ग्वालियर। निकाय चुनाव का मतदान होने के बाद बीजेपी ने उन कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया है, जो पार्टी में अनुशासनहीनता कर रहे थे. इसमें सबसे ज्यादा अंचल के दिग्गज केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक निशाने पर हैं. जिन्होंने निकाय चुनावों में पार्टी के साथ बगावत की है या फिर अंदर ही अंदर पार्टी के खिलाफ काम किया है. ऐसे आधा सैकड़ा कार्यकर्ताओं की पार्टी ने लिस्ट तैयार कर ली है, जिन पर कार्रवाई होनी है. इनमें से कुछ बड़े नेता भी शामिल है. बताया रहा है कि, इन कार्यकर्ताओं पर निकाय चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप है. सभी कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार करके अभी हाल में ही आए सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को सौंपी गई है. इन सभी कार्यकर्ताओं पर जल्द पार्टी की तरफ से कार्रवाई होने वाली है.
कांग्रेस नेता आरपी सिंह ने कहा कि, जब से बीजेपी में सिंधिया आए हैं, ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी दोनों गुटों में बट गई है. बीजेपी में गुटबाज नेताओं की बात करें तो, सिर्फ 40 ही ऐसे नेता बचेंगे जो पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.
अनुशासनहीनता पर बीजेपी करेगी कार्रवाई: ग्वालियर निकाय चुनाव में देखने में आया था कि, अंचल में सबसे ज्यादा गुटबाजी अबकी बार बीजेपी में देखने को मिली. इस निकाय चुनाव में आधा सैकड़ा से अधिक ऐसे कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनको पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने बगावत शुरू कर दी और अन्य दल से टिकट लेकर पार्टी के खिलाफ मैदान में उतर आए. इसके साथ ही दर्जनभर ऐसे कार्यकर्ता थे, जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हो गए. बताया जा रहा है पार्टी को अंदर ही अंदर खबर मिली है कि, कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी के खिलाफ अंदर ही अंदर प्रचार प्रसार किया है. ऐसे में बीजेपी ने ऐसे कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार कराई है और इन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि, पार्टी के खिलाफ जिन कार्यकर्ताओं ने काम किया है, या बगावत की है. ऐसे कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. इसके साथ ही बाकी कार्यकर्ताओं की लिस्ट भी तैयार की जा रही है, जिन्होंने अंदर ही अंदर पार्टी के विरोध में काम किया है. ऐसे कार्यकर्ताओं पर भी कार्रवाई की जाएगी.
बीजेपी के कार्यकर्ता दो गुटों में बंटे: निकाय चुनाव में यह देखने में आया कि बीजेपी के कार्यकर्ता दो गुटों में बंटे हुए हैं, जिसमें बीजेपी के मूल कार्यकर्ता और सिंधिया समर्थक कार्यकर्ता शामिल हैं. यही वजह है कि जिन कार्यकर्ताओं को पार्टी ने पार्षद पद का टिकट नहीं दिया, वह पार्टी के खिलाफ काम करने लगे और इसमें सबसे ज्यादा सिंधिया समर्थक कार्यकर्ता शामिल है. यह उम्मीद थी कि उन्हें पार्षद का टिकट मिलेगा, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने ना तो पार्टी के लिए प्रचार प्रसार किया और कुछ कार्यकर्ता ऐसे हैं, जिन्होंने अंदर ही अंदर पार्टी के विरोध में प्रचार प्रसार किया है. यही कारण है कि अबकी बार बीजेपी में सबसे अधिक और गुटबाजी देखने को मिली है.
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