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Gwalior Chambal Region Illegal Sand Mining: माफियाओं के सामने सरकार ने टेके घुटने! खनन ना रोक पाने पर निकाला बीच का रास्ता, कितना फायदेमंद होगा सौदा?

ग्वालियर चंबल अंचल में रेत माफियाओं के हौंसले कितने बुलंद हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रशासन और सरकार इनको रोकने में नाकाम है. हर महीने रेत का कारोबार औसतन दो हजार करोड़ से ज्यादा है. लेकिन हालात यह हैं कि, हारे प्रशासन ने इसको लेकर बीच का रास्ता खोजते हुए पांच बड़ी खदानों को विभाग ने लीज पर देने की सिफारिश की है.

Administration found middle way to avoid sand mafia
प्रशासन ने रेत माफियाओं से बचने के लिए खोजा बीच का रास्ता
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Published : Jul 30, 2022, 7:43 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल संभाग रेत और पत्थर माफिया के लिए सबसे ज्यादा बदनाम है. अगर इन्हें कोई रोकने की कोशिश करता है, तो वह उसकी हत्या तक कर देते हैं. फिर चाहे पुलिस का अफसर हो या अन्य कोई अधिकारी. ऐसे में चंबल में माफिया सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं. वन विभाग माफियाओं से लोहा लेने में नाकामयाब है. ऐसे में अब बीच का रास्ता निकाल लिया गया है. यानि कि जिन रेत की खदानों पर सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन होता था, उसे लीज पर देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें मुरैना, भिंड और श्योपुर की पांच रेत खदान शामिल हैं.

ग्वालियर चंबल संभाग में अवैध रेत का कारोबार

चंबल अंचल में माफिया राज: जिन खदानों को कैद करने की सिफारिश है, यानी कि प्रस्ताव वन विभाग ने सरकार को भेजा है. उनमें ग्वालियर, मुरैना की दो खदानें, श्योपुर की दो खदानें और एक खदान भिंड की है. कहा जाता है कि जिन खदानों का प्रस्ताव वन विभाग ने सरकार को भेजा है, उन खदानों पर सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन होता है. साथ ही इनमें जलीय जीव जंतुओं की संख्या बहुत अधिक है. मुरैना की बात करें तो, यहां घड़ियाल सेंचुरी मुरैना के राजघाट पर ही मौजूद है. जिसे लेकर किसी भी प्रकार के उत्खनन की रोक सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाई गई है.

रेत माफियाओं का दुस्साहस: राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य टीम पर किया पथराव, टीम ने फायरिंग से दिया जवाब

ग्वालियर-चंबल संभाग में अवैध रेत का कारोबार:

  • ग्वालियर में हर रोज लगभग 400 से 500 तक रेत डम्पर डबरा, भितरवार और सिंध नदी से निकाला जाता है.
  • मुरैना जिले में हर रोज 700 से 800 डंपर रेत निकाला जाता है, जिसमें घड़ियाल सेंचुरी भी शामिल है.
  • श्योपुर से लगभग 300 से 400 डंपर रेत निकाला जाता है.
  • भिंड से हर रोज 400 से 500 रेत के डंपर निकाले जाते हैं.
  • दतिया जिला से 200 से 300 डंपर रेत निकाला जाता है.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल संभाग रेत और पत्थर माफिया के लिए सबसे ज्यादा बदनाम है. अगर इन्हें कोई रोकने की कोशिश करता है, तो वह उसकी हत्या तक कर देते हैं. फिर चाहे पुलिस का अफसर हो या अन्य कोई अधिकारी. ऐसे में चंबल में माफिया सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं. वन विभाग माफियाओं से लोहा लेने में नाकामयाब है. ऐसे में अब बीच का रास्ता निकाल लिया गया है. यानि कि जिन रेत की खदानों पर सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन होता था, उसे लीज पर देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें मुरैना, भिंड और श्योपुर की पांच रेत खदान शामिल हैं.

ग्वालियर चंबल संभाग में अवैध रेत का कारोबार

चंबल अंचल में माफिया राज: जिन खदानों को कैद करने की सिफारिश है, यानी कि प्रस्ताव वन विभाग ने सरकार को भेजा है. उनमें ग्वालियर, मुरैना की दो खदानें, श्योपुर की दो खदानें और एक खदान भिंड की है. कहा जाता है कि जिन खदानों का प्रस्ताव वन विभाग ने सरकार को भेजा है, उन खदानों पर सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन होता है. साथ ही इनमें जलीय जीव जंतुओं की संख्या बहुत अधिक है. मुरैना की बात करें तो, यहां घड़ियाल सेंचुरी मुरैना के राजघाट पर ही मौजूद है. जिसे लेकर किसी भी प्रकार के उत्खनन की रोक सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाई गई है.

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ग्वालियर-चंबल संभाग में अवैध रेत का कारोबार:

  • ग्वालियर में हर रोज लगभग 400 से 500 तक रेत डम्पर डबरा, भितरवार और सिंध नदी से निकाला जाता है.
  • मुरैना जिले में हर रोज 700 से 800 डंपर रेत निकाला जाता है, जिसमें घड़ियाल सेंचुरी भी शामिल है.
  • श्योपुर से लगभग 300 से 400 डंपर रेत निकाला जाता है.
  • भिंड से हर रोज 400 से 500 रेत के डंपर निकाले जाते हैं.
  • दतिया जिला से 200 से 300 डंपर रेत निकाला जाता है.
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