ग्वालियर। भीषण गर्मी के चलते जलस्त्रोतों पर भी संकट मंडराने लगा है. ग्वालियर शहर के बीच से गुजरने वाली रियासत कालीन स्वर्ण रेखा नदी भी दम तोड़ती नजर आ रही है. आलम यह है कि नदी में शहर का गंदा पानी बह रहा है. यह नदी नाले के रूप में तब्दील हो गई है, साथ ही इसमें शहर का कचरा भी जमा हो गया है. बीजेपी सरकार के समय इस पर कई करोड़ो खर्च किए गए थे लेकिन हालत वैसे ही है.
⦁ स्वर्ण रेखा नदी सिंधिया रियासत के समय लंदन की थेम्स नदी की तर्ज पर बनाई गई थी. यह नदी प्रदेश की पहली कृत्रिम नदी है.
⦁ इस नदी में शहर के आसपास के बांधो से पानी छोड़ा जाता था जिससे पूरे शहर में पीने के पानी उपलब्ध कराई जाती थी.
⦁ व्यवसायिक प्रतिष्ठान और फैक्ट्रियों से निकलने वाली गंदगी लगातार इस स्वर्णरेखा रेखा नदी में मिल रही है जिससे यह प्रदूषित नाला बन कर रह गया है.
⦁ राजनीतिक रसूख रखने वाले नेता-मंत्री और अधिकारियों ने स्वर्णरेखा नदी पर करोड़ो रुपए खर्च किये लेकिन स्थित जस की तस बनी हुई है.
⦁ स्वर्णरेखा नदी पर करोड़ों रुपए खर्च करके नीदरलैंड की तकनीकी से निखारने का काम भी किया लेकिन यह योजना भी पूरी तरह से फेल हो गई.
⦁ साल 2006 में 60 करोड़ रुपए खर्च कर स्वर्ण रेखा को पक्का कराया गया था जिससे बरसात का पानी जमा होता रहे है. वहीं कम बरसात के चलते पानी जमा नहीं हो पाया लेकिन गंदा पानी इकट्ठा हो गया.