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Gwalior High court Strict: हाईकाेर्ट ने पुलिस कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, डीजीपी से पूछा-'क्या अपराध की जानकारी छिपाना मामूली गलती है'

ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने तथ्य छिपाने के मामले में डीजीपी से शपथ पत्र पर स्पष्टीकरण मांगा है. कोर्ट ने कहा कि अपराध की जानकारी छिपाना न्याय व्यवस्था में हस्तक्षेप है. इसे छोटी गलती नहीं माना जा सकता. पुलिस कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन कर रही है. (Gwalior High Court raised questions on police functioning)

Gwalior High Court raised questions on police functioning
ग्वालियर हाईकाेर्ट ने पुलिस कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
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Published : Jul 2, 2022, 3:47 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. जमानत में तथ्य छिपाने के मामले में पुलिस महानिदेशक से शपथ पत्र मांगा है. भिंड के दबोह थाना क्षेत्र में एक आरोपी कुलदीप दोहरे की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जब उसका आपराधिक रिकॉर्ड मांगा तो वह केस डायरी में संलग्न नहीं था. इस पर हाईकोर्ट ने भिंड पुलिस अधीक्षक से शपथ पत्र पर स्पष्टीकरण मांगा था. एसपी की जवाब से असंतुष्ट कोर्ट ने डीजीपी से एफिडेविट पर लिखित में स्पष्टीकरण मांगा है. मामले में अगली सुनवाई8 जुलाई को होगी.

एएसआई और टीआई पर जुर्माना: इस मामले में एसपी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि 'आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं भेजने के मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी प्रमोद साहू, एएसआई महेंद्र सिंह और आरक्षक नरेंद्र शाक्य को दोषी माना गया है. उन्होंने थाना प्रभारी पर दो हजार रुपए तो एएसआई पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है'. लेकिन हाईकोर्ट एसपी के शपथ पत्र पर दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने डीजीपी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि 'क्या पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरणों की जानकारी नहीं भेजना मामूली गलती है या फिर इसे आपराधिक न्याय व्यवस्था प्रणाली में हस्तक्षेप करने जैसा माना जाए'. पुलिस ने डीजीपी से लिखित में एफिडेविट देने को भी कहा है.

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एक हफ्ते में देना है जवाब: कोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर डीजीपी को शपथ पत्र पर अपना स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए हैं. अब इस मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी. भिंड के कुलदीप पर दबोह थाने में हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हैं. वह मार्च 2022 से जेल में बंद है. उसकी ओर से जमानत आवेदन पेश किया गया था. जिसकी जानकारी देने वाले थाना प्रभारी वर्तमान में कहीं और पदस्थ हैं.
(Gwalior High Court raised questions on police functioning) (Hiding crime information interferes with justice system) (High Court asked for affidavit from DGP)

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. जमानत में तथ्य छिपाने के मामले में पुलिस महानिदेशक से शपथ पत्र मांगा है. भिंड के दबोह थाना क्षेत्र में एक आरोपी कुलदीप दोहरे की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जब उसका आपराधिक रिकॉर्ड मांगा तो वह केस डायरी में संलग्न नहीं था. इस पर हाईकोर्ट ने भिंड पुलिस अधीक्षक से शपथ पत्र पर स्पष्टीकरण मांगा था. एसपी की जवाब से असंतुष्ट कोर्ट ने डीजीपी से एफिडेविट पर लिखित में स्पष्टीकरण मांगा है. मामले में अगली सुनवाई8 जुलाई को होगी.

एएसआई और टीआई पर जुर्माना: इस मामले में एसपी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि 'आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं भेजने के मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी प्रमोद साहू, एएसआई महेंद्र सिंह और आरक्षक नरेंद्र शाक्य को दोषी माना गया है. उन्होंने थाना प्रभारी पर दो हजार रुपए तो एएसआई पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है'. लेकिन हाईकोर्ट एसपी के शपथ पत्र पर दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने डीजीपी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि 'क्या पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरणों की जानकारी नहीं भेजना मामूली गलती है या फिर इसे आपराधिक न्याय व्यवस्था प्रणाली में हस्तक्षेप करने जैसा माना जाए'. पुलिस ने डीजीपी से लिखित में एफिडेविट देने को भी कहा है.

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एक हफ्ते में देना है जवाब: कोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर डीजीपी को शपथ पत्र पर अपना स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए हैं. अब इस मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी. भिंड के कुलदीप पर दबोह थाने में हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हैं. वह मार्च 2022 से जेल में बंद है. उसकी ओर से जमानत आवेदन पेश किया गया था. जिसकी जानकारी देने वाले थाना प्रभारी वर्तमान में कहीं और पदस्थ हैं.
(Gwalior High Court raised questions on police functioning) (Hiding crime information interferes with justice system) (High Court asked for affidavit from DGP)

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