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सिंधिया ने शाही अंदाज में मनाया दशहरा, शमी पूजन के बाद लहराई तलवार

ग्वालियर में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दशहरे पर पारंपरिक ढंग से राजसी पोशाक पहनकर पूजन किया, इस दौरान उनके बेटे आर्यमन सिंधिया भी मौजूद रहे.

शमी पूजन करते ज्योतिरादित्य सिंधिया
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Published : Oct 8, 2019, 8:38 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 9:11 PM IST

ग्वालियर। वियज दशमी के अवसर पर सिंधिया राज परिवार अपनी शाही परंपरा के मुताबिक दशहरे का पर्व मनाया. सिंधिया राजवंश के ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके बेटे आर्यमन सिंधिया ने मंगलवार को ग्वालियर में राजसी पोशाक में सिंधिया पैलेस से माढरे की माता के पास स्थित मैदान पहुंचे, जहां पहले से मौजूद राज परिवार के सदस्यों ने ट्रेडिशनल ड्रेस में कार्निस बजाकर उनका स्वागत किया. बाद में राज पुरोहितों ने शमी का पूजन कराया.

शमी पूजन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी तलवार से शमी के पौधे को स्पर्श किया, इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने शमी के पत्ते लूटकर एक-दूसरे को दशहरा पर्व की शुभकामनाएं दी.

सिंधिया की दशहरा पूजन

राज घराने की शमी पूजा है खास
दशहरे पर शमी पूजा के आयोजन के पीछे सिंधिया राजवंश के परिवार की कहानी है कि जब देश में अंग्रेजों का शासन था, उस दौरान दशहरे के मौके पर महल में ब्रिटिश रेसिडेंट आता था और इसके नेतृत्व में पास ही स्थित पहाड़ी पर 101 तोपों की सलामी दी जाती थी, जिसके बाद पूजा पूरी होती थी. हालांकि, आजादी के बाद ये परंपरा तो खत्म हो गई, लेकिन सिंधिया राज परिवार इस परंपरागत और शाही अंदाज में दशहरा मनाता चला आ रहा है. राज परिवार के दशहरे की ये लगभग 400 साल पुरानी परंपरा है.

ग्वालियर। वियज दशमी के अवसर पर सिंधिया राज परिवार अपनी शाही परंपरा के मुताबिक दशहरे का पर्व मनाया. सिंधिया राजवंश के ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके बेटे आर्यमन सिंधिया ने मंगलवार को ग्वालियर में राजसी पोशाक में सिंधिया पैलेस से माढरे की माता के पास स्थित मैदान पहुंचे, जहां पहले से मौजूद राज परिवार के सदस्यों ने ट्रेडिशनल ड्रेस में कार्निस बजाकर उनका स्वागत किया. बाद में राज पुरोहितों ने शमी का पूजन कराया.

शमी पूजन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी तलवार से शमी के पौधे को स्पर्श किया, इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने शमी के पत्ते लूटकर एक-दूसरे को दशहरा पर्व की शुभकामनाएं दी.

सिंधिया की दशहरा पूजन

राज घराने की शमी पूजा है खास
दशहरे पर शमी पूजा के आयोजन के पीछे सिंधिया राजवंश के परिवार की कहानी है कि जब देश में अंग्रेजों का शासन था, उस दौरान दशहरे के मौके पर महल में ब्रिटिश रेसिडेंट आता था और इसके नेतृत्व में पास ही स्थित पहाड़ी पर 101 तोपों की सलामी दी जाती थी, जिसके बाद पूजा पूरी होती थी. हालांकि, आजादी के बाद ये परंपरा तो खत्म हो गई, लेकिन सिंधिया राज परिवार इस परंपरागत और शाही अंदाज में दशहरा मनाता चला आ रहा है. राज परिवार के दशहरे की ये लगभग 400 साल पुरानी परंपरा है.

Intro:ग्वालियर में सिंधिया राजपरिवार अपनी परंपरागत शाही अंदाज में दशहरे का पर्व मना रहा है। सिंधिया राजवंश की ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी बेटी महाआर्यन ने आज ग्वालियर में सिंधिया राजसी पोशाक में महल से मांडरे की माता स्थित सिंधिया परिवार के दशहरा मैदान पहुंचे। जहां पहले से मौजूद राज परिवारों के सदस्यों ने परंपरागत ड्रेस में कारण कार्निस बजाकर उनका स्वागत किया। बाद में राज पुरोहितों ने शमी का पूजन किया। फिर सिंधिया ने तलवार से शमी वृक्ष को स्पर्श किया। बाद में इसके पत्ते लूट कर सभी ने एक-दूसरे को दशहरे की शुभकामनाएं।


Body:दशहरे पर शमी पूजा का आयोजन के पीछे सिंधिया राजवंश के परिवार की कहानी है जब देश में अंग्रेजों का शासन था तब दशहरे के मौके पर बिट्रिश रेसिडेंट आता था इस के नेतृत्व में पास ही स्थित पहाड़ी पर 101 तोपों की सलामी दी जाती थी। तब इसकी पूजा समाप्त होती थी। हालांकि देश आजाद होने के बाद यह परंपरा तो समाप्त हो गई। लेकिन सिंधिया राजपरिवार अभी भी परंपरागत और शाही अंदाज में दशहरा मनाता चला आ रहा है। सिंधिया राजपरिवार के दशहरे की यह लगभग 400 साल पुरानी कहानी है।


Conclusion:बाइट - ज्योतिरादित्य सिंधिया , कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव
Last Updated : Oct 8, 2019, 9:11 PM IST
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