ग्वालियर। यहां हवाओं में पांच दिनों तक गीत, सुर, ताल की बारिश होगी. यह सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आज से आयोजित हो रहे "तानसेन समारोह'' में होगी. समारोह का पारंपरिक शुभारंभ तानसेन की समाधि पर सामाजिक समरसता के सजीव दर्शन के साथ हुआ. इस बार भी पारंपरिक रूप से हरिकथा, मिलाद गायन, शहनाई वादन, चादरपोशी के साथ "तानसेन समारोह'' की शुरूआत की गई. (tansen festival begins in gwalior)
तानसेन समारोह से अलग नजारा आया सामने
तानसेन समारोह से एक अलग नजारा सामने आया. जहां तानसेन की समाधि पर हिंदू मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों के द्वारा चादर पोशी की गई.
एक साथ ईश्वर और अल्लाह की होती है वंदना
सिंधिया रियासत कालीन में पहले मोहम्मद गौस के मकबरे पर उर्स का आयोजन किया जाता था, और उसी उर्स में संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए हरि कथा और उनके द्वारा लिखे गए संगीत का गायन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते थे. तानसेन समारोह में कई सालों से हरि कथा पढ़ने आ रहे डोली बुआ महाराज का कहना है कि, माध्यम कोई भी हो सबका उद्देश्य अल्लाह और ईश्वर की वंदना करना है.
तानसेन ने ब्राह्मण परिवार में लिया था जन्म