ग्वालियर। प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में नर्सिंग कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश को लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने चिंता जाहिर की है. शिक्षा प्रसार समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सुनीता यादव की डिवीजन बेंच ने मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ प्रभात प्रभात कुमार से कहा, अपने अधिकारियों को यह बता दीजिए कि कोर्ट इस मामले में काफी चिंतित है. यह गड़बड़ बंद होनी चाहिए चाहे वह मेडिकल के मामले में हो या पैरामेडिकल के, नहीं तो एक समय यह आएगा कि व्यापमं से बड़ा घोटाला हो जाएगा और तब आप सब दिक्कत में पड़ जाओगे. कोर्ट ने कहा कि, नियमित निरीक्षण करें और नियमों का पालन करें, अपात्र लोग इस सेवा में आएंगे तो ठीक नहीं होगा. (gwalior high court Bench)
जिम्मेदार अफसर हैं ड्रामा क्यों करते हैं: समिति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए यूनिवर्सिटी को फिर से लिंक खोलने का निर्देश देने की मांग की है. कोर्ट को बताया कि कोविड के चलते कुछ छात्र वर्ष 2020 में दस्तावेज जमा नहीं कर पाए थे. इस कारण उनका पंजीयन नहीं हो पाया था, याचिका में छात्रों को जनरल प्रमोशन देने की भी मांग की गई, इस पर कोर्ट ने राजस्थान से कहा कि, आप जिम्मेदार अफसर हैं यह ड्रामा क्यों करते हैं कि कुछ समय के लिए लिंक खोला, फीस जमा करा दी और दस्तावेज भी स्वीकार कर लिए लेकिन रजिस्ट्रेशन नंबर जनरेट नहीं किया. कोर्ट ने यूनिवर्सिटी की कार्य पद्धति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोग कॉलेजों का निरीक्षण क्यों नहीं करते, यह संस्थान वास्तविकता में संस्थागत दुकान जैसा काम कर रहे हैं. यदि कॉलेज सही से काम नहीं कर रहे और धोखा दे रहे हैं तो इनकी मान्यता निरस्त कर देनी चाहिए.
35 कॉलेज की मान्यता निरस्त करो: कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि आप की लापरवाही का खामियाजा पूरे समाज को उठाना पड़ेगा, यदि कोई अप्रशिक्षित अपात्र व्यक्ति पैरामेडिकल स्टाफ याद नर्सिंग स्टाफ बन जाए और अस्पताल में पदस्थ हो गया तो क्या होगा. हर दिन कहीं ना कहीं अस्पताल और नर्सिंग होम में ऐसी घटनाएं होती है जिसमें कहीं कैंची छूट जाती है तो कहीं कुछ सामान छूट जाता है, यदि स्टाफ प्रशिक्षित नहीं होगा तो ऐसा ही होगा. यदि आप यह सब नहीं कर सकते तो यूनिवर्सिटी बंद कर दें अथवा काम सही तरीके से करें. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह तक कह दिया कि कितने कॉलेज हैं इसमें अधिकांश फर्जी है समस्या यही हैं कि आप इनके कॉलेज चलने क्यों देते हो, दो-दो कमरे में कॉलेज खुल गए हैं यह बंद कराओ. रजिस्ट्रार ने कहा कि हम ऐसे कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो जज ने कहा कि 35 कॉलेज की मान्यता निरस्त करो तब मानेंगे कि आपने कोई एक्शन लिया है, यह मामला भी बाद में हाईकोर्ट में आएगा उसे भी हम ही देखेंगे.