इंदौर: गौतमपुरा में राम मंदिर निर्माण को लेकर धन जुटाने के लिए निकाली गई रैली पर पथराव की घटना पर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर समेत सात सदस्यीय दल ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने रैली में शामिल हुए लोगों द्वारा हिंसा और आगजनी करने के आरोप लगाए हैं, इस आशय को लेकर जारी की गई अपनी रिपोर्ट में सदस्यों ने शासन से पूरे मामले में नए सिरे से कार्रवाई करने की मांग की है.
गौरतलब है कि गौतमपुरा के चांदन खेड़ी गांव में 29 दिसंबर को राम मंदिर के लिए राशि जुटाने को लेकर जन जागरण यात्रा पर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के लोगों द्वारा पथराव किया गया था. इस घटना पर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और सुप्रीम कोर्ट के वकील एहतेशाम हाशमी के नेतृत्व में 16 सदस्यीय दल ने संबंधित गांव का दौरा किया और एक रिपोर्ट तैयार की है. आज शुक्रवार को इंदौर में प्रेस से चर्चा के दौरान टीम ने बताया कि पथराव के बाद हुई हिंसा के दौरान एक अल्पसंख्यक परिवार के घर में लूटपाट हुई. इस दौरान एक बच्चे पर भी हमला करने की कोशिश की गई.
अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र से जानबूझकर निकाली गई रैली
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और उनकी टीम ने आरोप लगाया कि रैली अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र से जानबूझकर निकाली गई रैली पर पथराव को लेकर अब भी जांच बाकी है. इस दौरान अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी ने बताया कि पूरे घटनाक्रम की अपने स्तर पर सात पेज की रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसे शासन स्तर पर भेजा जा रहा है.
मुख्यमंत्री को नहीं कानून की जानकारी
एहतेशाम हाशमी ने पत्थरबाजों पर रासुका लगाए जाने के मुख्यमंत्री के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, शिवराज सिंह चौहान को इंडियन लॉ की जानकारी नहीं है. पत्थरबाजों पर 323 की धारा लगाने का प्रावधान है.
प्रशासन पंगू हो गया है
रिपोर्ट में कहा गया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए सौ करोड़ रुपये इंदौर समेत प्रदेश से इकठ्ठा करने और 5 करोड़ की राशि देपालपुर के लोगों को जमा करने को कहा गया है. धर्म के नाम पर सद्भाव धूमिल हो रहा है. प्रशासन पंगू हो गया है. उन्होंने हिंसा के कारण पर चर्चा करते हुए बताया कि रैली के दौरान भीड़ ने स्थानीय लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया और भड़काऊ नारे लगाए, जिसके परिणाम स्वरुप यह स्थिति बनी.