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अस्पतालों में लूटखसोट! cash वाले आ जाओ, card वाले भाग जाओ

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Published : Apr 20, 2021, 7:12 PM IST

Updated : May 7, 2021, 1:09 PM IST

कोरोना मरीजों पर अब दोहरी मार पड़ रही है. एक तो जान का खतरा, ऊपर से प्राइवेट अस्पताल कैशलेस इलाज से हाथ खींच रहे हैं. ऐसे में आम लोगों के लिए प्राइवेट अस्पताल के दरवाजे बंद हो गए हैं

no cashless treatment
cash वाले आ जाओ, card वाले भाग जाओ

ग्वालियर। कोरोना की आपदा में हर कोई उम्मीद करता है कि लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आएंगे. लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे हैं, जो आपदा में स्वार्थ को नहीं छोड़ पा रहे हैं. कई प्राइवेट हॉस्पिटल ने कैशलेस वाले इंश्योरेंस कार्ड और आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से मना कर दिया है. कुछ हॉस्पिटल तो यह खुलकर कह रहे हैं, तो कुछ बेड की कमी बताकर कोविड मरीजों को भर्ती करने इंकार कर रहे हैं. अगर आपको प्राइवेट अस्पताल में इलाज लेना है तो कैशलेस कार्ड नहीं चलेगा, भारी भरकम कैश ले जाना होगा.

आपदा में काम का नहीं बीमा कार्ड, only cash

कोरोना महामारी में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के पास मेडिक्लेम लेने के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात यह है कि ज्यादातर हॉस्पिटल्स ने बीमा कंपनियों के casehless कार्ड से इलाज करना ही बंद कर दिया है. अस्पताल मरीजों के परिजनों से सिर्फ कैश ले रहे हैं.अगर मरीज के पास स्वास्थ्य बीमा की सुविधा है, तो अस्पताल उन्हे गुमराह कर रहा है. उन्हें बेड नहीं होने की बात कहकर बैरंग लौटाया जा रहा है.

मरीज का शोषण हो रहा है, जिला प्रशासन मौन है

प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने वाले स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारक मरीज को भी अपनी जेब से नगद पैसा देना पड़ रहा है.शहर में अधिकतर निजी अस्पताल कोरोना मरीज को भर्ती कराने से पहले 70 से 80 हजार रुपए एडवांस में जमा करा रहे हैं. उसके बाद मरीज को भर्ती कर रहे हैं. कई मरीज ऐसे हैं जो इसी उम्मीद में प्राइवेट अस्पताल आए हैं कि उनके पास कैशलेस कार्ड है. जैसे ही वह निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं तो उन्हें बेड नहीं होने का बहाना बताया जा रहा है. सबकुछ जानते हुए भी प्रशासन इन अस्पतालों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर रहा है.

मरीज की जान पर बन आई, अस्पतालों को 'धंधे' की पड़ी

एक मरीज के परिजन बताया कि वह 2 दिन से परेशान है. उसका कहना है कि हमारे पास मरीज की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है, लेकिन अस्पताल हमें गुमराह कर रहे हैं. जब हम मरीज को भर्ती करने के लिए गए थे तो उन्होंने बेड ना होने की बात कही. लेकिन हम देख रहे हैं कई ऐसे मरीज हैं जिन्होंने पहले पैसे जमा कर दिए और उनको बेड मिल गया. हम 2 दिन से लगातार निजी अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं. थक हारकर एक निजी अस्पताल में कैश देने पर ही मरीज को भर्ती कराया.

देखते हैं, समझते हैं..क्या कर सकते हैं

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मनीष शर्मा ने माना, कि हां यह बात सही है इस तरह का मामला मेरे संज्ञान में आया है. हम सभी निजी अस्पतालों की जांच करवा रहे हैं. अगर मरीज के पास कैशलेस कार्ड है तो उनसे पैसे क्यों ले रहे हैं. यह पूरी तरह से गलत है. अगर जांच में इस तरह का कोई मामला आता है, तो निजी अस्पताल के खिलाफ action लिया जाएगा.

मंत्री का दौरा खत्म, मरीज का निकला दम: गेट पर ही 3 घंटे तक तड़पता रहा मरीज

अभी तो नगद दो, बाद में खुद रिफंड ले लेना

जैसे प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हालात बिगड़ते जा रहे हैं, वैसे वैसे निजी अस्पतालों की मनमर्जी भी बढ़ती जा रही है. उपचार के नाम पर बेतहाशा वसूली के साथ कैशलेस मेडीक्लेम होने के बाद भी मरीजों से रुपये लिये जा रहे हैं. मरीजों से कहा जा रहा है कि, बाद में मेडीक्लेम कंपनियों से आप खुद रिफंड ले लेना. यहां तो आपको नगद भुगतान ही करना होगा.

