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चंबल की सियासत में मची हलचल, कांग्रेस के बागियों की घर वापसी से बढ़ी बीजेपी की टेंशन

ग्वालियर-चंबल अंचल में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस के से बागी हुए नेता अब पार्टी में वापसी कर रहे हैं, इन नेताओं की घर वापसी से ग्वालियर चंबल में बीजेपी नेताओं की परेशानी बढ़ती दिखाई दे रही है, वहीं कांग्रेस इन नेताओं का स्वागत कर रही है.

ग्वालियर-चंबल जोन में वापसी कर रहे कांग्रेस के बागी नेता
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Published : Apr 25, 2019, 6:07 PM IST

ग्वालियर। सियासत और क्रिकेट दोनों ही अनियमितात से भरे खेल हैं. जहां कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. इन दिनों ग्वालियर चंबल की राजनीति में कुछ ऐसा ही चल रहा है. जहां विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस के नाराज नेता अब घर वापसी में जुटे हैं. इन नेताओं की घर वापसी से ग्वालियर चंबल में बीजेपी नेताओं की परेशानी बढ़ गई है.

बीजेपी के नेताओं का मानना था कि कांग्रेस के इन बागी नेताओं की बगावत से कांग्रेस को नुकसान होगा, लेकिन कांग्रेस के झंडाबरदारों ने सियासी समर में ऐसा जाल बुना कि एक-एक करके कांग्रेस के बागी अब घर वापसी कर रहे हैं. चौधरी राकेश सिंह, साहब सिंह गुर्जर, वृंदावन सिकरवार उनके बेटे मानवेंद्र सिंह जैसे कांग्रेस के दिग्गज पार्टी में वापसी कर चुके हैं.

ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस में वापसी कर रहे बागी नेता

कांग्रेस नेताओं की घर वापसी पर बीजेपी का कहना है कि इससे उनकों कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. कांग्रेस अब भी गुटबाजी का शिकार है.जबकि कांग्रेस अपने नेताओं की घर वापसी से पार्टी को चुनाव में मजबूती की बात कह रही है.

दोनों ही पार्टी के नेता चाहे कुछ भी दावे करें. हकीकत तो ये है कि एक ओर कांग्रेस के इन नेताओं की घर वापसी से बीजेपी की जहां टेंशन बढ़ गयी है तो वहीं कांग्रेस को इन बागियों को खुश रखना किसी चुनौती से कम नहीं है.

ग्वालियर। सियासत और क्रिकेट दोनों ही अनियमितात से भरे खेल हैं. जहां कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. इन दिनों ग्वालियर चंबल की राजनीति में कुछ ऐसा ही चल रहा है. जहां विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस के नाराज नेता अब घर वापसी में जुटे हैं. इन नेताओं की घर वापसी से ग्वालियर चंबल में बीजेपी नेताओं की परेशानी बढ़ गई है.

बीजेपी के नेताओं का मानना था कि कांग्रेस के इन बागी नेताओं की बगावत से कांग्रेस को नुकसान होगा, लेकिन कांग्रेस के झंडाबरदारों ने सियासी समर में ऐसा जाल बुना कि एक-एक करके कांग्रेस के बागी अब घर वापसी कर रहे हैं. चौधरी राकेश सिंह, साहब सिंह गुर्जर, वृंदावन सिकरवार उनके बेटे मानवेंद्र सिंह जैसे कांग्रेस के दिग्गज पार्टी में वापसी कर चुके हैं.

ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस में वापसी कर रहे बागी नेता

कांग्रेस नेताओं की घर वापसी पर बीजेपी का कहना है कि इससे उनकों कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. कांग्रेस अब भी गुटबाजी का शिकार है.जबकि कांग्रेस अपने नेताओं की घर वापसी से पार्टी को चुनाव में मजबूती की बात कह रही है.

दोनों ही पार्टी के नेता चाहे कुछ भी दावे करें. हकीकत तो ये है कि एक ओर कांग्रेस के इन नेताओं की घर वापसी से बीजेपी की जहां टेंशन बढ़ गयी है तो वहीं कांग्रेस को इन बागियों को खुश रखना किसी चुनौती से कम नहीं है.

