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MP में माफिया Return! जिस जमीन को प्रशासन ने मुक्त कराया उसपर दोबारा कब्जा कर रहे भू-माफिया

एंटी माफिया अभियान के तहत प्रशासन ने भू-माफियाओं के कब्जे से जमीन मुक्त कराई थी. लेकिन अब धीरे-धीरे दोबारा से यह जमीन पर माफिया कब्जा कर रहे हैं. जानिए कहां, कितनी जमीन प्रशासन ने मुक्त कराई, और फिर दोबारा उसपर कब्जा हो गया.

'कमजोर' पड़ा एंटी माफिया अभियान!
'कमजोर' पड़ा एंटी माफिया अभियान!
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Published : Oct 20, 2021, 3:17 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 8:57 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में एंटी माफिया अभियान 15 महीने की कमलनाथ सरकार के समय शुरू हुआ था. इस अभियान में कई हजार करोड़ रुपए की जमीन प्रशासन ने भू-माफियाओं से मुक्त करा ली थी. जिसमें सबसे ज्यादा कार्रवाई ग्वालियर-चंबल संभाग में देखने को मिली. लेकिन अब दोबारा से भू-माफियाओं ने उन जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है, जिन्हें प्रशासन ने मुक्त कराया था. ग्वालियर की बात करें तो 22 दिन की कार्रवाई में 139 बीघा जमीन मुक्त हुई थी. जिसकी कीमत तकरीबन 500 करोड़ रुपए से ज्यादा थी, लेकिन एक बार फिर से मुक्त हुई जमीन माफियाओं के कब्जे में जा रही है.

22 दिन की कार्रवाई के बाद प्रशासन पड़ा 'ढीला'
एंटी माफिया अभियान के अंतर्गत ग्वालियर में पहले चरण की कार्रवाई में 500 करोड़ रुपए से अधिक की 139 बीघा जमीन, दूसरे और तीसरे चरण में करीब 600 बीघा जमीन को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराया गया था. लगातार 22 दिन तक चली कार्रवाई के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. परिणाम यह रहा कि अधिकतर जगहों पर दोबारा से कब्जे हो गए. हाईवे किनारे की जिन जमीनों को मुक्त कराया गया था, वहां फिर से अतिक्रमण हो गया. जबकि खेती की जिस जमीन को मुक्त कराया गया था, उसमें किसान फिर से खेती कर अपना कब्जा जमाए हुए हैं. जिस पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए हैं.

कांग्रेस के सरकार पर आरोप

माफियाओं ने अवैध बिल्डिंग दोबारा तानी
ग्वालियर-चंबल अंचल में एंटी माफिया अभियान के तहत सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से तैयार की गई, संपत्तियों पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर इन्हें नष्ट कर दिया था. लेकिन प्रशासन की नजर हटते ही भू-माफियाओं ने फिर से अपनी बिल्डिंगें तान दी. इसे लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. आरोप लग रहे हैं कि प्रशासनिक अफसरों और नेताओं से सांठगांठ कर भू-माफियाओं ने एंटी माफिया मुहिम को ठेंगा दिखा दिया है.

मामले में बीजेपी का तर्क
किसी ने बड़ा होटल तो किसी कोचिंग संस्थान के लिए बिल्डिंग तैयार कर ली है. इसको लेकर बीजेपी का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है. शिवराज सरकार में किसी भी माफियाओं को नहीं छोड़ा जाएगा. बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि शिवराज सरकार लगातार माफियाओं को लेकर कड़ी कार्रवाई कर रही है. माफियाओं को लेकर एक्ट बनने जा रहा है.

