमरे के जरिये ही लोगों तक पहुंची. लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भी ड्रोन के जरिये नजर रखी गई.

- इसी तरह हिंसा या अन्य मौकों पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है. कुंभ मेले, कांवड यात्रा, गणतंत्र दिवस परेड, स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम जैसे सार्वजनिक और धार्मिक समारोहों में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से ड्रोन अहम भूमिका निभाते हैं.

- कृषि क्षेत्र में भी ड्रोन का इस्तेमाल फसलों की निगरानी और दवा के छिड़काव के लिए दुनिया के कई देशों में होता है.

- टिड्डियों के कहर को देखते हुए ड्रोन का इस्तेमाल कई किसानों के लिए रामबाण साबित हो सकता है.

- प्राकृतिक आपदा के दौरान ड्रोन का इस्तेमाल करके राहत बचाव कार्याों में काफी मदद मिलती है. केरल बाढ़ या नेपाल में आए भूकंप की भयावह तस्वीरें ड्रोन कैमरे से ही दुनिया तक पहुंची.

- मेडिकल इमरजेंसी होने पर ड्रोन का इस्तेमाल दवा या जरूरी उपकरण पहुंचाने के लिए भी किया जा सकता है.

- दुनिया के कुछ देशों में कई ई-कॉमर्स कंपनियां अपने उत्पादों की होम डिलीवरी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं.

- निर्माण क्षेत्र से जुड़े कार्यों में भी ड्रोन बहुत कारगर साबित हुआ है. भारतीय रेल ने भी इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग और मेंटनेंस की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों के इस्तेमाल का फैसला लिया.

- संपत्तियों की मैपिंग से लेकर निगरानी तक ड्रोन से की जा सकती है.

- दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य से लेकर अन्य जरूरी चीजें पहुंचाने और सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे दुर्गम क्षेत्रों पर नजर रखने में ड्रोन अहम भूमिका निभा सकते हैं.

बीते कल का खिलौना, आज का हथियार

किसी ने नहीं सोचा होगा कि कभी मेलों में उड़ते पंख वाले खिलौने या स्कूल, कॉलेज में छात्रों का मॉडल बनने वाले मानव रहित हेलीकॉप्टर एक दिन दुनिया का सबसे बड़ा और विनाशकारी हथियार बन जाएगा. मौजूदा दौर में ड्रोन का इस्तेमाल व्यापक हो गया है. इसको शुरुआत में भले सिर्फ सैन्य मोर्चों पर अपनाया गया हो लेकिन आज ड्रोन का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जा रहा है.

सैन्य और प्रोफेशनल लोगों के अलावा शौकिया लोग भी इसका जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. खासकर वीडियोग्राफी, रियल एस्टेट, घूमने और मनोरंजन के तौर पर ड्रोन का इस्तेमाल ज्यादा होता है. दुनिया में सबसे ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल मिलिट्री में होता है. सैन्य इस्तेमाल के लिए ड्रोन का कारोबार अरबों डॉलर का है.

इसके बाद उपभोक्ताओं के इस्तेमाल और सिविल-कमर्शियल मामलों का नंबर आता है. सैन्य क्षेत्र के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों की बात करें तो कंस्ट्रक्शन में सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल है. इसके अलावा कृषि, ऑयल गैस रिफाइनरी, पत्रकारिता और रियल एस्टेट भी इसमें शामिल है. कुल मिलाकर बीते कल का खिलौना आज का सबसे बड़ा हथियार बन गया है फिर चाहे सैन्य मोर्चे की बात हो या फिर रोजमर्रा की जरूरत.

जब अमेरिकी ड्रोन ने बरसाए बम

ड्रोन के पहली बार इस्तेमाल की सही जानकारी मिलना तो मुश्किल है क्योंकि इसका शुरुआती इस्तेमाल सैन्य और जासूसी इस्तेमाल के लिए हुआ. माना जाता है कि मानव रहित विमान बनाने की कोशिश पहले विश्व युद्ध के दौरान ही शुरू हो गई थी. जिसके बाद कई देशों ने इस तकनीक पर काम किया लेकिन दुनिया ने सबसे पहले जिन ड्रोन के बारे में सुना या देखा वो अमेरिका के थे, जिन्होंने अफगानिस्तान में ओसामा की तलाश के दौरान तालिबानी आतंकियों के ठिकानों पर कई बम बरसाए.

आसमान से बम बरसाते अमेरिकी ड्रोन ने बताया कि कैसे एक छोटा का मानव रहित विमान युद्ध में सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है. वो भी बिना दुश्मन की नजर में आए. जिसके बाद दुनियाभर के देशों ने ड्रोन की तकनीक पर काम किया और इसकी क्षमता से लेकर रेंज और प्रयोग को व्यापक बना दिया. अमेरिकी ड्रोन उस दौरान तालिबानी ठिकानों को ढूंढकर उनपर बम बरसाते थे.

ड्रोन का सैन्य इस्तेमाल

ड्रोन का शुरुआती इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ सैन्य, देश की सुरक्षा आदि के लिए होता रहा है. ड्रोन का इस्तेमाल टोह लेने या रेकी करने, खुफिया जानकारी जुटाने या जासूसी के लिए किया जाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में दूरस्थ दुर्गम इलाकों, समुद्र या बॉर्डर एरिया में जहां सेना की कोई टुकड़ी या जवान नहीं पहुंच सकते. वहां ड्रोन बहुत ही कारगर साबित होते हैं. ऐसे इलाकों में एक सुरक्षित दूरी से ड्रोन को ऑपरेट करके अपने काम को बखूबी अंजाम देता है. किसी अनहोनी या दुश्मन की नजर में आने पर भी जानकारी कैमरों के जरिये मिल जाती है और जान का भी नुकसान नहीं होता.

ड्रोन दुश्मन के इलाके में टोह लेने से लेकर लक्ष्य को खत्म करने में भी बहुत ही सटीक है. अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों के खात्मे के लिए कई बार ड्रोन का इस्तेमाल किया. इस दौरान ड्रोन से आतंकी ठिकानों पर हमले भी किए गए. जून में जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन से हमला किया गया था, पड़ोसी देशों की नापाक चाल को बेनकाब करने में भी ड्रोन अहम भूमिका अदा करते हैं.

भारत और ड्रोन

भारत में ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिका या कनाडा जैसे विकसित देशों के मुकाबले बहुत सीमित है. खासकर ड्रोन के सैन्य और पुलिस द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल छोड़ दें तो इसका इस्तेमाल ना के बराबर होता है. भारत ने साल 2018 में ही ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर नियम कायदे बनाए गए हैं. ऐसे में भारत में ड्रोन युग की अभी शुरुआत ही है. हालांकि सैन्य मोर्चों पर ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन ड्रोन को लेकर भारत सरकार की नई नीति ने कई राहें खोल दी है. जिससे भविष्य में ड्रोन के व्यापक इस्तेमाल और इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा.

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