ग्वालियर। शहर के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और प्रदूषण कम करने के लिए साइकलिंग को बढ़ावा देने के लिए 10 साल पहले बनाया गया साइकल ट्रैक अब बदहाल है. जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण 10 किलोमीटर के ट्रैक पर बीच में कहीं पेड़ खड़े हैं, कहीं हाथ ठेले वालों ने अतिक्रमण कर लिया है. पब्लिक बाइक शेयरिंग स्टैंड पर खड़ी साइकिल भी कबाड़ में बदल रही है और योजना भी पूरी तरह से फेल हो गई है. इन साइकिलों को चलाने वालों की संख्या लगभग शून्य हो चुकी है.
10 किमी. के ट्रैक पर लगे 50 कट: ग्वालियर में पांच साल पहले तत्कालीन निगम आयुक्त वेदप्रकाश के कार्यकाल में शहर में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए 10 किमी का लंबा ट्रैक बनाया गया था. वर्तमान में इस 10 किमी के साइकल ट्रैक में 50 कट लग चुके हैं और ट्रैक बदहाल स्थिति में है. साइकल ट्रैक पर अतिक्रमण हो गया है. इस योजना के तहत स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 500 साइकिल खरीदी गईं थीं. इन पब्लिक बाइक शियरिंग के लिए शहर में 50 जगह साइकिल स्टैंड बनाए गए थे, लेकिन अनदेखी के कारण स्मार्ट साइकल चलाने में शहर के लोगों की रुचि कम हो गई है. इस वजह से साइकल और स्टैंड अब जर्जर हालत में पहुंच गए हैं.
करोड़ों का प्रोजेक्ट, अनदेखी का शिकार: 2017 में स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा ग्वालियर शहर में याना बाइक चलाने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कर्नाटक की याना टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया गया था.स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने कपंनी को 500 साइकल खरीदने के लिए 2 करोड़ 40 लाख रुपए का अनुदान दिया था. इसके साथ ही साइकिल और स्टैंड के मेंटेंनेंस के लिए हर महीने 12 लाख 90 हजार रुपए देने के साथ साइकल के 50 स्टैंड तैयार किए गए थे. इस प्रोजेक्ट पर 5.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए. साइकिल खराब होने और स्टैंड के मेंटेनेंस को लेकर कंपनी पर 1 करोड़ 25 लाख का जुर्माना भी लगाया जा चुका है, लेकिन न तो साइकिलों की हालत सुधरी न स्टैंड की. अब नए महापौर ने साइकिल ट्रैक और इस पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट की जांच के आदेश दिए हैं.
यह है योजना का हाल: शहर में करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से पब्लिक बाइक शेयरिंग परियोजना को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में लागू किया गया था.
-इसमें कर्नाटक की याना कंपनी द्वारा 500 साइकिलों को 50 साइकिल स्टेशन बनाकर शहरवासियों को दिया गया था.
-इस साइकिल को चलाने का शुल्क 10 रुपये/ घंटे के हिसाब से देना होता था. इसमें अगर किसी व्यक्ति को एक बार साइकिल चलानी होती थी तो वह पांच रुपये देकर 30 मिनट साइकिल चला सकता था.
- इसी प्रकार लोग प्रतिदिन साइकिल चलाना चाहते थे तो 50 रुपये में 15 दिन के बीच 7.5 घंटे साइकिल चलाने मिलती है. वहीं 100 रुपये में 30 दिन के अंदर 15 घंटे के लिए साइकिल मिलती है.
अब स्टैंड से साइकल, साइकिल से सीट, टायर सहित अन्य उपकरण धीरे-धीरे गायब हो गए हैं. साइकल ट्रैक कई जगह पर आड़ा-तिरछा होने से इस पर साइकल चलाना काफी मुश्किल होता है. वर्तमान में ट्रैक खराब होने के साथ ही ट्रैक के बीच में कई जगह पेड़-पौधे भी लगे हुए हैं. ग्वालियर में कांग्रेस पार्टी की शोभा सतीश सिकरवार नई महापौर बनी हैं. उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. इस मामले को लेकर नगर निगम कमिश्नर किशोर कल्याण का कहना है पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना मैं संबंधित कंपनी को नोटिस जारी कर दिया है और इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह ने स्मार्ट सिटी की पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना में जमकर भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि यह योजना शुरू होने से पहले ही विवादों के घेरे में आ गई थी, इसलिए यह बड़ा घोटाला किया है इसकी जांच आवश्यक है.