बीजेपी का तर्क

कमलनाथ सरकार में यह कार्रवाई हुईं

- गिरवाई नाके पर 18000 वर्ग फीट सरकारी जमीन पर संचालित इटावा तोड़ा गया, जिसमें फिर से कब्जा शुरू हो गया है.
- केदारपुर में दयाल कॉलेज के पास से तीन बीघा और इसी क्षेत्र में किसानों से 40 बीघा जमीन मुक्त कराई गई.
- महाराजपुरा में सरकारी जमीन को मुक्त कराने के साथ ही जडेरा में अतिक्रमण हटाकर जमीन को उद्योग के हवाले किया गया था.
- सिरोल में हाईवे के किनारे की 20 बीघा जमीन मुक्त कराई हुई जमीन पर फिर कब्जा हो गया है.
- जीनोर में मौजूद ग्वालियर एग्रीकल्चर कंपनी की जमीन को शासकीय घोषित किया गया.
- सिटी सेंटर में बिना अनुमति बनाई गई होटल लॉ सफायर को तोड़ा गया, लेकिन फिर से यह होटल बनने लगा.
- कलेक्ट्रेट के पास हाईकोर्ट को आवंटित 8 बीघा जमीन से कब्जा हटाया गया, लेकिन फिर से कब्जा शुरू होने लगा.
- कालपी ब्रिज के पास स्थित होटल नारायणम का हिस्सा तोड़ा गया, लेकिन फिर से कब्जा होने लगा.
- होटल प्रभा से कब्जा हटाया गया, फिर से कब्जा शुरू हो गया.
- जलालपुर अकबरपुर 54 बीघा जमीन मुक्त कराई गई, लेकिन फिर से कब्जा हो गया
- शिरोल में अवैध कॉलोनी के निर्माण छोड़कर 5 बीघा जमीन मुक्त कराई गई थी, लेकिन अब इस पर भी कब्जा होने लगा है.

रामदास अठावले से Exclusive बातचीत, बोले- प्रमोशन में आरक्षण के लिए केंद्र लाए कानून, जातिगत जनगणना भी जरूरी

शासन-प्रशासन पर खड़े हो रहे सवाल
जिस तरह भू-माफियाओं ने अपनी अवैध बिल्डिंग को दोबारा तैयार कर शासन-प्रशासन को चुनौती दी है, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल उठना इसलिए भी लाजमी है क्योंकि प्रदेश में जिस तरह पिछले दिनों एंटी माफिया मुहिम चलाई गई थी, जिसमें कई सरकारी जमीन को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराया गया था. अब वही बेशकीमती जमीन एक बार फिर माफियाओं के हाथ लग गई है. जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है.

इसी को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उनका कहना है कि लगातार प्रशासन माफियाओं के चंगुल से सरकारी जमीन को मुक्त करा रहा है. अगर ऐसी कोई सूचना है तो दोबारा से हम अधिकारियों की टीम बनाकर मुक्त कराई गई जमीन की जानकारी लेते हैं.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में एंटी माफिया अभियान 15 महीने की कमलनाथ सरकार के समय शुरू हुआ था. इस अभियान में कई हजार करोड़ रुपए की जमीन प्रशासन ने भू-माफियाओं से मुक्त करा ली थी. जिसमें सबसे ज्यादा कार्रवाई ग्वालियर-चंबल संभाग में देखने को मिली. लेकिन अब दोबारा से भू-माफियाओं ने उन जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है, जिन्हें प्रशासन ने मुक्त कराया था. ग्वालियर की बात करें तो 22 दिन की कार्रवाई में 139 बीघा जमीन मुक्त हुई थी. जिसकी कीमत तकरीबन 500 करोड़ रुपए से ज्यादा थी, लेकिन एक बार फिर से मुक्त हुई जमीन माफियाओं के कब्जे में जा रही है.

22 दिन की कार्रवाई के बाद प्रशासन पड़ा 'ढीला'
एंटी माफिया अभियान के अंतर्गत ग्वालियर में पहले चरण की कार्रवाई में 500 करोड़ रुपए से अधिक की 139 बीघा जमीन, दूसरे और तीसरे चरण में करीब 600 बीघा जमीन को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराया गया था. लगातार 22 दिन तक चली कार्रवाई के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. परिणाम यह रहा कि अधिकतर जगहों पर दोबारा से कब्जे हो गए. हाईवे किनारे की जिन जमीनों को मुक्त कराया गया था, वहां फिर से अतिक्रमण हो गया. जबकि खेती की जिस जमीन को मुक्त कराया गया था, उसमें किसान फिर से खेती कर अपना कब्जा जमाए हुए हैं. जिस पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए हैं.