Intro:ग्वालियर - इस समय पूरे प्रदेश के साथ साथ ग्वालियर चम्बल में नेताओ की घर बापसी की होड़ लगी हुई है। मतलब जो नेता असंतोष या फिर रुठ कर पार्टी छोड़ कर चले गये थे , वह नेता इस समय अपने घर यानि पुरानी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। खास कर ग्वालियर चम्बल में कई बड़े ऐसे चेहरे है जो पार्टी से नाराज होकर दूसरी पार्टी में चले गए थे लेकिन फिर से अपनी पुरानी पार्टी में शामिल हो गये है इन नेताओं के पार्टी बदलने से इस अंचल की सीटों के सियासी समीकरण भी बदल गये है । खासकर इस अंचल की लोकसभा सीटों में सियासी समीकरण कुछ इस तरह देखे जा रहे है ।


Body:ग्वालियर लोकसभा सीट - ग्वालियर लोकसभा सीट में बीजेपी से विवेक नारायण शेजवालकर और कॉंग्रेस से अशोक सिंह मैदान में है । और दोनों में इस समय कड़ी टक्कर भी देखी जा रही है लेकिन विधानसभा चुनाव में बसपा से प्रत्याशी रहे साहब सिंह गुर्जर ने अभी हाल में ही कॉंग्रेस में शामिल होने के बाद इस लोकसभा सीट के सियासी समीकरण को बदल दिया है । बताया जा रहा था कि इस लोकसभा सीट बसपा साहिब सिंह गुर्जर को अपने प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार सकती है । लेकिन ऐन बक्त पर साहिब सिंह गुर्जर ने पार्टी बदलकर कॉंग्रेस में शामिल हो रहे है । साहिब सिंह के कॉंग्रेस में शामिल होने से कॉंग्रेस इस सीट पर मजबूत नजर आ रहा रही है क्यों इस सीट में पर गुर्जर जाति का करीव 1 लाख से डेढ़ लाख तक वोट है । मुरैना लोकसभा सीट - इस लोकसभा सीट से कॉंग्रेस ने रामनिवास रावत को मैदान में उतारा है तो बीजेपी से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मैदान में है । केंद्रीय मंत्री नरेंद्र ने ग्वालियर लोकसभा सीट में पार्टी के नेताओ के विरोध के चलते सीट छोड़कर मुरैना सीट चुनाव लड़ने का फैसला लिया है लेकिन नरेंद्र सिंह के लिए मुरैना सीट भी सुरक्षित नजर नही आ रहा है । हर बार सीट बदलने से जनता के बीच नाराजगी और पार्टी के नेताओ में अंदर ही अंदर विरोध । इस सबके चलते प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर सबको साधने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ऐन बक्त पर बसपा छोड़कर कॉंग्रेस जॉइन करने बाले बृन्दावन सिंह सिकरवार और उसके बेटे मानवेन्द्र से नरेंद्र सिंह के लिए संकट खड़ा कर दिया है । दो दिन पहले बृन्दावन सिंह और उसके बेटे मानवेन्द्र सिंह ने दिल्ली में जाकर ज्योतिरादित्य ने कॉंग्रेस में सपथ दिलवा दी। बता दे बृन्दावन सिंह उसी इलाके से आते है और क्षत्रिय जाति पर अच्छी खासी पकड़ रखते है इसलिए बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह को इसका नुकसान झेलना पड़ेगा । साथ सूत्रों की माने तो मुरैना सीट में प्रत्याशी नरेंद्र सिंह से ब्राम्हण वोटर भी नाराज चल रहा है इसका कारण यह है कि बर्तमान सांसद अनूप मिश्रा का टिकिट काट दिया है साथ लंबे समय से यह अटकले लगाई जा रही थी कि बीड़ी शर्मा को मुरैना से टिकिट मिलने बाला है लेकिन नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर सीट छोड़कर मुरैना से लड़ने चले गये इसलिए बीड़ी शर्मा को मुरैना टिकिट नही मिल पाया । भिंड लोकसभा सीट - यही हाल भिंड लोकसभा सीट है भिंड लोकसभा से बीजेपी ने संध्या राय को मैदान में उतारा है तो वही कॉंग्रेस अबकी बार एक युवा प्रत्याशी देवाशीश जरारिया पर दांव खेला है लेकिन कॉंग्रेस से बीजेपी में आये चौधरी राकेश सिंह फिर से कॉंग्रेस में चले गए । जिससे कही न कही बीजेपी की सीट खतरे में नजर आने लगी है । क्योंकि चौधरी राकेश सिंह भिंड इलाके में अपने वोटरों का अच्छा खासा प्रभाव रखते है


Conclusion:बाईट - आर पी सिंह , कॉंग्रेस प्रवक्ता बाईट - राजेश सोलंकी , बीजेपी प्रवक्ता नोट - स्टोरी के विसुअल GWALIOR GHAR BAPASEE 23APR के नाम से FTP पर भेज दी है ।
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