ग्वालियर। कोरोना की आपदा में हर कोई उम्मीद करता है कि लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आएंगे. लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे हैं, जो आपदा में स्वार्थ को नहीं छोड़ पा रहे हैं. कई प्राइवेट हॉस्पिटल ने कैशलेस वाले इंश्योरेंस कार्ड और आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से मना कर दिया है. कुछ हॉस्पिटल तो यह खुलकर कह रहे हैं, तो कुछ बेड की कमी बताकर कोविड मरीजों को भर्ती करने इंकार कर रहे हैं. अगर आपको प्राइवेट अस्पताल में इलाज लेना है तो कैशलेस कार्ड नहीं चलेगा, भारी भरकम कैश ले जाना होगा.

आपदा में काम का नहीं बीमा कार्ड, only cash

कोरोना महामारी में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के पास मेडिक्लेम लेने के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात यह है कि ज्यादातर हॉस्पिटल्स ने बीमा कंपनियों के casehless कार्ड से इलाज करना ही बंद कर दिया है. अस्पताल मरीजों के परिजनों से सिर्फ कैश ले रहे हैं.अगर मरीज के पास स्वास्थ्य बीमा की सुविधा है, तो अस्पताल उन्हे गुमराह कर रहा है. उन्हें बेड नहीं होने की बात कहकर बैरंग लौटाया जा रहा है.

मरीज का शोषण हो रहा है, जिला प्रशासन मौन है

प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने वाले स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारक मरीज को भी अपनी जेब से नगद पैसा देना पड़ रहा है.शहर में अधिकतर निजी अस्पताल कोरोना मरीज को भर्ती कराने से पहले 70 से 80 हजार रुपए एडवांस में जमा करा रहे हैं. उसके बाद मरीज को भर्ती कर रहे हैं. कई मरीज ऐसे हैं जो इसी उम्मीद में प्राइवेट अस्पताल आए हैं कि उनके पास कैशलेस कार्ड है. जैसे ही वह निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं तो उन्हें बेड नहीं होने का बहाना बताया जा रहा है. सबकुछ जानते हुए भी प्रशासन इन अस्पतालों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर रहा है.

मरीज की जान पर बन आई, अस्पतालों को 'धंधे' की पड़ी

एक मरीज के परिजन बताया कि वह 2 दिन से परेशान है. उसका कहना है कि हमारे पास मरीज की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है, लेकिन अस्पताल हमें गुमराह कर रहे हैं. जब हम मरीज को भर्ती करने के लिए गए थे तो उन्होंने बेड ना होने की बात कही. लेकिन हम देख रहे हैं कई ऐसे मरीज हैं जिन्होंने पहले पैसे जमा कर दिए और उनको बेड मिल गया. हम 2 दिन से लगातार निजी अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं. थक हारकर एक निजी अस्पताल में कैश देने पर ही मरीज को भर्ती कराया.

देखते हैं, समझते हैं..क्या कर सकते हैं

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मनीष शर्मा ने माना, कि हां यह बात सही है इस तरह का मामला मेरे संज्ञान में आया है. हम सभी निजी अस्पतालों की जांच करवा रहे हैं. अगर मरीज के पास कैशलेस कार्ड है तो उनसे पैसे क्यों ले रहे हैं. यह पूरी तरह से गलत है. अगर जांच में इस तरह का कोई मामला आता है, तो निजी अस्पताल के खिलाफ action लिया जाएगा.

मंत्री का दौरा खत्म, मरीज का निकला दम: गेट पर ही 3 घंटे तक तड़पता रहा मरीज

अभी तो नगद दो, बाद में खुद रिफंड ले लेना

जैसे प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हालात बिगड़ते जा रहे हैं, वैसे वैसे निजी अस्पतालों की मनमर्जी भी बढ़ती जा रही है. उपचार के नाम पर बेतहाशा वसूली के साथ कैशलेस मेडीक्लेम होने के बाद भी मरीजों से रुपये लिये जा रहे हैं. मरीजों से कहा जा रहा है कि, बाद में मेडीक्लेम कंपनियों से आप खुद रिफंड ले लेना. यहां तो आपको नगद भुगतान ही करना होगा.

Last Updated : May 7, 2021, 1:09 PM IST
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