कांग्रेस के सरकार पर आरोप

माफियाओं ने अवैध बिल्डिंग दोबारा तानी
ग्वालियर-चंबल अंचल में एंटी माफिया अभियान के तहत सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से तैयार की गई, संपत्तियों पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर इन्हें नष्ट कर दिया था. लेकिन प्रशासन की नजर हटते ही भू-माफियाओं ने फिर से अपनी बिल्डिंगें तान दी. इसे लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. आरोप लग रहे हैं कि प्रशासनिक अफसरों और नेताओं से सांठगांठ कर भू-माफियाओं ने एंटी माफिया मुहिम को ठेंगा दिखा दिया है.

मामले में बीजेपी का तर्क
किसी ने बड़ा होटल तो किसी कोचिंग संस्थान के लिए बिल्डिंग तैयार कर ली है. इसको लेकर बीजेपी का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है. शिवराज सरकार में किसी भी माफियाओं को नहीं छोड़ा जाएगा. बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि शिवराज सरकार लगातार माफियाओं को लेकर कड़ी कार्रवाई कर रही है. माफियाओं को लेकर एक्ट बनने जा रहा है.

बीजेपी का तर्क

कमलनाथ सरकार में यह कार्रवाई हुईं

- गिरवाई नाके पर 18000 वर्ग फीट सरकारी जमीन पर संचालित इटावा तोड़ा गया, जिसमें फिर से कब्जा शुरू हो गया है.
- केदारपुर में दयाल कॉलेज के पास से तीन बीघा और इसी क्षेत्र में किसानों से 40 बीघा जमीन मुक्त कराई गई.
- महाराजपुरा में सरकारी जमीन को मुक्त कराने के साथ ही जडेरा में अतिक्रमण हटाकर जमीन को उद्योग के हवाले किया गया था.
- सिरोल में हाईवे के किनारे की 20 बीघा जमीन मुक्त कराई हुई जमीन पर फिर कब्जा हो गया है.
- जीनोर में मौजूद ग्वालियर एग्रीकल्चर कंपनी की जमीन को शासकीय घोषित किया गया.
- सिटी सेंटर में बिना अनुमति बनाई गई होटल लॉ सफायर को तोड़ा गया, लेकिन फिर से यह होटल बनने लगा.
- कलेक्ट्रेट के पास हाईकोर्ट को आवंटित 8 बीघा जमीन से कब्जा हटाया गया, लेकिन फिर से कब्जा शुरू होने लगा.
- कालपी ब्रिज के पास स्थित होटल नारायणम का हिस्सा तोड़ा गया, लेकिन फिर से कब्जा होने लगा.
- होटल प्रभा से कब्जा हटाया गया, फिर से कब्जा शुरू हो गया.
- जलालपुर अकबरपुर 54 बीघा जमीन मुक्त कराई गई, लेकिन फिर से कब्जा हो गया
- शिरोल में अवैध कॉलोनी के निर्माण छोड़कर 5 बीघा जमीन मुक्त कराई गई थी, लेकिन अब इस पर भी कब्जा होने लगा है.

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शासन-प्रशासन पर खड़े हो रहे सवाल
जिस तरह भू-माफियाओं ने अपनी अवैध बिल्डिंग को दोबारा तैयार कर शासन-प्रशासन को चुनौती दी है, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल उठना इसलिए भी लाजमी है क्योंकि प्रदेश में जिस तरह पिछले दिनों एंटी माफिया मुहिम चलाई गई थी, जिसमें कई सरकारी जमीन को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराया गया था. अब वही बेशकीमती जमीन एक बार फिर माफियाओं के हाथ लग गई है. जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है.

इसी को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उनका कहना है कि लगातार प्रशासन माफियाओं के चंगुल से सरकारी जमीन को मुक्त करा रहा है. अगर ऐसी कोई सूचना है तो दोबारा से हम अधिकारियों की टीम बनाकर मुक्त कराई गई जमीन की जानकारी लेते हैं.

Last Updated : Oct 20, 2021, 8:57 PM IST
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