ग्वालियर। पूरे देश भर के साथ-साथ प्रदेशभर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहरी कोहराम मचा दिया था, ग्वालियर में भी संक्रमण की दूसरी लहर में हर तरफ मौतों का मंजर दिखाई दे रहा था, हालात यह हो चुके थे कि ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जाने जा रही थी उस समय ऑक्सीजन की एक लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर रही थी, लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति न हो पाने के कारण कई लोगों की मौत हो गई थी. उसके बाद सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद शुरू हुई.
ऑक्सीजन के 9 प्लांट अब भी शुरू नहीं
सरकार ने तीसरी लहर से पहले ऑक्सीजन प्लांट और प्लांट लगाने की पहल शुरू की, अकेले ग्वालियर जिले में सरकार और उसके नुमाइंदों ने जिले में 9 ऑक्सीजन प्लांट सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से लगवा दिए, लेकिन अब हालात ये है. कि तीसरी लहर आने को है, लेकिन कोई भी प्लांट अभी तक चालू नहीं हुआ है, इससे गंभीर बात यह भी है कि जो प्लांट पूरी तरह से लग चुके हैं, उनकी ट्रायल तक शुरू नहीं हुई है, ऐसे में विपक्ष लेकर सत्तापक्ष सरकारी मशीनरी पर सवाल उठा रहे हैं.
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बड़ी लापरवाही
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर ग्वालियर के अफसर कतई संजीदा नहीं है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ऑक्सीजन प्लांट, मई से लेकर अब तक अंचल का सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में चार और जिला अस्पताल में एक प्लांट लग चुके हैं, जबकि चार प्लांट हजीरा, हस्तिनापुर, मोहना और डबरा में अभी निर्माणाधीन है.
4 प्लांटों का अब तक नहीं हुआ ट्रायल
जयारोग्य अस्पताल में चार ऑक्सीजन टैंक के महज टेंडर ही हो सके हैं, जो पांच प्लांट लगाकर तैयार हुए हैं, उनमें से एक प्लांट तो ट्रायल में ही फेल हो गया है, जबकि बाकी के 4 प्लांटों का ट्रायल होना शेष है. यदि अचानक ही तीसरी लहर में केस बढ़ना शुरू हो गए तो ऑक्सीजन का संकट अप्रैल माह की तरह फिर खड़ा हो जाएगा, अधिकारी तमाशा देखते रहेंगे.
उद्घाटन के बाद भी नहीं शुरू हुआ ऑक्सीजन प्लांट
ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अफसर का झूठ और सुस्त चाल भारी पड़ सकती है, गजब की बात यह है कि ट्रामा सेंटर के बाहर लगे ऑक्सीजन प्लांट का 2 माह पहले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उद्घाटन कर चुके हैं, पर प्लांट में मरीज को अभी तक सांसे नहीं मिल सकी हैं. केंद्रीय मंत्री की पहल पर जिला अस्पताल में लगा ऑक्सीजन प्लांट भी चालू नहीं हो सका है.
जबलपुर हाईकोर्ट ने भी जताई थी चिंता
जबकि जबलपुर हाईकोर्ट ऑक्सीजन प्लांट चालू ना होने को लेकर चिंता जता चुका है, हालांकि कलेक्टर कह रहे हैं कि प्लांटों को जल्द चालू करवाया जाएगा, वहीं सांसद का कहना है कि यह गंभीर विषय है इसको लेकर खुद बात करेंगे.
ऑक्सीजन प्लांटों की स्थिति
कार्डियक विभाग के बाहर सन फार्मा कंपनी हेनवा सेहर मिनट 300 लीटर ऑक्सीजन तैयार करने का प्लांट लगाया, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते बंद है.
ट्रामा सेंटर यूपीएल कंपनी ने हवा से हर मिनट 3000 लीटर ऑक्सीजन तैयार करने का प्लांट लगाया, उद्घाटन होने के बाद इसका ट्रायल नहीं हो सका.
डीआरडीई और एनएचएआई द्वारा हजार बिस्तर अस्पताल में हवा से हर मिनट 2000 लीटर ऑक्सीजन तैयार करने का प्लांट लगा है पर ट्रायल नहीं हो सका है.
जिला अस्पताल में हवा से प्रति मिनट 300 लीटर ऑक्सीजन तैयार करने का प्लांट लग चुका है, पर ट्रायल नहीं हुआ है.
सरकार के जवाब से हाई कोर्ट भी हैरान, ऑक्सीजन की कमी से नहीं गई एक भी जान!
ऑक्सीजन के संकट से जो दूसरी लहर में सांसे उखड़ी है, उसका मंजर देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश ने भी देखा है, जहां एक-एक ऑक्सीजन गैस सिलेंडर के लिए लोग परेशान होते देखे गए हैं, तो वहीं दम तोड़ती हुए भी, बावजूद इसके अभी भी प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के अफसर ऑक्सीजन प्लांटों को लेकर जरा भी संजीदा नहीं है.